Tuesday 11 January 2022

Article : मोदी जी की पंजाब रैली???

मोदी जी की पंजाब रैली???




मोदी जी का पंजाब रैली से वापसी, एक बहुत बड़ा सवाल बन गया है...

हर party उसको अलग-अलग तरह से present कर रही है।

BJP वाले बोल रहे हैं कि मोदी जी की सुरक्षा व्यवस्था में बहुत बड़ी चूक की गई है। मोदी जी की जान को दांव पर लगाया गया था।

वहीं कांग्रेस वाले बोल रहे हैं कि ऐसा कुछ नहीं है, जब मोदी जी का किसी तरह का अनिष्ट ही नहीं हुआ, तो किस बात की चूक? 

वहीं कुछ यह भी कह रहे थे कि प्रधानमंत्री जी के काफिले को, एक बार 20 minutes खड़े रहना पड़ा, तो कौन सी बड़ी बात हो गई? आम आदमी को तो कितनी बार इससे ज्यादा देर भी खड़े होना पड़ता है।

इस तरह की और भी बहुत सी बयानबाज़ी की जा रही है...

आप लोगों का क्या सोचना है? 

अगर BJP की बात पर ध्यान दिया जाए तो वो पूरी तरह से ग़लत नहीं हैं, क्योंकि जहाँ मोदी जी के काफिले को रुकना पड़ा था, वहाँ से पाकिस्तान border लगभग 30 km दूरी पर था और यह सर्वविदित है कि पाकिस्तान हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है और हमेशा हमारे देश, भारत को खतरा पहुंचाने और उसे नीचा दिखाने को तत्पर रहता है। 

तो उनकी काफ़िले का रुकना, उनकी जान से एक तरह का दांव खेलना तो था ही....

फिर, जिसने देश की सुरक्षा को इतना सुदृढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो, ऐसे इंसान की अपने ही देश में, सुरक्षा में कमी, क्या किसी विडंबना से कम है?

अब कांग्रेस की बात देखते हैं, वो कह रहें हैं कि कुछ अनिष्ट तो नहीं हुआ, फिर चूक की क्या बात है?

तो क्या अनिष्ट हो जाने के बाद ही यह माना जा सकता है कि सुरक्षा में चूक हुई है? क्या संभावना होने पर उसे चूक नहीं माना जा सकता है?

अगर अनिष्ट होता, तो क्या हो सकता था?

काफ़िला आगे बढ़ता और किसानों से झड़प होती तो कुछ लोग मर जाते, जिससे देश में कोहराम मच जाता।

या, भगवान ना करे, पर कुछ अनिष्ट मोदी जी के साथ हो जाता, तो देश में गृहयुद्ध छिड़ जाता या इंदिरा गांधी जी के मरणोपरांत जैसा दृश्य तो हो ही जाता।

दोनों ही सूरत में बड़ा अनिष्ट ही होता, जो देश के लिए किसी भी तरह से हितकर नहीं है।

ऐसे में कांग्रेस का कहना किस हद तक सही है, यह तो आप सभी समझ रहे होंगे...

अब बात करते हैं उनकी जो कह रहे हैं कि, "एक बार 20 minutes खड़े रहे तो कौन सी बड़ी बात हो गई? आम आदमी को तो कितनी बार इससे ज़्यादा देर भी खड़े होना पड़ता है"...

वैसे आम आदमी को तो छोड़ दीजिए, यह सोचिए आम मंत्री के काफिले को कितनी देर खड़े रहना पड़ता है सड़क पर? बिल्कुल भी नहीं...

वैसे तो, एक आम आदमी और मंत्री में ही फर्क होता है, फिर वो तो देश के प्रधानमंत्री हैं।

काम की जिम्मेदारी और जवाबदेही दोनों ही प्रधानमंत्री की सबसे ज़्यादा होती है।

उनका पद, बाकी सब से ज़्यादा ऊंचा होता है, तो उनका सम्मान भी ज़्यादा होगा और उनकी सुरक्षा भी ज़्यादा होनी चाहिए।

वैसे भी देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री केवल किसी एक party के नहीं होते हैं, वो उससे ऊपर होते हैं। ‌वो देश का गर्व होते हैं और उनकी सुरक्षा देश का सम्मान होता है।

इंदिरा गांधी जी, राजीव गांधी जी या मोदी जी, किसी के भी साथ हुई इस तरह से सुरक्षा में  चूक, वो भी अपने ही देश में, निंदनीय है, अशोभनीय है, अस्वीकार्य है...

ऐसा हमारा मानना है, आप का क्या सोचना है बताइएगा ज़रुर...