आज आप सब के साथ मैं, इंदौर के श्री लक्ष्मी नारायण वर्मा मानव, जी के द्वारा भेजी गई कविता को साझा रही हूँ।
मुझे यह बताते हुए, अत्यंत दुःख हो रहा है कि श्री लक्ष्मी नारायण जी अब हमारे बीच नहीं हैं।😔
उनकी उत्कृष्ट रचनाओं में से चंद हमारे पास हैं, जिनमें से यह एक है। उनकी इच्छा थी, कि उनकी रचनाओं को साझा किया जाए।
अतः श्रृद्धांजलि स्वरूप हम उनकी उन रचनाओं को समय-समय पर साझा करते रहेंगे।💐🙏🏻
श्री लक्ष्मी नारायण जी आप को हमारा शत शत नमन 🙏🏻
प्रहार
है कोई यहाँ जो मानवता पर,
प्रहार को रोक सके।
कश्मीरी आतंकी केंसर,
भ्रष्टाचारी ऐड्स को रोक सके।
नित्य प्रति निरपराध,
अनगिनत मसीहे,
सलीबों पर,
लटकाए जा रहे हैं।
मठाधीश अपनी अपनी,
स्तुतियों में लीन,
समूचे राष्ट्र को,
भटकाए जा रहे हैं।
अहिंसा और शांति की,
ओट लेकर हिंसा और
क्रांति को हवा दे रहे हैं।
जान बूझकर,
स्वस्थ नागरिकों को,
विषमता की दवा दे रहे हैं।
अब भी समय है,
चेतना के शून्य स्वरों को,
उद्बोधन देने का।
बीहड़ों से लेकर,
अट्टालिकाओं तक,
स्वतंत्र संबोधन देने का।
खोजिए सर्व सम्मत,
समाधान जो सभी को,
उचित दिशा निर्देश दे सके।
ख़ाली हाथों को काम,
भूखे पेटों को रोटी,
प्यासे होंठों को पानी,
हर तन मन को
समुचित परिवेश दे सके।