Monday 26 November 2018

Story Of Life : जुनून


जुनून


नित्या बहुत ही प्यारी सी सुंदर सी लड़की थी। शांत, सुशील हर काम में निपुण। पर साथ ही उसके अंदर एक ऐसा जुनून भी था, जिसे वो किसी को बताती तो नहीं थी। पर जब कभी उसे मौका मिलता, वो उसे पूरा भी करना चाहती थी।
उसके माँ या पापा जब भी किसी को बताते कि इसमे ये हुनर तो बचपन से था। तो उसके चहरे पर मीठी मुस्कान छा जाती। पर अपने जुनून के बारे में अपने माँ-पापा से कुछ नहीं कह पाती थी। उनका पढ़ने-लिखने का परिवार था। वो भी पढ़ने में बहुत होशियार थी, तो सबने उसको ले कर बड़े-बड़े सपने सजा रखे थे।
एक दिन TV पर dance program आ रहा था, तब वो भी वहीं बैठी थी। माँ-पापा आपस में बात कर रहे थे। नाचना, गाना तो शौक रहें, तब ही तक अच्छे लगते हैं। इनका भी कोई भविष्य है। ये सुन कर नित्या एकदम से गुमसुम हो गयी। वो समझ गयी थी, उसके माँ-पापा कभी भी उसके dance के जुनून को नहीं समझेंगे।
उस दिन से नित्या का कहीं भी मन लगना बंद हो गया। अब वो कोई भी काम ठीक से नहीं कर रही थी, यहाँ तक कि उसका अब पढ़ाई में भी मन लगना बंद हो गया।

नित्या की गिरती performance से उसके माँ-पापा, teachers सब परेशान रहने लगे।  पर कारण कोई भी नहीं जान पा रहा था। क्योंकि नित्या कभी किसी को अपने मन की बात नहीं बताती थी।
एक दिन उसके पापा के office में एक बहुत बड़ा dance competition था। माँ-पापा ने सोचा, नित्या को भी बोल देते हैं। dance करना उसे पसंद है। शायद उसका थोड़ा मन बदल जाए।
Dance का नाम सुनते ही नित्या का मनमयूर नांच उठा। उसने इतनी अच्छी performance की, कि सब के सब वाह वाह कर उठे।
Program के organizer ने नित्या के पापा से बोला, आपकी बेटी तो बहुत बड़ा Star बन सकती है। आप इसको dance की field में ही डाल दीजिये।
उसके पापा ये सुन के भड़क गए, बोले अरे आप ये क्या बोल रहे हैं। ये मेरी बेटी का सिर्फ शौक है। वो पढ़ने में बहुत तेज़ है। वो I.A.S, P.C.S. officer बनेगी। मुझे ये सब नहीं बनाना है उसे।
अरे Sir, आप क्यों भड़क रहे हैं। शांत मन से मेरी बात सुनिए तो सही। कोई भी, कोई काम क्यों करता है? नाम और शौहरत पाने के लिए ही ना, organizer बोले। हाँ, पापा ने कहा।
तो जनाब, अब ज़माना वो नहीं रहा, कि जो officer होगा, वही मान पाएगा। आज तो जो भी top पे है, दुनिया उसको सलाम करती है।
आपकी बेटी में तो वो हुनर है, कि उसे तराशने की भी आवश्यकता नहीं है। उसे तो नृत्य के ईश्वर साक्षात नटराज का आशीर्वाद प्राप्त है। उसके पंख मत काटिए, उसे उड़ने दीजिये। उसको गर्व करने दीजिये, कि आप उसके पिता हैं, जिन्होंने उसके सपने को सबसे पहला स्थान दिया ना की समाज को। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो शायद आपके पास सिवाय पछताने के कुछ नहीं होगा, क्योंकि तब आपकी नन्ही कली खिलने के बजाय सूख जाएगी।
उनके जाने के बाद नित्या के पापा का भी ध्यान गया, कि आज नित्या कितने दिन बाद खुश हुई है।
उन्होंने नित्या को dance performances करने की अनुमति दे दी। जब उसकी माँ ने सुना तो वो गुस्सा होने लगीं। तब उसके पापा ने उन्हें चुपके से दिखाया कि, जब से नित्या को मैंने बताया है, कि dance को अपना भविष्य बना सकती है, वो खिल गयी है।
माँ बोली, और समाज….. समाज को क्या बोलेंगे? वे बोले मैं उसका पापा हूँ, समाज नहीं, अब वही होगा जो मेरी बेटी चाहेगी। कुछ ही महीनों में नित्या के जुनून ने उसे top की choreographer ना दिया। तब दुनिया के साथ साथ माँ भी मान गयी कि, जो भी करो top  का होना चाहिए।
नित्या हमेशा अपने पिता को इसके लिया धन्यवाद देती थी। और पापा उस organizer को।