आरक्षण
हमारे देश भारत में आरक्षण एक ऐसी समस्या है, जो सालों से चली आ रही है, और ना जाने कब तक चलेगी।
आदिकाल में समाज का विच्छेदन वर्ण के आधार पर किया गया था, जिसके चलते ब्राह्मण को सर्वाधिक
अधिकार प्राप्त थे, और उनका ही समाज में
बोलबाला था, वहीं शूद्र को बुरी
तरह तिरस्कृत किया जाता था। उन्हें मंदिरों, नदियों, कुओं के नजदीक तक नहीं जाने दिया जाता
था। उन्हें निम्न श्रेणी का समझा जाता था, अतः उन्हें समानता के अधिकार नहीं थे।
समय परिवर्तित हुआ। समाज के उद्धारकों ने समाज के विकास के लिए छुआछूत व भेदभाव को खत्म करने के लिए संविधान
में दस
साल के लिए “आरक्षण” शब्द व योजना का
प्रयोग किया। जिससे उन्हे संसाधन प्राप्त हों और वो अपने
प्रतिभा के अनुरूप समाज में उचित स्थान प्राप्त कर सकें। शायद उस
समय के लिए ये एक उचित योजना भी रही
होगी, और उस
समस्या के समाधान के लिए दस वर्ष भी उचित रहे होंगे। इन दस वर्षों में
उच्च पद भी प्रदान किए गए। जिससे वे सभी के समकक्ष आ गए और छुआछूत व भेदभाव खत्म
हो गया।
पर आरक्षण की योजना को 70 वर्षों से
यथावत वैसे ही चलाया जाना कहाँ तक उचित है? क्या आपको यह नहीं लगता, आरक्षण का दुरुपयोग हो रहा है
अतः अब इसे बंद हो जाना चाहिए।
खासकर उन लोगों को तो आरक्षण, बिलकुल भी नहीं मिलना चाहिए, जिनके दादा जी, पिता जी उच्च पद पर आसीन हैं, क्योंकि वे तो संसाधनों से युक्त हैं।
खासकर उन लोगों को तो आरक्षण, बिलकुल भी नहीं मिलना चाहिए, जिनके दादा जी, पिता जी उच्च पद पर आसीन हैं, क्योंकि वे तो संसाधनों से युक्त हैं।
जैसे उस समय आरक्षण उचित था, अब समाज के विकास के लिए संसाधन-हीन के उत्थान
की योजना चलाई जानी चाहिए।
जिसमें जो व्यक्ति योग्य तो
है, पर संसाधन
की कमी के कारण वो समाज में उचित स्थान नहीं
प्राप्त कर पा रहा है, ऐसे व्यक्ति को
संसाधन प्रदान करवा देना चाहिए।
सभी व्यक्तियों को रोजगार उनकी प्रतिभा के
आधार पर मिलनी चाहिए, ना कि
आरक्षण, सिफारिश, या रिश्वत के आधार पर।
आजकल तो वे मनुष्य भी जिनको ईश्वर ने भी पूर्णता प्रदान नहीं
की है, अपनी अपूर्णता को दरकिनार कर, प्रतिभा के बल पर उच्च स्थानों को
प्राप्त कर रहे हैं। तो क्या वे उनके लिए आदर्श स्थापित
नहीं करते कि, जो हर तरह
से योग्य हैं शारीरिक भी और संपन्नता
से भी। तब आरक्षण के लिए तत्परता क्यों?
आरक्षण का प्रभाव हमारे देश
को दो तरफ से खोखला कर रहा है, एक तो
अयोग्य व्यक्ति, पद ग्रहण करके, उस क्षेत्र
को बर्बाद कर रहा है, दूसरा जो योग्य
है, उसे उचित पद
ना मिलने की वजह से वो विदेश की ओर आकर्षित हो रहा है। जिससे
प्रतिभा-पलायन हो रहा है। या ऐसे व्यक्ति कुंठित होकर अनुचित मार्ग
अपना लेते हैं।
मेरा निवेदन है सबसे, कृपया आरक्षण का बहिष्कार करें, चाहे आप किसी भी वर्ण के
हो, आप भी योग्य
हैं, अपनी प्रतिभा के बल पर
रोज़गार प्राप्त
करके सिद्ध
कर दीजिये, कि आप भी
किसी से काम नहीं हैं। आप जिस स्थान पर हैं, वहाँ अपनी प्रतिभा से हैं, अपने बलबूते से हैं।
यहाँ कोई कमज़ोर नहीं
हैं, किसी को सहारे की
आवश्यता
नहीं है, और आरक्षण की तो
बिलकुल भी नहीं ।