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दिल का रिश्ता (भाग -2 )
उसने चारों तरफ देखा, पर वहाँ दूर दूर तक कोई नहीं था।
पर वो आगे भी नहीं बढ़ पा रहा था। ना जाने क्या वजह थी?
कुछ देर तक इसी उहापोह में रहा, फिर वो वापस station लौट आया।
पर station में बहुत देर तक कोई गाड़ी नहीं जानी थी।
राहुल को समझ नहीं आ रहा था, वो कहाँ जाए?
वो फिर उस ओर पलट गया, जहाँ रीना रहती थी।
वहाँ पहुंच कर वो घंटों खड़ा, बहते पानी को देख रहा था।
तभी उसे लगा जैसे वो लहरें उसे एक ओर लिए जा रहीं हैं। उसने अपने शरीर को एकदम ढीला छोड़ दिया।
आधे घंटे पानी में तैरने के बाद वो एक निर्जन सी जगह पहुंच गया।
वहाँ ना पानी था, ना कोई इंसान।
तभी एक तेज हवा का झोंका आया और साथ ही कुछ घुटी हुई सी आवाज़।
राहुल उस ओर ही चल दिया, उसके दिल में कुछ पा जाने सी कशिश थी।
जब वो वहाँ पहुंचा, तो उसने देखा, वो रीना थी, शायद रीना का प्यार ही राहुल को खींच रहा था, और वो ही राहुल को लहरों में समा जाने से रोक रहा था। पर रीना एकदम निश्चेत पड़ी थी, फिर वो आवाज़ किस की थी?
यह सोचता हुआ राहुल, रीना को उठाकर बेतहाशा दौड़ने लगा, क्योंकि रीना की चंद सांसें ही बची लग रही थी, वो रीना को खोना नहीं चाहता था।
जैसे-तैसे वो रीना को लेकर station पहुंचा, वहाँ उसे first aid दिलवाई और जरुरत की tablets लीं।
अभी train भी खड़ी मिली। वो जल्द से जल्द अपने शहर लौटना चाहता था।
अपने शहर पहुंचते ही वो रीना को लेकर स्टेशन से ही उस hospital में पहुंचा, जहाँ रीना job करती थी।
रीना का तुरन्त treatment start हो गया।
रीना की दोस्त रिया, राहुल से आकर बोली, रीना pregnant है।
राहुल यह सुनकर समझ नहीं पाया कि वो कैसे खुश हो? क्योंकि रीना की हालत गंभीर बनी हुई थी।
रिया बोली, राहुल तुम्हारा और रीना का रिश्ता इतना गहरा है कि उसने ना केवल रीना, बल्कि तुम्हारे बच्चे को भी बचा लिया है।
रीना को अभी कुछ महीने hospital में ही गुजारने होंगे, पर हम दोनों को सुरक्षित रखने की पूरी कोशिश करेंगे।
एक महीने hospital में बीते, फिर राहुल ने घर में ही सारी facilities arrange कर लीं।
वो रीना को घर ले आया, और जी जान से उसी में लगा रहता।
रीना पूरी तरह से ठीक हो गयी।
फिर वो दिन भी आ गया, जब उनके प्यारी सी बेटी ने जन्म लिया।
रिया ने दोनों को बधाई दी और कहा, रीना तुम्हारे प्यार ने तुम्हें बचा लिया।
राहुल और रीना, दोनों एक साथ बोले, हमारी बेटी ने हमें बचाया है। राहुल समझ चुका था, वो आवाज़ जो उसे अपनी तरफ खींच रही थी, वो रीना की नहीं उसकी बेटी की थी।
राहुल और रीना ने बहुत प्यार से उसका
नाम परी रखा।
आखिर उस नन्ही सी परी ने ही अपनी माँ को जिंदा रखा था, और अपने पिता को अपनी माँ के पास लाया था।
उनके दिल के रिश्ते को अटूट रखा था।