मजदूर दिवस में, हमको
आज व्याप्त है, हर ओर कोरोना।
दुःखी है, जग का कोना कोना।।
हम मजदूरों पर, दुःख और भी भारी।
भूख ने तोड़ दी, कमर हमारी।।
हम मजदूर हैं, मजबूर नहीं।
हम हार ना, उससे मानेंगे।।
कोई हमको, तोड़ नहीं सकता।
हम खुद को, मजबूत बना लेंगे।।
हम सृष्टि के निर्माता हैं।
हम उसके सृजनकर्ता।।
गर हम नहीं होते।
घर किसी का नहीं बनता।।
हमने हरपल, साथ दिया सबका।
आज तुम्हारी है बारी।।
गांव पहुँच सकें अपने।
बस इतनी कर दो तैयारी।।
शहर में, करने को नहीं कुछ।
हम खाली, बैठ नहीं सकते।।
गर, गांव पहुंच गए अपने।
हम, अनाज बहुत उगा सकते।।
जब तक हैं, हम भारत में।
भारत को, ना झुकने देंगे।।
सृजन करेंगे, हम इतना।
आर्थिकता ना गिरने देंगे।।
मजदूर दिवस में, हमको।
इतना सशक्त बना दो।।
अपने परिवार के साथ हों हम।
बस इतनी व्यवस्था करा दो।।
आज कोरोना-काल में सबसे दुखी और मजबूर, मजदूर ही है। उसके बावजूद, वो ऐसा कोई कृत्य नहीं कर रहे हैं, जिससे देश को हानि हो।
उनकी सिर्फ इतनी चाहत है कि उन्हें उनके गांव भेज दिया जाए, जिससे वो अपने परिवार के साथ रह सकें।
उन्हें भी सिर्फ कोरोना से युद्ध करना पड़े, भूख और लाचारी से नहीं।
साथ ही वो गांव पहुंच कर खेती-बाड़ी कर सकें, जिससे देश में भोजन का आकाल ना हो।
मजदूर दिवस पर यदि हम किसी तरह इनकी मदद कर सकते हैं, तो अवश्य करें।
क्योंकि जब तक यह सुखी हैं, भारत का भविष्य उज्जवल है।
🙏🏻 🙏🏻