Story Of Life : सुहागन या कुँवारी (भाग- 1) के आगे......
कैसी बात कर रहीं हैं, माँ? आप अच्छे से जानती हैं, मेरी ज़िन्दगी में आरती की जगह कोई नहीं ले सकता।
आगे पढ़ें, सुहागन या कुँवारी (भाग -3)में......
Story Of Life : सुहागन या कुँवारी (भाग -2 )
अनंत बेटे के प्यार में, और सबको दिखाने के लिए normal रहने लगा, पर दिल उसका अभी भी आरती में ही अटका था।
अनंत के office में निकिता
ने join किया, बेहद ज़िंदादिल, हंसमुख थी वो। कैसी भी विषम परिस्थिति हो, वो हमेशा
positivity से लिया करती थी। उसके आने से पूरे office
का माहौल ही बदल गया था।
एक दिन office में family
get-together था, तो अनंत की family भी आई थी, वहाँ उनकी मुलाक़ात निकिता से हुई। उससे मिलके, सबको बहुत अच्छा लगा।
get-together था, तो अनंत की family भी आई थी, वहाँ उनकी मुलाक़ात निकिता से हुई। उससे मिलके, सबको बहुत अच्छा लगा।
अनंत की माँ ने तो उसे, अपने घर में होने वाली कथा में भी बुला लिया,
निकिता भी तुरंत मान गयी।
अनंत के घर में निकिता को भी बहुत अच्छा लगा, जाते समय वो
अनंत की माँ से कहने लगी, मैं तो अनाथ
हूँ, परिवार का प्यार क्या होता है, कभी
जाना ही नहीं, पर आप सबसे मिलके बहुत अच्छा लगा।
अनंत की माँ बोली, तुम्हारा
ही घर है, बिटिया आती रहना।
अब तो आए दिन निकिता का आना, जाना होने लगा। एक दिन अनंत की माँ भी अनंत के साथ आरती को देखने hospital
गयीं।
आज भी डॉक्टर नहीं बता पा रहे थे, कि और
कितने दिन लगेंगे आरती को ठीक होने में।
अनंत की माँ से रहा नहीं गया, वो अनंत से बोलीं, आज पूरे पाँच साल हो गए, पर आरती ठीक नहीं हुई, और भी ना जाने कितने दिन और
लगेंगे।
बेटा कब तक उसके इंतज़ार में ऐसे ही घुलता रहेगा, मेरी मान, अपनी ज़िंदगी की दुबारा शुरुआत कर ले, निकिता कितनी प्यारी लड़की है। तेरी सूनी ज़िन्दगी में फिर बहार ले आएगी।
कैसी बात कर रहीं हैं, माँ? आप अच्छे से जानती हैं, मेरी ज़िन्दगी में आरती की जगह कोई नहीं ले सकता।
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