Wednesday 13 November 2019

Story of life : मेहमान


मेहमान




आज मीरा बहुत खुश थी,  आज उसके बेटे रवि का पत्र आया है

उसने शहर में घर ले लिया है, और उसे लेने आ रहा है।अब मैं कभी लौटकर नहीं आऊंगी”। आज मीरा का बरसों का सपना जो पूरा होने वाला था


वो जब भी रवि से कहती थी, मेरा गाँव में मन नहीं लगता है, तो रवि हमेशा उससे कहता थाजब‌ वहाँ घर ले लूँगातब चलना

रवि के आने से पहले ही मीरा ने अपना घर और सामान सब बेच दिया।


गाँव में लोग कह भी रहे थे, क्या मीरा बौरा गई हो क्या? कल  जरुरत हो तो गाँव लौट सको, इतना तो छोड़ दो

सामान का क्या है, आज नहीं कल बिक जायेगा, जोड़ना ही मुश्किल होता है

पर मीरा, सबसे बड़े गर्व से यही कहती, मेरा बेटा लेने आ रहा है, जिन्दगी हूँ मैं उसकी, और वो मेरी। 

अब तो मेहमान बन कर भी कभी गाँव में ना आउंगी।  

पहुंचते ही मीरा ने सारा पैसा रवि को यह कहकर दे दिया, कि मुझे अब इनका क्या काम?

रवि पैसे पाकर बहुत खुश हो गया, कि मां ने बिना मांगे, से लोन चुकाने के पैसे दे दिए थे। माँ आज भी मेरी इच्छा मुझसे पहले जानती है

रवि ने सभी सुख सुविधा का विशेष ध्यान रखा था, मीरा बहुत खुश थी 

गृहप्रवेश की पूजा के बाद, सारे मेहमान चले गए। बस मीरा अपने बेटे के पास थी।

एक दिन, मीरा रवि की बात सुनकर ठगी सी रह गईवो अपने दोस्त से  कह रहा था,  बस एक ही मेहमान रह गई हैंएक दो दिन में...। 

मेहमान!...... 

से याद आ गया, वो दिन जब रवि का जन्म हुआ था, तब सारा घर उसे नन्हे मेहमान के आने की बधाई दे रहा था और उसने, अपनी जिंदगी उस पर वार दी थी

आज उसी ने मीरा को मेहमान बना दिया था।

मेहमान शब्द मीरा को नश्तर सा चुभ गया। 

उसने अगले दिन फिर आंख नहीं खोली और रवि के घर की मेहमान चली गई।