संस्कार
वो हर बात पे मुँह बनाते,
हम हर बार फिर भी पास आते
संस्कार उनको मिले थे जो
वो वैसा करते रहे
संस्कार हमको मिले हैं ये
जो हम ऐसा करते रहे
वो जो करे
उल्टा या सीधा
सब सही है
हम करें,
ठीक भी तो
वो समझते, सही नहीं है
अंतर्द्वंद है दिल में मेरे
की क्यूँ ना
मैं भी करूँ, वैसा ही
उल्टा सीधा
जैसा करते हैं वो,
पर हाय रे! ये संस्कार
कर ना सके कुछ गलत
हम,
बहुत सोच के भी