Privatisation, कितना बेहतर कितना सार्थक
भारत में आजादी के पश्चात्, बहुत सी government and PSU companies खोली गईं, साथ ही कुछ private companies भी खुलीं।
देश साल दर साल विकास की ओर अग्रसित होता गया।
पर देश को सम्हालने के लिए आने वाली सरकारों की दृष्टि, सदैव government and PSU companies पर रही।
कभी देश के विकास के नाम पर, कभी यह कहकर कि इस company का रहना, केवल खर्चा बढ़ाना है। Government and PSU companies, को बेच दिया जाता रहा है।
जबकि ऐसी बहुत सी companies हैं, जो अपने कार्य को सुचारू रूप से कर रहीं हैं।
जिसमें indian Banks, indian railways, Indian airlines, SAIL, BHEL, ONGC, NTPC, CIL, IOCL, GAIL etc...
तो हमने जो image बना रखी है कि government and PSU companies में कोई काम नहीं होता है। उनका रहना केवल खर्चा बढ़ाना है। यह बात सरासर ग़लत है, झूठ है।
यह companies भी बहुत अच्छे से अपना काम कर रही हैं। इन से मिलने वाला revenue ही देश के विकास में पूर्ण रूप से सहायक होता है। क्योंकि Government and PSU companies देश का asset होती है। और समय समय पर यही काम आती हैं।
जैसे इस covid disaster management में Indian airlines, Indian railways, police, army, municipal corporation, Bank, SAIL, etc..... के सहयोग के बिना, स्थिति को नियंत्रित में करना असम्भव रहता।
जबकि private companies, किसी व्यक्ति विशेष की होती हैं और उसका revenue भी उसी का, और नियंत्रण भी।
Air India का Tata group के पास जाने के बाद देशभर में एक बहुत बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है।
क्या देश की अन्य government companies and PSU का भी यही हाल होगा?
क्या आप को नहीं लगता है कि privatisation, पूर्णतया सही decision नहीं है।
देश का पूरी तरह से privatisation करना, देश के विकास के लिए उचित नहीं है।
देश में सभी तरह का set-up होना चाहिए, Government, PSU, co-operative and private. क्योंकि जब सभी तरह की companies रहेंगी, तभी देश सुचारू रूप से विकास करेगा।