Story of life : एहसास(भाग- 1)के आगे.....
Story of life : एहसास(भाग-2)
सोचा ना, ये तो
मेरा पहला प्यार है, और ये बहुत ही काबिल हाथों में है। मुझे आप दोनों पर
पूर्ण विश्वास है, आप इसे ऐसे ही सुचारु रूप से चलाते रहेंगे।
डॉ. नितीश ने ज़ोर से
हुंकार भरते हुए, डॉ अमर की हाँ में हाँ मिला दी। हाँ डॉ अमर आप ठीक कह
रहे हैं, ये तो हम तीनों का सपना था। और हम इसका हमेशा ध्यान
रखेंगे।
अब त्रिवेणी के head डॉ नितीश
थे, तो सारे decision उनके according
होते थे।
जिसके कारण जो “hospital कभी patient का मन्दिर हुआ करता था, जिसकी सीढ़ी एक बार चढ़ने से सब स्वस्थ हो कर ही निकलते
थे”, साथ ही “पूरे शहर में famous था, कि अगर ईमानदारी सीखनी हो तो त्रिवेणी hospital
जाओ”। उसका स्वरूप पूरी तरह बदल चुका था।
डॉ नितीश
का सख्त instruction था, कोई भीं patient
आए, तो उसके पहले
अनाप-शनाप test किए जाएँ, फिर treatment
शुरू हो। गरीबों पर कोई दया नहीं की जाए, जो मोटी
रकम चुकाए, उसी को देखें।
एक तरफ hospital की fees बढ़ा दी
गयी, दूसरी तरफ doctors भी थोड़े लापरवाह हो गए, और hospital का maintenance भी लचर
होने लगा। जिससे hospital की शाख
गिरने लगी।
इससे डॉ मालिनी बहुत दुखी
हो गईं। पर नितीश मालिनी की एक ना चलने देते थे।
एक दिन डॉ नितीश का road accident हो
गया, जिसमें उनके जगह जगह चोट लग गयी। जितने दिन नितीश bed पर थे
मालिनी head हो गयी।
मालिनी ने तुरंत ही action लेने start कर दिये......
आगे पढ़ें एहसास(भाग- 3 ) में ....