मोक्ष
मोक्ष क्या है? इसे कैसे प्राप्त कर सकते हैं?
आज कल इस तरफ बढ़ते रुझान का नतीजा है कि लोग ढोंगी बाबाओं की शरण में जा रहे हैं, जिसका बाबा लोग खूब फायदा उठा रहे हैं। हद तो यहाँ तक हो गयी है कि लोग आत्महत्या भी
कर रहे हैं।
जहाँ तक हमें समझ आता है, “मोक्ष” ईश्वर की प्राप्ति करना है। पर ईश्वर को प्राप्त कैसे किया
जाए? ये बहुत बड़ा सवाल है।
ईश्वर सर्वोपरि हैं, तो उनकी रचना भी सर्वोपरि होनी चाहिए, जिसमें ये सारी
सृष्टि है,
जीवन है।
स्वयं ईश्वर का कहना है, कि प्रत्येक प्राणी को अपना अपना कर्म करना चाहिए।
आप ईश्वर के किसी भी अवतार को देख लें, वो जब भी जिस रूप में आए,
उन्होने अपने कर्तव्यों से अपना मुख नहीं मोड़ा।
तब मोक्ष प्राप्ति कर्तव्यों से विमुख
होना या संसार को त्याग देना कैसे हो सकता है?
ईश्वर ने प्रत्येक प्राणी को जन्म, उद्देश्य
प्राप्ति के लिए दिया है। और
किसी भी उद्देश्य की प्राप्ति बिना कर्म के संभव नहीं है।
तब हमें क्या कर्म करने चाहिए?
जब बाल्यावस्था हो, तब हमे अध्ययन, उच्च संस्कार, शारीरिक विकास की ओर अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना चाहिए।
जब युवावस्था में हों तब जो भी कार्य हमने चुना है, उसके
प्रति पूर्ण निष्ठा
रखनी चाहिए। और यहाँ से हमारे कर्म बढ़ते ही जाते
हैं।
जब हम विवाह सूत्र में बंध चुके हैं, तब अपने
जीवन साथी,
और अपने व उनके सभी
परिवारी जन का विशेष ध्यान रखें।
जब माता-पिता बन जाते हैं, तब
हमारा कर्तव्य सबसे
अधिक बढ़ जाता है, कि
हम अपने बच्चों का सर्वांगीण विकास करें, अर्थात
न केवल उच्च शिक्षा प्रदान करें, अपितु
उनमें उच्च
संस्कारों का भी संचार करें।
क्योंकि यदि हमारे बच्चे का पूर्ण विकास होगा तभी समाज का, देश का विकास होगा।
ये तो हुई कर्म की बात।
पर इससे मोक्ष कैसे प्राप्त होगा?
जब आप एक नन्हें शिशु की किलकारी सुनेंगे तब जो सुख मिलेगा, वो
मोक्ष है।
जब आप
अपना कार्य अच्छे से करेंगे,
तो उससे दूसरों को जो
खुशी मिलेगी, उसके बदले में वो आपका शुभ हो, इसकी कामना करेंगे, वो मोक्ष है।
पति,
या पत्नी को आपकी
सेवा से जो संतुष्टि मिलेगी,
और सातों जन्म में वे आपकी कामना करें, वो मोक्ष है।
माता-पिता
की सेवा से मिलने वाला आशीर्वाद मोक्ष है।
बच्चों के सर्वांगीण विकास से मिली संतुष्टि मोक्ष है।
समाज व देश के विकास में योगदान दे कर
अपने जीवन को लक्ष्य प्रदान करने की अनुभूति मोक्ष है।
आपके सुकर्मों के कारण आपके जाने के बाद भी आपको समाज का याद करना मोक्ष है।
वो गीत अक्षरश: सही है
संसार से भागे फिरते हो, भगवान को तुम क्या पाओगे......
जी हाँ
कर्म ही जीवन है, और उससे मिलने वाली हर छोटी-बड़ी खुशियाँ ही मोक्ष है।
ऐसा
मेरा मानना है, आप के
इस बारे में क्या विचार हैं? मैंने
अपने विचार आपके सम्मुख रखे, आप भी अपने विचार व्यक्त करें। विचार वो नदी है जितना
बहेगी उतना बढ़ेगी।