जो किसी ने नहीं किया
आज-कल सम्पूर्ण विश्व का सबसे बड़ा मुद्दा रुस-युक्रेन युद्ध बन गया है।
रुस-युक्रेन युद्ध में बहुत कुछ ऐसा हो रहा है, जिसको देखकर हर एक की आँख खुल जानी चाहिए और यह सोच भी विकसित हो जानी चाहिए कि कौन कैसा है।
शायद यह युद्ध टल जाता, बहुत से लोगों की जान बच जाती, दुनिया भर की बरबादी ना होती और अभी इस युद्ध के होने से पड़ने वाला सबसे बड़ा नुकसान यह है कि सब जगह बहुत अधिक महंगाई दर बढ़ जाएगी।
अब बात करते हैं कि जब युद्ध टाला जा सकता था तो टला क्यों नहीं?
क्योंकि अमेरिका और नाटो देशों ने युक्रेन के लोगों और उनके राष्ट्रपति Zelensky के मन में भड़की आग को शोलों में बदल दिया।
सब जानते थे कि युद्ध प्रारंभ होने से रुस को ही जीतना था और युक्रेन नेस्तनाबूद हो जाना था पर फिर भी युक्रेन युद्ध करने को आतुर हो गया।
जब कोई सशक्त आपको आप की क्षमता से अधिक करने के लिए उकसा रहा हो, तो अपनी बुद्धि, धैर्य को दरकिनार करते हुए अपने नुकसान को बिना सोचे-समझे विनाश की ओर बढ़ने से पहले एक बार यह ज़रूर सोचिएगा कि वो सशक्त, सच में आप का सहायक है, या वो आपके जरिए अपना उल्लू सीधा कर रहा है।
और यही हुआ, अमेरिका ने युक्रेन के रास्ते अपने समकक्ष रूस को बिना सीधे तौर पर युद्ध किए परास्त करने का मार्ग प्रशस्त कर लिया।
अमेरिका ने एक बार भी युद्ध विराम के लिए नहीं कहा बल्कि युद्ध आरंभ होने के दूसरे दिन से युक्रेन को युद्ध सामग्री और धन देकर युद्ध की आग की तपिश बढ़ा दी।
साथ ही रुस पर बहुत तरह के प्रतिबंध लगवा कर, अपने तेल और गैस इत्यादि के व्यापार का विस्तार किया है। अपने हथियार के व्यापार को भी और सशक्त कर लिया है।
इसका मतलब आप को समझ आया? कि युद्ध जितना लंबा खिंचेगा, युक्रेन उतना ही तबाह होगा, रुस उतना ही कमजोर होता जाएगा और अमेरिका उतना ही सशक्त व समृद्धशाली।
यह तो रही युद्ध की बात...
अब बात करते हैं कि कितने देश युक्रेन में फंसे अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए कितने प्रयासरत हैं...
अमेरिका, चीन, ब्रिटेन जैसे बड़े देशों ने युद्ध आरंभ होने की advisory दे दी थी और अपने नागरिकों को युक्रेन छोड़ने की बात कह दी थी, साथ ही यह भी हिदायत दे दी थी कि इसके लिए उन्हें कोई आर्थिक सहायता नहीं प्रदान की जाएगी। सभी को अपने खर्च पर वापस आना होगा।
इस advisory के जारी होते ही उन देशों के अधिकतर नागरिक युक्रेन छोड़ कर चले गए।
युद्ध का आरंभ 24 February में हुआ था, जबकि भारत 15 Feb. से 28 Feb. तक लगातार advisory जारी करता रहा, युद्ध आरंभ होने की और युक्रेन से निकल जाने की । Media में भी बराबर चेतावनी दी जाती रही कि अब युक्रेन में रहना सुरक्षित नहीं है।
जब कभी भी ambassy advisory जारी की जाती है उसे कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए।
बावजूद इसके, India के चंद students को छोड़कर, किसी ने भी advisory को seriously नहीं लिया, बल्कि media पर TRP बढ़ाने का आरोप, BJP पर जनता पर प्रभाव जमाने का आरोप और माता-पिता पर बेवजह panic होने का आरोप लगाकर, मखौल उड़ाया। उनका कहना था कि पुतिन केवल धमकी मात्र दे रहे हैं। कुछ करने की हिम्मत नहीं है, अगर वो ऐसा कुछ करेंगे तो नाटो देश और अमेरिका उसका खात्मा कर देगा।
वहीं कुछ इस तरह से भी बोल रहे थे कि युद्ध होने से thrill होता है, युद्ध नहीं होने से life में कुछ excitement नहीं आ रहा है।
अब तो उनको और बाकी सब को भी समझ आ गया होगा कि advisory और दी जा रही चेतावनी कितनी सही थी। बात कितनी serious थी और जब बात जान पर बन जाती है तो कोई thrill नहीं होता है।
पर धन्य हैं! हमारे मोदी जी, कि जो उनका मज़ाक उड़ा रहे थे, आज उन्हीं को मुसीबत से बचाने के लिए उन्होंने operation गंगा बनाया है। जिसमें एक-एक student को सुरक्षित लाने की कोशिश की जा रही है, वो भी बिल्कुल मुफ़्त।
और उससे भी बड़ी बात कि इस कार्य को पूरा करने के लिए BJP के चार बड़े केंद्रीय मंत्री, हरदीप सिंह पुरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, जनरल वीके सिंह और किरन रिजिजू शामिल हैं। जो अपनी जान को दांव पर लगा कर उन students को बचाने में लगे हैं। और अपने इस mission में वो काफी हद तक सफल भी हो रहे हैं। बहुत-बहुत आभार इन सभी मंत्रियों का, साथ ही इनको देश की तरफ से शत् शत् नमन 🙏🏻
वरना अपने ही देश भारत में 2013 में, जब कांग्रेस सत्ता में थी, केदारनाथ- बद्रीनाथ पर आई आपदा के समय लाशों को देना का ठेका सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा को मिला था।
और वाड्रा, प्रत्येक लाश के 2lakh ले रहा था। और जो यह धनराशि देने में असमर्थ थे, उन्हें लाश नहीं दी जा रही थी।
वहाँ बची हुई लाशों पर, हेलीकॉप्टर द्वारा acid डालकर नष्ट कर दिया गया था।
क्या हुआ था, आज से पहले कभी ऐसा? जैसा महान कार्य, मोदी जी कर रहे हैं।
बल्कि यह कहना चाहिए कि किसी भी बड़े-छोटे देशों में आज भी नहीं हो रहा है।
आज हर देश चाह रहा है कि उन्हें मोदी जी जैसा प्रधानमंत्री मिले।
जिन लोगों के बच्चे, अपने घर में सुरक्षित पहुंच रहे हैं, उन्हें मोदी जी, ईश्वर का स्वरूप लग रहें हैं।
हम कहते हैं मत मानिए, उन्हें ईश्वर। पर वो हमारे भारत देश को सर्वोच्च पद पर आसीन कर सकते हैं, यह तो मान लीजिए। उनके सत्ता में होने से उनका नहीं, देश का हित है, यह तो मान लीजिए। देश का विकास करने के लिए उन्हें सत्ता में रहने का सहयोग तो दे दीजिए।
आँख खोलकर देखिए, समझिए, जो कोई नहीं कर रहा है, जो किसी ने नहीं किया, वो हो रहा है। भारत देश, हर क्षेत्र में सर्वोच्च पद पर आसीन हो रहा है।
जय हिन्द जय भारत 🇮🇳