Saturday, 8 March 2025

Poem : नारी एक, रूप अनेक

नारी एक, रूप अनेक


प्रीत में राधा बने,

गृहस्थी में जानकी।

काली बनके शीश काटे,

जब बात हो सम्मान की।।


ज्ञान में सरस्वती बने, 

शयन में रम्भा। 

दानवों का दमन करे,

बनके जगदम्बा।।

 

सौम्य से रुद्र तक,

नारी के रूप हैं। 

हर वक्त के अलग-अलग,

उसके स्वरूप हैं।। 


आप सभी को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐