आज से सबसे बड़ा त्यौहार दीपावली का प्रारंभ हो रहा है। यह पंच दिवसीय त्यौहार धनतेरस से प्रारंभ होकर भाईदूज पर पूर्ण होता है। हालांकि इस बार यह त्यौहार छः दिन में पूर्ण होता है।
कार्तिक माह (पूर्णिमान्त) की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। भारत सरकार ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।
धनतेरस में क्यों खरीदते (बर्तन, सोना-चांदी, झाड़ू)
हम सब लोग, दीपावली में बर्तन, सोना-चांदी के आभूषण और झाड़ू सदियों से खरीदते आ रहे हैं। पर क्यों? आपने कभी सोचा?
चलिए आज यही साझा करते हैं...
बर्तन खरीदने का कारण :
कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान जब भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए तब उनके हाथ में पीतल का कलश था। ये दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करने का दिन है, उन्हें खुश करने का दिन होता है, इसलिए लोग उनकी कृपा का पात्र बनने के लिए इस दिन पीतल के बर्तन खरीदते थे। लेकिन समय के साथ पीतल के बर्तनों का चलन बंद सा हो गया और स्टील के बर्तन का चलन शुरू हो गया। इसलिए आज के समय में लोग बर्तन खरीदने की प्रथा तो निभाते हैं, लेकिन वे ज्यादातर स्टील के बर्तन खरीदते हैं।
क्यों खरीदा जाता है सोना-चांदी :
सोना-चांदी को धन माना जाता है और माता लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन अगर सोना-चांदी खरीदा जाए तो माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में समृद्धि बनी रहती है। इसलिए लोग इस दिन सोने-चांदी के आभूषण खरीदते हैं।
झाड़ू खरीदने की वजह :
झाड़ू को लक्ष्मी का स्वरूप कहा जाता है क्योंकि ये घर की गंदगी को साफ करती है। गंदगी को दरिद्र माना गया है और जहां गंदगी होती है, वहां कभी लक्ष्मी नहीं रहतीं। इसलिए लोग धनतेरस के दिन झाडू लेकर आते हैं। दीपावली से एक दिन पहले यानी नरक चौदस को झाड़ू से घर की सफाई करते हैं और दरिद्र को दूर करते हैं। इसके बाद घर को बहुत सुंदर सा सजाकर माता लक्ष्मी के आगमन की तैयारी करते हैं और दीपावली के दिन विधिवत उनकी पूजा करते हैं।
तो चलिए आज के शुभ दिन में आप भी यह सब लाएं। माता लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि का आशीर्वाद प्राप्त करें 🙏🏻
शुभ धनतेरस 🙏🏻