आज 5 जून को विश्व-पर्यावरण दिवस है। बढ़ते हुए प्रदूषण
को देखते हुए मुझे अपनी बेटी की रचित कविता
को आप सब के समक्ष रखने की इच्छा जाग्रत हुई।
क्या होता है पर्यावरण ?
क्या है उसका संरक्षण ?
कूड़े के पहाड़ बढ़ रहे,
धुएँ के अंबार बढ़ रहे।
नित नई फैल रही बीमारी,
त्रस्त हो रही दुनिया सारी।
कम हो रही हरियाली,
गुम हो रही खुशहाली।
पेड़-पौधे सूख रहे हैं,
हम सब से यह पूछ रहे हैं।
जब हम नहीं रहेंगे प्यारे,
तब तुम भी न रह पाओगे।
रोटी, कपड़ा और मकान,
तुम यह सब कहाँ से लाओगे?
पेड़ लगाओ, पेड़ बचाओ।
जीवन को खुशहाल बनाओ।
जाना हो जहाँ चार को,
मत निकालो सब अपनी कार को।
एक साथ सब मिलकर जाओ,
समय, पैसा, ईंधन बचाओ।
पॉलिथीन का उपयोग करो कम,
नष्ट न हो ये, बढ़े कूड़ा हर
दम।
जानवर खा ले गर गलती से
निकाल जाए, तभी उसका दम।
जो बात मान लें
आप सभी जन
स्वच्छ रहे पर्यावरण।
यूं हो उसका संरक्षण।
~अद्विका सहाय