भारत को कोटि कोटि नमन
आज 15 अगस्त के महान दिवस में अपने देश की महानता की ओर दिल बरबस खिंचता चला गया, हम बहुत ही
भाग्यशाली हैं, कि हम इस महान देश
का एक अंग हैं। इसके विशाल हृदय की गाथा तो
युगों युगों से गायी जा रही है, और
आज भी भारत के हृदय में विशालता
यूं ही विध्यमान है।
अगर हम इतिहास देखें, तो
पाएंगे, जितनी भी विदेशी ताकतों ने भारत पर
आक्रमण किया, उन सभी का
भारत ने अतिथि के
रूप में ही स्वागत किया था। वो
तो इरादे उनके विकृत
थे, कि
वे जिस देश का खा
रहे थे, उसी
को लूटने के प्रयास
में लग गए। फिर वो चाहे,
यूनानी हों, मुगल हों
या अंग्रेज़।
महानता तो इस कदर है, मेरे
देश भारत की कि, जिन्होंने
भारत को बर्बाद करने
में कोई कसर नहीं छोड़ी, उनके
भी मासूम निवासियों को
ना केवल शरण दी हुई है,
बल्कि उन्हें सिर्फ अपने धर्म को मानते रहने की पूरी आज़ादी ही नहीं है, अपितु पूर्णतया सम्मान भी प्राप्त है।
आप ही सोचिए, ऐसा और
कौन सा देश है, जहाँ
उस देश के त्योहारों के अलावा अन्य देश के त्योहारों को भी पूरे हर्षो-उल्लास से
मनाते हैं, जैसे भारत में होली, दिवाली, राखी, बसंत, बैसाखी, पोंगल, आदि के साथ ईद, Christmas, New year, Friendship day, Valentine
day भी
मनाते हैं।
हमारा ही ऐसा देश है, जहाँ
सारे festival एक समान, उत्साह
व रीति- रिवाजों से मनाते
हैं।
हमारे देश की ऐसी विशालता को उसकी कमजोरी, या मूर्खता
समझने की भूल नहीं करनी चाहिए। जो महान है, उसकी
महानता के लिए
नतमस्तक रहना चाहिए।
अब भारत की ज्ञान गंगा में भी बह लेते
हैं। फिर चाहे, हमारे ऋषि मुनियों
दारा ज्ञात की गयी जड़ी-बूटियाँ हों, त्रेता व द्वापर युग
की special techniques हों, आर्यभट्ट का zero का आविष्कार हो, श्रीनिवास रामानुजन के गणितीय खोज हों या सत्येंद्र
नाथ बोस के quantum
statistics के सिद्धांत हों, जो उन्होने Einstein
से पहले ही बता दिये
थे।
नासा ने computer programming
के लिए संस्कृत भाषा को ही सर्वाधिक उचित घोषित
किया है, जिससे ये पूर्णतः सिद्ध होता है कि संस्कृत एक वैज्ञानिक
भाषा है। राष्ट्रीय भाषा
हिन्दी की वर्णमाला तक भी सैद्धांतिक है।
कहाँ तक लिखें? इस विषय में जितना भी लिखेंगे कम ही होगा। ये सभी यही दर्शाते हैं कि ज्ञान और
विज्ञान में भारत सबसे आगे है।
अगर हम योग्यता की बात करें, तो भी यही
पाएंगे, कि
चाहे भारत हो, या
विदेश का कोई भी कोना, उच्च
पदों पर भारतीय विद्यमान होंगें।
आज विदेशों की बहुत सी संस्थाओं के साथ WTO, UN आदि में भारत को एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।
हम अपने परिवार के लिए तो जागरूक और समर्पित रहते ही हैं। आज के इस पवन
दिवस से अपने जीवन के कुछ क्षण देश की जागरूकता, और
विकास में भी लगाएँ।
और क्यों ना हम इसे पहले के समान पुनः
सोने की चिड़िया बनाए, जहाँ प्यार, अपनापन, संस्कार, विश्वास, आस्था, समृद्धि, संपन्नता, शांति
और स्वछ्ता थी।
अपने विशाल व महान भारत को मेरा कोटि-कोटि नमन!
कल मैंने स्वतंत्रता दिवस पर एक कविता भी post करी थी। उसे भी अवश्य पढ़ें और अपने विचार एवं भाव व्यक्त करें।