अब तक आपने पढ़ा कि..... रधिया की माँ कैसे मासूम लड़कियों को अपना शिकार बनाती थी, पर एक दिन उसे पुलिस पकड़ के ले गयी, माँ के जेल जाने से शातिर रधिया युक्ति सोचने लगती है........
कोख (भाग- २)
अगले दिन भगवा
वस्त्र पहन कर वो उस दंपति के घर पहुँच गयी। और उस स्त्री
से मिल कर पूछने लगी, क्या हुआ? आपको बच्चे
नहीं हुए हैं। वो बोली नहीं, कोख में तो आ जाते हैं, पर फिर संभाल नहीं पाते
हैं। रधिया बोली, तो आपने किसी और की
कोख क्यों नहीं ली? किस की लूँ? ये सब क्या
इतना आसान है? रधिया बोली, मैं आपका दुख दूर करने
ही आई हूँ। पर इन सब में कुछ पैसे खर्च होंगे। पर आपके पास पैसे की क्या कमी है। आपको अपना
वारिस मिल जाएगा। रधिया की ऐसी बातें सुन कर वो तैयार हो गयी। रधिया बोली, मैं एक हफ्ते बाद आऊँगी।
वहाँ से निकलते ही वो एक गरीब बस्ती में गयी।
जहाँ औरतों के बच्चे तो थे, पर
उन्हें खिलाने को कुछ नहीं था।
रधिया ने रूपा
को बोला, तेरे
दो दो बच्चे
हैं, पर
तू उन्हें कुछ खिला तो पाती नहीं है। मेरे संग चल तुझे अमीर बना
दूँगी।
धंधा करवाएगी? रूपा
बोली। अरे चल, कैसी गंदी बात कर रही है, तू? रधिया बोली। नहीं रे मैं तो पुण्य का काम करवाउंगी।
अच्छा वो क्या है, रूपा ने पूछा? तेरी कोख
किराए पर चाहिए, बस।
फिर तू भी मालामाल, और वो भी खुश। पर सुन तू उनसे कुछ नहीं बोलेगी। मैं ही सारी बात करूंगी। रूपा अनपढ़ थी, फिर उसे पैसों की बहुत जरूरत भी थी। उसने हाँ कर दी।
फिर तू भी मालामाल, और वो भी खुश। पर सुन तू उनसे कुछ नहीं बोलेगी। मैं ही सारी बात करूंगी। रूपा अनपढ़ थी, फिर उसे पैसों की बहुत जरूरत भी थी। उसने हाँ कर दी।
रधिया दंपति से
मिली, फिर
उसने सौदा 10 लाख में तय किया। दस लाख उस दंपति के लिए कोई ज्यादा
नहीं थे, इसलिए वो तुरंत मान गए।
रधिया ने पाँच
लाख, डिलीवेरी
के पहले रूपा के रख-रखाव के लिए ले लिए। उसमें से उसने रूपा को हर महीने के 8,000
देने शुरू कर दिये। जिससे रूपा और उसके बच्चों का पेट भरने लगा। और उसे कहा कि 2 लाख डिलिवरी होने के बाद
दूँगी। रूपा के लिए 8हजार ही काफी थे। 2 लाख तो वो
कभी सोच भी नहीं सकती थी। उसे रधिया भगवान लगने लगी। यही हाल उस दंपति का
था। बच्चा मिलने की चाह में उन्होंने रधिया को 2 लाख और भी दे दिये, अब रधिया
रूपा को 10,000 देने लगी। बहुत ही सफलता पूर्वक डिलिवरी हो गयी। दंपति बच्चा पा कर
खुश थे। और रूपा अपने बच्चों की भूख मिटा कर।
दंपति की
खुशियों की खबर जब उनके जानने वालों को लगी, तो उन्हें भी अपने दुख दूर करने का रास्ता मिल गया। रधिया के पास वैसी ही 4 दंपति और आ गयी । उधर रूपा की बस्ती में
भी रूपा के सुख का कारण पता चला, तो वहाँ से और औरतें भी
आ गयीं।
अब तो रधिया का बिजनेस चल पड़ा।
वो सभी को अच्छा पैसा देती। और खुद भी अच्छा कमाने लगी। अब तो उसने वारिस नाम से एक अस्पताल भी
खोल लिया, जिसमे प्रेग्नेंट लेडिज को सब
सुविधा प्रदान होती थी। डॉक्टर भी रख
लिए, तो
डिलिवरी के लिए बाहर भी नहीं जाना पड़ता था। वो किसी भी औरत को 2 बार से ज्यादा बच्चे पैदा नहीं
करने देती थी।
5 साल बाद जब उसकी माँ जेल से वापिस आई। तब तक तो रधिया का खूब नाम हो चुका था। सब बड़े लोगों में
उसका उठना बैठना था। और पुलिस भी कभी उसे पकड़ने नहीं आई। रधिया की माँ उसके गले लग के बोली, बेटा मैं तो
इतना बड़ा सोच ही नहीं पायी। तू तो मुझसे भी आगे निकल गयी। और सबमें तेरा नाम भी हो
गया। मैं सोच ही नहीं पायी, औरत से महंगी तो उसकी
कोख है। इसमें सम्मान भी है, और जो तेरे
जैसा हो, वो
पैसे भी कमा ले।