वो बन गया आतंकवादी
अंकित बहुत ही भोला-भाला, निडर, शक्तिशाली, देशभक्त
युवक था। वो बहुत छोटा था, तब से उसने देश के लिए मर-मिटने
का फैसला कर लिया था।
उसी के गाँव में एक आतंकवादी संगठन भी था, जो गाँव के भोले-भाले निडर, शक्तिशाली युवकों को
बरगला कर अपने संगठन में शामिल कर लिया करता था।
पर पिछले कुछ सालों से संगठन में कोई भी नया युवक शामिल नहीं हो रहा था, और साथ ही पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने से आतंकवादियों का संगठन भी कमज़ोर होता जा रहा था। जिससे उसके सरगना को बहुत
चिंता होने लगी थी।
एक दिन सरगना ने अपने भाई को बुलाया, और कहा, मेरे पास अपने संगठन को बढ़ने के लिए एक idea
आया है। और उसने अपनी सारी योजना उसे बता दी।
अगले दिन ही गाँव, में कई
जगह विस्फोट हो गए। और जब पुलिस वहाँ पहुंची, तो, उसने भी सीधे-साधे गाँव के लोगों को ही परेशान करना शुरू कर दिया, कुछ को तो पुलिस पकड़ के भी ले गयी। उन्हीं में अंकित और उसके कुछ दोस्त
भी शामिल थे।
अंकित के जेल जाने से उसके बूढ़े पिता इस दुख में कि, वो जेल चला गया, इतने दुखी हो गए, कि वो बेहद बीमार हो गए। जब ये बात अंकित को पता चली, तो उसने पुलिस वालों से बहुत request की, कि उसे छोड़ दें।
उसका विस्फोट में कोई हाथ नहीं है,
पर पुलिस वालों ने उसे नहीं छोड़ा। दुखी हो होकर आखिरकार अंकित के पिता ने दम तोड़
दिया।
उसके बाद पुलिस ने अंकित को छोड़ दिया। अपने पिता को कंधा देते वक़्त अंकित के मन में अब सिर्फ एक ही बात घूम रही थी, कि मेरे पिता इन पुलिस वालों के कारण इस दुनिया से चले गए।
वो अपने घर में दुखी बैठा था, तभी सरगना का भाई उसके पास आया, और पूछने लगा, क्या अंकित भाई, अब सारी ज़िंदगी दुख में ही बिता
दोगे?
अंकित पूछने लगा, तुम कौन
हो भाई? वो बोला...
आगे पढ़ें वो बन गया आतंकवादी (भाग-2 ) में...