Thursday 25 April 2019

Story Of Life : गलत फैसला (भाग - 3)


अब तक आपने पढ़ा कि नन्दा और नीलेश की इकलौती बेटी निर्झर आज के रंग में रंगी बिगड़ैल लड़की है जिसने अपने चारों तरफ एक झूठी दुनिया बनाई हुई है। उसका विवाह मनन से हो जाता है, पर उनके बीच बहुत जल्दी तकरार शुरू जो जाती है......    

गलत फैसला (भाग - 3)



बेटी का ऐसा फोन सुनकर, आज नन्दा पहली बार हिल गयी थी।उसने नीलेश से कहा, हमारी बेटी आज बहुत गलत फैसला लेने जा रही है।

नीलेश ने कहा, आज तुम्हें याद आ रहा है? कि वो हम दोनों की बेटी है। जब उसने पहला कदम गलत उठाया था, तब भी मैंने रोका था। पर तब तो तुम्हें समझ नहीं आया था, कि बेटी की गलती को बढ़ावा ना दो। 

मुझसे तुम कोई उम्मीद नहीं रखना, कि मैं तुम लोगों का इस में साथ दूंगा। कुछ ही दिन में मैं retire होने वाला हूँ, और जमा पूंजी का बहुत बड़ा हिस्सा मैं निर्झर की शादी में लगा चुका हूँ।

कैसी बात कर रहे हो नीलेश, क्या मैं जानती नहीं हूँ अपनी अर्थव्यवस्था को? निर्झर के तो शौक भी काफी महंगे हैं। अब क्या होगा? वो बेटी है, हम दोनों की, उसे बीच भंवर में तो नहीं छोड़ सकते हैं। 

नीलेश बोला ठीक है, मेरी बेटी है, इसलिए तुम्हारा साथ दे दे रहा हूँ। पर आज तुम वही बोलोगी, जो मैं कहूँगा। और अगर तुमने वैसा नहीं कहा, तो बेटी तो बाद में घर छोड़ेगी, मैं तुम्हें पहले घर से निकाल दूंगा।

नीलेश की ऐसी बातें सुनकर नन्दा अंदर तक काँप गयी, वो जानती थी, नीलेश अपनी बातों का पक्का है।

उसने तुरंत ही निर्झर को फोन किया, और कहा, निर्झर तुम अपनी ससुराल में ही ठीक हो, मनन उतने भी बुरे नहीं हैं। उनसे बना कर रखा करो। जहाँ तक रही उनके परिवार की बात, तो उन्होंने तुम्हें कभी हम से अलग करने की कोशिश नहीं की, तो तुम क्यूँ ये सोचती हो? अपनों को कोई यूं छोड़ता है क्या? अपनों से ही दुनिया है। 

शादीशुदा ज़िंदगी वैसी नहीं होती है, जैसी फिल्मों या सीरियलों में दिखाई जाती है।  हरदम romance, हरदम मस्ती, सैर- सपाटा। असलियत में ज़िंदगी का अर्थ है, adjustment.  जो दोनों को एक दूसरे के लिए करने होते हैं। मनन और परिवार का साथ चाहती हो, तो उनसे जुड़ो, ना कि अलग होने का मन बनाओ। कभी भी किसी से भी तो तुम्हारी पटती नहीं है।

आज हम हैं, कल को नहीं होंगे। तब कौन साथ देगा, तुम्हारा? 

कैसी बात कर रही हो माँtwitter और facebook पर मेरे बहुत सारे दोस्त हैं।

नहीं, कोई भी नहीं है। जो वाकई थे, तुमने उन्हें भला-बुरा कह कर दूर कर दिया है। और अब जो हैं, वो सब तुम्हारी मूर्खतापूर्ण बातों का मज़ा लेने के लिए जुड़े हैं। और तुम्हारा साथ देने का झूठा दिखावा भी इसलिए ही करते हैं, जिससे तुम ऐसे ही उनका entertainment करती रहो। 

और हाँ हर बात पर माँ-माँ, मत किया करो, बड़ी हो गई हो तुम, पति पत्नी की हर बात सबको पता चलने से रिश्ते में दूरी ही आती है। ये बात तुम समझ लो, और मनन को भी धीरे धीरे समझाओ। 

कुछ बातें प्यार से, कुछ मुनहार से सुलझ जाती हैं इसलिए भूले से भी मनन को छोड़ने की बात मत करना। आज कुछ अच्छा सा बना लेना, और हाँ खीर बनाना मत भूलना, मनन को बहुत पसंद है। कह कर नन्दा ने फोन रख दिया।

माँ की ऐसी बातें सुन कर निर्झर पर तो गाज ही गिर गयी, उसने माँ के इस रूप की कभी कल्पना भी नहीं की थी।

क्या नन्दा की बातों का निर्झर पर कुछ असर पड़ेगा, या वो कोई गलत फैसला ले लेगी? जानते हैं  गलत फैसला (भाग-4) में