अब तक आपने पढ़ा सुमन और राजेश का busy schedule और मासूम राघव को नज़र अंदाज़ करना, अब आगे .....
अकेली भाग -२
एक दिन राघव बुखार से तड़प रहा था, रामखिलावन ने phone किया, तो जवाब मिला, आज बहुत important meeting है, अभी आना संभव नहीं
है, doctor को फोन कर देते हैं, तुम देख लेना।
doctor आकर देख गए, दुनिया की medicine और माथे में गीली पट्टी हर 15 मिनट में बदलने की
बोल गए।
राघव के पास पूरी रात उसके
रामू काका बैठे पट्टी बदलते और medicine देते रहे, उनकी आंखो से बहती अश्रु-धारा उनका राघव के प्रति निश्छल प्रेम दर्शा रहा था, उनकी सेवा से राघव जल्दी ही ठीक हो गया।
क्लास में कविता प्रतियोगिता
में उसे first आने पर trophy
मिली। जब घर पंहुचा, उस
दिन माँ –पापा घर पर थे, बड़े मन से उसने उन्हें अपनी trophy दिखाई। उनके पास शर्मा अंकल भी
थे, दोनों ने बड़े गर्व से उन्हें, उसकी trophy
दिखा कर उसे showcase में रखवा दी। रामू काका
को जब पता चला, तो वो बेहद खुश हुए। उन्होने राघव की पसंद के गुलाब-जामुन
बनाए, भगवान को करोड़ों धन्यवाद दिया और राघव की सफलतों की मंगल कामना भी की।
राघव बेहद ही होनहार था, आए दिन उसे trophy मिलने लगी, सुमन
और राजेश के लिए वो ट्रॉफियाँ उनके showcase को सजाने और status symbol बढ़ाने का जरिया मात्र बन कर रह गयी थीं। कभी भी ना तो
उन्होने राघव की पीठ थपथपाई, और ना ही प्यार से उसके सिर
पर हाथ फेरा। उनके पास इन सब के लिए फुर्सत ही कहाँ थी? बस एक रामू काका ही थे, जो उसकी हर सफलता पर घी के दिये जलाते, मिठाई
बनाते और पूरे मौहल्ले में उसकी सफलता के गीत गाते रहते।
एक दिन राघव ने बड़ी मासूमियत से रामू काका से पूछा– आपने शादी क्यों नहीं की, तो उन्होंने भी बड़ी ही सादगी
से कहा, “हमार तो पूरी दुनिया
आप हो राघव बाबा। शादी करते तो ना जोरु पे ध्यान दे पाते, ना बचवन पर, तो काहे के लिए शादी करते?”
उनकी ये बात राघव के दिल में गहरे तक बैठ गयी......
राघव के दिल में बैठी गहरी बात का सुमन और राजेश की ज़िन्दगी में क्या प्रभाव पड़ा, जानते हैं अकेली भाग -३ में