Saturday, 26 June 2021

Story of Life : आसरा (भाग-3)

 आसरा (भाग -1)                              आसरा (भाग -2) के आगे.....

 आसरा (भाग-3) 


क्या सोच रहे हैं जी? घर वापस चलें? यहाँ हम से मिलने वाला कौन होगा भला?.. 

लगता है कि driver हम, ग़लत लोगों को ले आया है...

हाँ, तुम ठीक ही कहती हो, हमें लौट ही जाना चाहिए... और दोनों जाने को मुड़ गये...

तभी से पीछे से आवाज आई, आ गये आप लोग...

मिश्रा जी और उनकी पत्नी आवाज़ की तरफ पलटे ही थे और बस, बहुत ही भव्य स्वागत शुरू हो गया उनका।

फिर दोनों को अलग-अलग लोग अपने साथ ले गए।

कुछ देर बाद दोनों एक बड़े से hall में खड़े थे, दोनों ही बहुत महंगे कपड़ों में थे।

मिश्रा जी ने अपनी पत्नी की तरफ देखा, वो सुन्दर कपड़े और गहनों से लदी हुई थीं। पहली बार, वो इतने सुन्दर कपड़ों व बहुत सारे गहनों से सजी हुई थीं, आज उन्हें एहसास हो रहा था, कि उनकी पत्नी कितनी सुंदर है। उनकी नजर अपनी पत्नी से हट ही नहीं रही थी। 

यही हाल उनकी पत्नी का भी था, आज से पहले मिश्रा जी इतने रौबीले कभी नहीं लगे थे।

थोड़ी ही देर में, पूरा hall खचाखच भर गया। और तभी वो आवाज़ आई, जिसे सुनकर मिश्रा जी और उनकी पत्नी खुशी से भर गये।

यह तो अपने वरुण की आवाज़ है ना?... मिश्रा जी ने खुशी मिश्रित शब्दों में कहा..

जी मुझे भी उसकी ही लग रही है...

वरुण और रिया सामने खड़े थे। दोनों ने आकर उन दोनों के पैर छूए। फिर वरुण ने सबको सम्बोधित करते हुए कहा, मुझे इस मुकाम पर पहुँचाने वाले मेरे मांँ-बाबू जी हैं। इन्होंने मुझे उस समय भी कभी कमी का एहसास नहीं होने दिया, जब इनके पास बहुत कम था। 

मेरी पढ़ाई के कारण घर में कितनी बार नमक और रोटी खानी पड़ती थी। पर इन्होंने कभी उफ़ नहीं की और ना ही कभी मेरी पढ़ाई रोकी।

मुझे जब America से अच्छा offer मिला, तब मैं अकेला घर में कमाने वाला था, फिर भी इन्होंने मुझे जाने से नहीं रोका।

आज मैं आपको बताना चाहता हूँ कि बाबूजी और माँ, मैं गया था बहुत सारे पैसे कमाने। जिससे जब मैं लौटूं तो आप सब के लिए मेरे पास इतना पैसा हो कि मैं आप के बुढ़ापे को संवार सकूँ। कभी कोई कमी ना हो, और आज मैं यह सब आप को दे रहा हूँ।

फिर वरुण, ने सबको सम्बोधित करते हुए कहा, आज से आप की तरह मैं भी इस company का एक employee हूँ। आज से इस company के owner मेरे मांँ और बाबूजी हैं।

यह सब सुनकर मिश्रा जी और उनकी पत्नी के खुशी के आंसू निकल रहे थे।

रुंधे हुए गले से मिश्रा जी ने अपनी पत्नी की ओर देखा और आंखों ही आंखों में कहा, मेरा विश्वास एकदम सही था, मेरा वरुण हमें कभी छोड़कर नहीं जा सकता था। वो तो हमारा ही भविष्य सुधारने गया था और आज सशक्त होकर लौटा है।

हमारे बुढ़ापे का आसरा, हमारा बेटा हमारे पास लौट आया है।

Friday, 25 June 2021

Story of Life : आसरा (भाग - 2)

आसरा ( भाग -1) के आगे..

आसरा (भाग - 2)  



अब बुढ़ापे में किसके आसरे रहेंगे?

अरे... परेशान क्यों होती हो, ऊपर वाले के आसरे थे, उसके ही रहेंगे। 

तभी घर के बाहर एक बड़ी सी चमकती हुई Car आ कर रुकी। उसमें से एक driver बाहर आया और बोला साहब, आप दोनों घर चलिए...

मिश्रा जी और उनकी पत्नी दोनों आंँखें खोल खोल कर चमकती हुई Car को देख रहे थे। 

उनके घर के आगे कभी scooter या bike नहीं रुकती थी, फिर car वो भी इतनी बड़ी और चमकती हुई।

मंत्र मुग्ध से दोनों एक साथ बोले, किस के....?

जी... मुझे नहीं पता किस के?, Driver बोला- मुझे सिर्फ इतना ही बोलने को कहा था कि उनसे कहना, साहब आप दोनों घर चलिए....

ओह! ... ना जाने हमें कौन बुला रहा है, मिश्रा जी की तरफ देखते हुए उनकी पत्नी बोली।

काहे नाहक जोर दे रही हो दिमाग को, होगा कोई भला मानुष या शायद office से कोई बड़े साहब बुलाए होंगे.... मिश्रा जी कुछ सोचते हुए से बोले।

अरे जाने दीजिए... आप के office वालों ने आप को काम के बख्त कभी इतना मान नहीं दिया, तो अब देंगे, जब आप रिटायर हो चुके हैं। 

वो भी साहब सम्बोधित करते हुए, नयी Car के साथ...

आप लोग, क्यों सोच सोच कर परेशान हो रहे हैं, जो भी होगा आप को दिख जाएगा। उनकी उधेड़-बुन को देखते हुए driver बोला..

देर मत कीजिए, जल्दी चलिए...

हाँ हाँ... कहकर मिश्रा जी Car में बैठ गये। पर उनकी पत्नी थोड़ा ठिठक गयीं..

अरे क्या हुआ, आओ भी... मिश्रा जी ने झुंझलाते हुए कहा

हमारे कपड़े और हालत तो देखो जरा, बुलाने वाला भी क्या सोचेगा?

पैबंद लगे कपड़े, टूटी-फूटी चप्पल और बिखरे हुए से बाल... कुछ भी तो ऐसा नहीं था कि जो उसे हिम्मत दे, बड़ी सी Car में बैठने की।

अरे Madam आ‌ जाइए, कुछ मत सोचिए।

Madam... ऐसा सम्बोधन तो उसने पूरी जिंदगी में नहीं सुना था।

खुशी से भरी वो Car में बैठ गयी।

Car रफ्तार से बढ़ चली, और कुछ minutes बाद एक बहुत बड़े आलीशान से bungalow के सामने रुक गई।

Driver ने उन्हें उतार दिया और अन्दर जाने की बात कहकर वहांँ से चला गया।

इतने आलीशान घर की कल्पना तो मिश्रा जी ने भी नहीं की थी। अब तो वो भी स्तब्ध रह गये थे।

क्या सोच रहे हैं जी? घर वापस चलें? यहाँ हम से मिलने वाला कौन होगा भला?.. 

लगता है कि driver, हम ग़लत लोगों को ले आया है...

हाँ, तुम ठीक ही कहती हो, हमें लौट ही जाना चाहिए... और दोनों जाने को मुड़ गये...

आगे पढ़े, कहानी के अंतिम भाग..

आसरा (भाग-3) में...

Thursday, 24 June 2021

Story of Life : आसरा

आसरा


 मिश्रा जी बड़े बाबू थे। सीमित सी आमदनी और बड़ा सा परिवार, हमेशा हाथ तंग ही रहता।

ऐसे में खाने-पीने का खर्च ही बड़ी मुश्किल से निकल पाता था, तो भला पढ़ाई-लिखाई की कौन सोचता।

मिश्रा जी तो बड़े बाबू बन गये थे, पर पैसों की तंगी और बच्चों की नालायकी ऐसी थी कि कोई चपरासी बन जाए तो बड़ी बात थी।

बस छुटके वरुण से ही मिश्रा जी को थोड़ा सा आसरा था। वही था जो पढ़-लिख लेता था।

कई बार छुटके की पढ़ाई-लिखाई के कारण घर में नमक रोटी ही खाने को मिल पाती थी। इस कारण सब वरुण से बहुत चिढ़ते थे।

ऐसे ही साल बीतते गए और सभी बड़े हो गए, दोनों बेटियों की शादी करते हुए मिश्रा जी ने घर को गिरवी रख दिया। 

यही तो एक पूर्वजों की निशानी थी, वो अकेला asset भी हाथ से जाता रहा।

मिश्रा जी पत्नी और तीनों बेटे झोपड़ी में रहने आ गये। वरुण पढ़ने में अच्छा था तो उसकी अच्छी नौकरी लग गई थी। उसी के आसरे सबका गुजारा चल रहा था।

कुछ दिन बाद तीनों बेटों की शादी भी हो गई। 

वरुण को अमेरिका से अच्छा offer मिल गया था, तो वो अपनी पत्नी के साथ चला गया। 

अब तो घर में आए दिन नमक रोटी खाने को मिलती थी, वो भी बहुत सारे झगड़े के साथ। 

पांच साल में, बहुओं ने तो खूब ताने सुनाए, वरुण पर सबसे ज्यादा खर्चा करते थे, जब वो ही छोड़ कर चल दिया तो हमारा आसरा किस मुंह से करे बैठें हैं। 

कुछ हमारे वालों पर खर्च कर भी देते तो सूखी रोटी तो ना खानी पड़ती।

 बेटे भी यह नहीं कहते थे कि हम ही नालायक थे, कभी पढ़ते ही नहीं थे तो बाबूजी खर्च करके भी क्या करते। वो भी माँ-बाबू जी को खरी खोटी सुनाने से बाज नहीं आते थे।

तंग आकर मिश्रा जी ने दोनों बेटों को घर से निकाल दिया। 

मिश्रा जी की पत्नी बोलीं, छुटके के आसरे थे, वो छोड़कर सबसे पहले चल दिया, बाकी दोनों बेटों को आप ने निकाल दिया। 

अब बुढ़ापे में किसके आसरे रहेंगे?

अरे... परेशान क्यों होती हो, ऊपर वाले के आसरे थे, उसके ही रहेंगे। 

तभी घर के बाहर एक बड़ी सी चमकती हुई Car आ कर रुकी। उसमें से एक driver बाहर आया और बोला साहब, आप दोनों घर चलिए...

मिश्रा जी और उनकी पत्नी दोनों आंखें खोल खोल कर चमकती हुई कार को देख रहे थे। 

उनके घर के आगे कभी scooter या bike नहीं रुकती थी, फिर car वो भी इतनी बड़ी और चमकती हुई।

मंत्र मुग्ध से दोनों एक साथ बोले, किस के....

आगे पढ़े, आसरा (भाग- 2) में...