Tuesday 8 November 2022

Article: गुरु नानक जन्मोत्सव- प्रकाश पर्व क्यों?

  गुरु नानक जन्मोत्सव  - 

प्रकाश पर्व क्यों?




आज कार्तिक पूर्णिमा है, यह दिन हमारे लिए विशेष है, क्योंकि इस दिन एक महान संत, गुरु, समाज निर्माता गुरु नानक देव जी का जन्मोत्सव है।

गुरु नानक जी जन्म को गुरपुरब या प्रकाश पर्व भी कहा जाता है।

गुरु नानक जी के जन्म को गुरपुरब या गुरु पर्व कहते हैं। 

यह क्यों कहा जाता है, वो समझ आता है, क्योंकि गुरु नानक देव, सिख धर्म के प्रथम गुरु व संस्थापक थे, तो उनके जन्मोत्सव को गुरु पर्व या गुरपुरब कहा जाता है।

पर प्रकाश पर्व क्यों? 

आइए आज आपको इसी सोच से रूबरू कराते हैं- 

 प्रकाश पर्व 

बात उन दिनों की है, जब भारत में बहुत सी कुरितियां और बहुत से मत बन गए थे।

मूर्ति पूजा का बहुत ही अधिक बोलबाला था। ब्राह्मणों का वर्चस्व था और आधिपत्य भी। जिसके साथ ही अंधविश्वास भी था, कुछ रुढ़ियां और कुसंस्कार भी।

ऐसे समय में गुरुनानक देव जी, एक प्रकाश पुंज के रूप में सबके सामने ईश्वर के अवतार के रूप में अवतरित हुए।

गुरुनानक देव जी ने मूर्तिपूजा को निरर्थक माना और हमेशा ही रूढ़ियों और कुसंस्कारों का विरोध करते रहे।

नानक जी के अनुसार ईश्वर कहीं बाहर नहीं, बल्कि हमारे अंदर ही है। उन्होंने आत्मचिंतन पर विशेष बल दिया। उनका कहना था कि जब ईश्वर स्वयं आप में और कण कण में विद्यमान हैं तो क्यों मूर्ति पूजा करनी है? 

उनके अनुसार ईश्वर प्राप्ति, मूर्ति पूजा से नहीं बल्कि मानवता और आत्मचिंतन के द्वारा होती है।

गुरुनानक जी के विचारों से समाज में परिवर्तन हुआ। नानक जी ने करतारपुर (पाकिस्तान) नामक स्‍थान पर एक नगर को बसाया और एक धर्मशाला भी बनवाई। 

नानक देव ने पूरे जीवन में दूसरों के हित के लिए काम किए। 

उन्होंने हमेशा समाज में बढ़ रही कु​रीतियों और बुराइयों को दूर किया, साथ ही लोगों के जीवन को सुखद बनाने का काम किया नानक देव ने दूसरों के जीवन को संवारने के लिए अपने पारिवारिक जीवन और सुख की चिंता कभी नहीं की।

दूर दूर यात्राएं करते हुए वे बस दूसरे लोगों के जीवन में प्रकाश भरते रहे। उनके दुःख दूर करते रहे।

इसलिए सिख समुदाय के लोग नानक को भगवान और मसीहा मानते हैं और उनके जन्मदिवस को प्रकाश पर्व के तौर पर मनाते हैं। 

चलिए अब थोड़ा ध्यान गुरु नानक देव जी के जीवन से जुड़ी बातों पर भी दे देते हैं- 


सिखों के प्रथम गुरु थे नानक देव

गुरु नानक सिखों के प्रथम गुरु थे. उन्होंने ही सिख समुदाय की स्थापना की थी। नानक का जन्म 15 अप्रैल 1469 को तलवंडी नामक जगह पर हुआ था जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित ननकाना साहिब (Nankana Sahib) में पड़ता है।

 इस स्थान का नाम नानक देव के नाम पर ही पड़ा था। इस स्थान पर आज भी गुरुद्वारा बना है, जिसे ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है। 

इस गुरुद्वारे का निर्माण शेर-ए पंजाब नाम से प्रसिद्ध सिख साम्राज्य के राजा महाराजा रणजीत सिंह ने कराया था। आज भी तमाम लोग इस गुरुद्वारे में दर्शन के लिए दूर दूर से आते हैं।

अंगददेव को बनाया था अपना उत्तराधिकारी

नानक देव ने अपना पूरा जीवन मानव सेवा में लगा दिया। इस दौरान उन्होंने ना केवल भारत, बल्कि दूर देशों जैसे अफगानिस्तान, ईरान आदि की भी यात्राएं कीं और लोगों के मन में मानवता कीजिए अलख जगाई। 

1539 में करतारपुर (जो अब पाकिस्तान में है) की एक धर्मशाला में उन्होंने अपने प्राण त्यागे. लेकिन मृत्यु से पहले उन्होंने अपने शिष्य भाई लहना को उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था जो बाद में सिखों के दूसरे गुरु अंगद देव कहलाए। 

भारत में हर त्यौहार को विभिन्न प्रकार से आयोजित किया जाता है, तो गुरु नानक देव जी के जन्मोत्सव को कैसे आयोजित करते हैं, वो भी देख लेते हैं

नानकदेव का जन्मोत्सव

हर साल नानक देव के जन्मोत्सव को उनके भक्त बड़े हर्ष और उल्लास के साथ आयोजित करते हैं। 

सुबह के समय ‘वाहे गुरु, वाहे गुरु’ जपते हुए प्रभा​त फेरी निकाली जाती है। इसके बाद गुरुद्वारों में शबद कीर्तन किया जाता है और लोग रुमाला चढ़ाते हैं।

शाम के समय लंगर का आयोजन होता है। नानक देव के भक्त उनकी बातों का अनुसरण करते हुए मानव सेवा करते हैं और गुरुवाणी का पाठ करते हैं। 

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आप सभी को कार्तिक पूर्णिमा, गुरु नानक जयंती, गुरु पर्व, प्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐 🎉