अहम हर क्षेत्र में बहुत ही होनहार था, हर काम में नम्बर वन। पर एक ही कमी थी, उसे इस बात का बहुत अहं था, कि वो सर्वश्रेष्ठ है।
बस यही कारण था कि, उसकी किसी से ज्यादा दिन बनती नहीं थी।
सौम्या भी सर्वगुणसंपन्न थी, पर वो नाम सी ही, सौम्य और शांत स्वभाव की थी।
एक दिन अहम और सौम्या दोनों को एक ही project पर काम करना था।
दोनों ने बहुत अच्छा project तैयार किया। पर आदतन अहम, सौम्या से बोला, तुमने data and details तो बहुत अच्छी रखें हैं, फिर भी अभी project बनाने में तुम्हें बहुत कुछ सीखना है।
सौम्या यह सुनकर मायूस हो गई, आज तक सभी ने उसके काम की बढ़ाई ही की थी, फिर आज कहाँ कमी रह गई?
वो सोच ही रही थी कि board room से दोनों की call आ गई।
दोनों ने अपने अपने project को head के सामने रखा।
Project देखने के बाद head, सौम्या से बोलीं, इतना अच्छा project बनाने के बाद भी आप कम confident क्यों हैं?
सौम्या, अहम को देख रही थी, और अहम ऐसे सौम्या को देख रहा था, मानों कह रहा हो, मैंने तो पहले ही कहा था कि तुम perfect नहीं हो।
तभी head बोलीं, सौम्या आप का project select हुआ है।
यह सुनकर अहम को झटका लगा, कि उसके आगे कोई और कैसे निकल सकता है।
अहम जी, आप रुक जाएं, बाकी सब जा सकते हैं।
सबके जाने के बाद, head बोलीं, project आपका भी अच्छा था पर follow करने लायक नहीं।
क्या मतलब है आपका? अहम को ऐसा किसी ने कभी नहीं कहा था।
मेरा मतलब है कि आप और सौम्या दोनों के project एक से बढ़कर एक थे। यह कहना कि किस का ज्यादा अच्छा है, बोल पाना असंभव था।
पर आप के व्यवहार ने मुझे निर्णय लेने में सुविधा प्रदान कर दी।
आप कहना क्या चाहती हैं?
देखिए follow उसे किया जाता है, जो सबको लेकर चले, ना कि उसे, जिसे सबको नीचा दिखाना होता है।
आज पहली बार किसी ने अहम को आईना दिखाया था।
बाहर निकल कर, अहम सोचने लगा, सही बात थी, सौम्या का project किसी तरह से कम नहीं था।
अहम के अहं को ऐसी चोट लगी, कि वो बहुत अच्छे से समझ गया था कि, किसी को नीचा दिखाकर या व्यर्थ में छोटा साबित करने से आप आगे नहीं निकल सकते।
बड़प्पन सबको साथ लेकर चलने में होता है। सोच के इस बदलाव ने अहम को सबका प्रिय बना दिया।