श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व, जिसके आते ही बच्चों से बड़ों तक सबमें अलग ही उत्साह होता है।
जन्माष्टमी में, कान्हा की बाल लीलाओं की सरलता है, तो कठिन व्रत की संयमता भी, ढेरों पकवान की सुगंध है तो सुरीले भजन की सरसता भी, अपनों का साथ है तो मस्ती की रात भी...
आज उनकी छवि को उकेरता, एक भजन साझा कर रहे हैं। भजन में विशेषता होती है कि अगर उसे दिल से प्रभू के ध्यान में गाएं तो लगता है मानो, प्रभू साक्षात, अपनी मुरली की तान, मधुर मुस्कान लिए मनमोहक चाल में आकर अपनी लीलाएं प्रदर्शित कर रहे हों🙏🏻🙏🏻
आए आए हमारे कान्हा जी
बाजे बाजे मुरलिया,
बाजे रे।।
आए आए हमारे,
कान्हा जी रे।।
कान्हा की मुरली की,
तान निराली;
सुन सुन हो रही,
दुनिया मतवाली।
आए आए हमारे कान्हा जी।।
बाजे बाजे मुरलिया,
बाजे रे।।
आए आए हमारे,
कान्हा जी रे।।
कान्हा की,
मुस्कान निराली;
रीझ रीझ हो रही,
दुनिया मतवाली।
आए आए हमारे कान्हा जी।।
बाजे बाजे मुरलिया,
बाजे रे।।
आए आए हमारे,
कान्हा जी रे।।
कान्हा की,
चाल निराली;
देख देख हो रही,
दुनिया मतवाली।
आए आए हमारे कान्हा जी।।
बाजे बाजे मुरलिया,
बाजे रे।।
आए आए हमारे,
कान्हा जी रे।।
कान्हा की,
लीलाएँ निराली;
सोच सोच हो रही,
दुनिया मतवाली।
आए आए हमारे कान्हा जी।।
बाजे बाजे मुरलिया,
बाजे रे।।
आए आए हमारे,
कान्हा जी रे।।
आप सभी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ 💐🙏🏻
प्रभु की कृपा हम सब पर सदैव बनी रहे 🙏🏻🙏🏻
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