Tuesday 3 November 2020

Stories of Life : ईश्वर की इच्छा

 ईश्वर की इच्छा


आज काम के सिलसिले में स्टेशन जाना हुआ।

वहाँ super fast express के आने का समय हो रहा था, जिसका station में stoppage नहीं था।

एक आदमी स्टेशन पर किनारे की तरफ ही टहल रहा था, और जैसे ही train super speed से platform पर आ रही थी, वो आदमी तुरन्त track पर उतरा और train के track पर आने के चंद मिनट पहले भाग कर दूसरे track पर पहुंच गया।

2 second के लिए सबकी heart beat रुक गई और जब train cross कर गयी। तब उस आदमी को जीवित देखकर सबकी जान में जान आई।

वो आदमी मुस्कुराता हुआ वापस उसी platform पर आ गया, जिस पर हम खड़े थे।

मुझ से रहा नहीं गया और उसके पास पहुंच कर पूछा, क्यों भाई, तुम्हें डर नहीं लगता है?

ऐसे super fast express के cross करते time में,  कौन track cross करता है?

क्या तुम जानते नहीं हो, यह कितना dangerous है, तुम मर भी सकते हो?

उसने बड़ी लापरवाही से कहा, डर....... डरकर क्या जीना?

जो ईश्वर की इच्छा होगी, वही होगा।

मैंने कहा, पागल हो क्या भाई?

बड़ी बे सिर पैर की बात कर रहे हो। 

इतनी तेज आती हुई train से कब तक बचोगे?

बेवकूफियाँ खुद करो, और दोष ईश्वर के सिर।

वह बोला, सब अब यही तो कर रहें हैं, तो मैं अकेला कैसे पागल?

सब...... क्या मतलब है तुम्हारा?

देखो ना, सब जानते हैं कि कोरोना में दूरियाँ बना कर रखनी है, Mask लगाना है, साफ सफाई रखनी है।

पर अब कितने इन सब बातों का ध्यान रख रहे हैं?

क्या सब यही कहकर,सब कुछ नहीं कर रहे हैं? कि अब जो ईश्वर की इच्छा।

ईश्वर ने कब कहा कि बेवकूफियाँ करो?

सब जानते हैं कि कोरोना जानलेवा है, हरकतें खुद मूर्खों वाली करेंगे, फिर जब कोरोना की चपेट में आ जाएंगे तो या तो कहेंगे, हे प्रभु हम पर ही संकट क्यों?

या सारा ठीकरा ईश्वर पर थोप देंगे कि जो ईश्वर की इच्छा।

वो यह कहकर दूर कहीं ओझल हो गया, पर उसकी बात ने मुझे झकझोर दिया।

सच ही तो कह रहा था, सब जानते हैं कि कोरोना बहुत dangerous है, फिर भी उसके protocol को follow ना कर के, हम में से ना जाने कितने कोरोना को spread करने का कार्य यह कहते हुए कर रहे हैं कि अब जो ईश्वर की इच्छा।

कब तक डरकर घर में बैठे रहें? कब तक होटल में खाना ना खाएं? कब तक घूमने ना जाएं? कब तक खेलें कूदें नहीं? कब तक maid को ना बुलाएं? कब तक लोगों से ना मिलें........

आखिर कब तक???

जब तक ज़रुरी है, तब तक। क्योंकि एक दिन ही जाने से, ना जाने दिन रुकना पड़ सकता है।

और हाँ, अगर आप को भी उस आदमी की, बात ने झकझोरा है तो, घर पर रहें, उतना ही बाहर निकलें, जितना अति आवश्यक हो, स्वयं भी  सुरक्षित रहें और दूसरों को भी सुरक्षित रखें।

क्योंकि ईश्वर की इच्छा यह बिल्कुल नहीं है कि सब बीमार पड़ें या मृत्यु को प्राप्त हों।

अपनी मनमानी को व्यर्थ में ईश्वर की इच्छा का नाम मत दें।