ऐसा क्यों (भाग - 1) .......और
ऐसा क्यों (भाग - 2)......के आगे .....
ऐसा क्यों (भाग - 2)......के आगे .....
ऐसा क्यों (भाग -३)
कुछ ही दिनों में सुंदर ने मुखिया का इतना अधिक विश्वास जीत लिया, कि वो उसका मुख्य साथी बन गया। अब तक उसे दल के चप्पे चप्पे की खबर मिल चुकी थी।
उसने सबकी खबर अपने wireless द्वारा air marshal को भेज दी, साथ ही ये बताया, कि इनका अगले हफ्ते हमारे देश के सबसे बड़े जलसे में धमाका करने का इरादा है। पर आप बिल्कुल भी परेशान मत हों, मेरे रहते इन्हें कामयाबी नही मिलेगी। आप बस कल किसी को plane के साथ border पर भेज दीजिएगा।
उसके बाद सुंदर ने सारे खेमे में बारूद बिछा दी। वो बस धमाका करने ही वाला था, कि उसे शमशेर ने देख लिया, वो सुंदर से बहुत ही चिढ़ता था। क्योंकि सुंदर के आने से पहले वही मुखिया का मुख्य साथी था। उसे सुंदर पर शक था, इसलिए वो उस पर हमेशा नज़र रखता था।
शमशेर को अपने नजदीक आता देखकर उसने तुरन्त ही बटन दबा दिया। उससे खेमा तो उड़ गया, पर सुंदर दूर नहीं हट पाया, जिससे उसने अपना सीधा हाथ गंवा दिया।
तभी वहाँ air force के दो plane आ गए, उन्होंने शमशेर को मार दिया व सुंदर को ले कर लौट आए।
सुंदर की वीरता के चर्चे, पूरे देश में हो रहे थे, सब उससे मिलने को आतुर थे। अपने देश में पहुँचने के बाद उसके कई तरह के test हुए, जिसमे उसकी body checkup, physiological test, lie detector और भी ना जाने कितने test हुए। सभी टेस्ट उसने clear कर लिए। उसे वीरता का पुरस्कार भी मिला।
सुंदर बहुत ही खुश था, उसने अपने दादाजी और पिता दोनों का ही भांति अपना वीरता में नाम रोशन कर लिया था।
एक हफ्ते की छुट्टी के बाद सुंदर ने फिर से फोर्स join कर ली। उसे air marshal ने उसे अपने पास बुलाया, और कहा अब तुम fighter plane नहीं उड़ा पाओगे, इसलिए...
Fighter plane न चला पाने की अवस्था, का क्या परिणाम हुआ?
जानने के लिए पढ़ें, ऐसा क्यों (भाग - 4)...