प्यार और समय
राजू और सूरज नए नए दोस्त बने थे। राजू के पापा
बहुत बड़े businessman थे, इसलिए उनका
बहुत सारा समय business की देखरेख में जाता था। अतः वो राजू
को अपना समय नहीं दे पाते थे। राजू की माँ भी बहुत कम समय घर में रहती थीं। उनका
अधिकतर समय kitty party या ladies meeting या gossip में जाता था इससे राजू बहुत अकेला अकेला रहता
था।
सूरज के पापा बैंक में manager थे। Office से आने के बाद उन्हें जो समय मिलता था, उस समय में
वो सूरज के साथ बातें करते या उसके साथ खेलते थे। और सूरज की माँ घर में सबकी पसंद
का बहुत ध्यान रखती थी। वो हमेशा सूरज की पसंद का खाना बनाती थीं। उसको पढ़ाती, उसके संग खेलती भी थीं।
होली आने वाली थी, सूरज अपने
पापा के संग पिचकारी लेकर आया। घर में आते से ही उसे बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी।
उसकी माँ उसकी पसंद की मठरी, दालमोठ आदि बना रहीं थीं। सूरज
माँ के गले लग कर बोला, माँ पापा ने मुझे बहुत अच्छी पिचकारी
दिलाई है। और आप भी मेरे लिए कितना कुछ बना रहीं हैं। आप दोनों कितने अच्छे हैं।
आज मैं पेट भर के गुझिया खाऊँगा।
माँ ने कहा, खा लेना। लेकिन
गुझिया तो मैं कल बनाऊँगी होलिका दहन की पूजा के बाद तुम जो चाहो वो सब खा लेना।
सूरज बोला, मैं राजू के साथ खेलने जा रहा हूँ। अपनी पिचकारी
भी उसे दिखाने ले जा रहा हूँ। सूरज अपनी पिचकारी के साथ राजू के घर चला गया।
राजू, सूरज को अपने
कमरे में ले गया। वहाँ चार बड़ी बड़ी पिचकारियाँ रखीं थीं। table पर बहुत सारा रंग, गुलाल, कई
सारे मुखौटे, रंग वाले गुब्बारे, आदि
रखे हुए थे।
सूरज ने अपनी पिचकारी छुपा ली। क्योंकि उसकी
पिचकारी बहुत छोटी थी। वो उसे राजू को दिखा कर अपना मज़ाक नहीं उड़वाना चाहता था। पर
तब तक राजू ने सूरज की पिचकारी देख ली थी। उसने कहा, तुम्हारी
कितनी सुंदर cute सी पिचकारी है।
फिर दोनों लोगों ने ये decide किया कि इस होली में दोनों एक दूसरे के घर में रहेंगे। बच्चों की ज़िद पर
दोनों के मम्मी पापा मान गए।
इस होली में सूरज के पास बहुत बड़ी बड़ी पिचकारियाँ थीं। खाने के लिए cake, chocolate, burger, pizza सब था। बस केवल साथ खेलने, बात करने को कोई नहीं था और होली के माँ के हाथ के बने कोई भी पकवान नहीं थे।
इस होली में सूरज के पास बहुत बड़ी बड़ी पिचकारियाँ थीं। खाने के लिए cake, chocolate, burger, pizza सब था। बस केवल साथ खेलने, बात करने को कोई नहीं था और होली के माँ के हाथ के बने कोई भी पकवान नहीं थे।
उधर राजू के पास पिचकारी तो छोटी थी पर सूरज के
मम्मी और पापा दोनों उसके संग होली खेल रहे थे। और राजू को सूरज की माँ के हाथों
के बने पकवान बहुत पसंद आ रहे थे। गुझिया तो राजू खाता ही जा रहा था। आधे घंटे में
ही सूरज अपने घर लौट आया।
उसने राजू को बड़ी पिचकारी देते हुए कहा- मुझे मेरी
छोटी पिचकारी वापस कर दो। मुझे अपने मम्मी पापा के पास ही रहना है, मुझे माँ के बनाए पकवान ही खाने हैं, माँ मुझे
गुझिया दे दीजिये। मुझे नहीं खाना pizza, chocolate, ये भी
कोई होली में खाता है?
राजू बोला, मुझे भी तुम्हारे
घर में ही मज़ा आ रहा है। तो सूरज के पापा बोले, दोनों खूब
होली खेल लो, गुझिया खा लो। फिर मैं राजू को उसके घर छोड़ आऊँगा।
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राजू के जाने के बाद सूरज अपने पापा मम्मी से बोला, आप दुनिया के सब से अच्छे मम्मी पापा हो। आप हमेशा मुझे ऐसा ही प्यार
कीजिएगा, ऐसे ही बहुत सारा समय दीजिएगा। इससे बढ़ कर दुनिया
में कुछ नहीं। अब से मैं कभी दूसरों की चीज़ें देखकर नहीं ललचाऊँगा। क्योंकि मैं समझ
चुका हूँ, प्यार और समय से बढ़कर कुछ नहीं।