मेहमान
उसने शहर में घर ले लिया है, और उसे लेने आ रहा है। “अब मैं कभी लौटकर नहीं आऊंगी”। आज मीरा का बरसों का सपना जो पूरा होने वाला था।
वो जब भी रवि से कहती थी, मेरा गाँव में मन नहीं लगता है, तो रवि हमेशा उससे कहता था, जब वहाँ घर ले लूँगा, तब चलना।
रवि के आने से पहले ही मीरा ने अपना घर और सामान सब बेच दिया।
गाँव में लोग कह भी रहे थे, क्या मीरा बौरा गई हो क्या? कल जरुरत हो तो गाँव लौट सको, इतना तो छोड़ दो।
सामान का क्या है, आज नहीं कल बिक जायेगा, जोड़ना ही मुश्किल होता है।
पर मीरा, सबसे बड़े गर्व से यही कहती, मेरा बेटा लेने आ रहा है, जिन्दगी हूँ मैं उसकी, और वो मेरी।
अब तो मेहमान बन कर भी कभी गाँव में ना आउंगी।
पहुंचते
ही मीरा ने सारा पैसा रवि को यह कहकर दे दिया, कि मुझे अब इनका क्या काम?
रवि पैसे पाकर बहुत खुश हो गया, कि
मां ने बिना मांगे, उसे लोन चुकाने के पैसे दे दिए थे। माँ आज भी मेरी इच्छा मुझसे पहले जानती है।
रवि ने सभी सुख सुविधा का विशेष ध्यान रखा था, मीरा बहुत खुश थी।
रवि ने सभी सुख सुविधा का विशेष ध्यान रखा था, मीरा बहुत खुश थी।
गृहप्रवेश
की पूजा के बाद, सारे मेहमान चले गए। बस मीरा अपने बेटे
के पास थी।
एक
दिन, मीरा रवि की बात सुनकर ठगी सी रह गई, वो अपने दोस्त से कह रहा था, बस एक ही मेहमान रह गई हैं, एक दो दिन में...।
मेहमान!......
उसे याद आ गया, वो दिन जब रवि का जन्म हुआ था, तब सारा घर उसे नन्हे मेहमान के आने की बधाई दे रहा था और उसने, अपनी जिंदगी उस पर वार दी थी।
आज
उसी ने मीरा को मेहमान बना दिया था।
मेहमान
शब्द मीरा को नश्तर सा चुभ गया।
उसने अगले दिन फिर आंख नहीं खोली और रवि के घर की ‘मेहमान’ चली गई।
उसने अगले दिन फिर आंख नहीं खोली और रवि के घर की ‘मेहमान’ चली गई।