जीवन क्या है ?
पूरे शहर में चर्चा थी कि एक बहुत पहुंचे हुए साधु महाराज आए हुए हैं, और हर किसी के मन की उलझन सुलझा रहे हैं।
ऐसे में अनुष्का का भी मन हुआ कि जीवन के रहस्य को समझा जाए। तो वो भी उस ओर चल दी।
हालांकि उसे जल्दी इस तरह के लोगों से मिलने में कोई विशेष रुचि नहीं होती थी, फिर भी न जाने क्या उसे उस ओर खींच रहा था।
जब वो वहां पहुंची तो उसने देखा कि वहां बहुत ज्यादा भीड़ थी और हर किसी को भविष्य जानने की इच्छा थी, चाहे वर्तमान में कोई कुछ भी कर रहा हो।
जिसका भी नम्बर आता, उसके हाथों में पुष्प देकर साधु महाराज के निकट जाने को कह दिया जाता।
बहुत देर में जब उसका नम्बर आया तो उसे भी पुष्प दे दिए गए, उनमें कुछ अलग ही तरह की खुशबू थी। जिससे उसका रोम-रोम महकने लगा।
उसने साधु महाराज को प्रणाम किया, उनके मुख पर विशेष शांति और तेज विद्धमान था। उसने पुष्प को उन पर अर्पित करने के लिए हाथ आगे बढाया।
साधु महाराज ने कहा, नहीं बेटी, यह पुष्प मुझ पर अर्पित करने के लिए नहीं हैं। यह तुम अपने साथ रखना और जाते समय तुम्हें एक विशेष कक्ष में ले जाया जाएगा, वहां तुम जिसे चाहे यह पुष्प अर्पित कर देना।
साधु महाराज की बात सुनकर अनुष्का थोड़ी सोच में पड़ गयी कि ऐसा भी क्या विशेष कक्ष होगा?
बाकी दूर से उसे नहीं दिख रहा था कि लोग पुष्प हाथ में लिए थे कि उन्होंने साधु महाराज को अर्पित कर दिया था..
एक बात और थी कि लोग प्रश्न क्या पूछ रहे हैं वो सबको सुनाई दे रहा था, पर साधु महाराज उत्तर क्या दे रहे हैं, यह सिर्फ प्रश्न पूछने वाले को सुनाई दे रहा था।
अनुष्का ने कहा, महाराज जी, मेरे प्रश्न इन सबसे अलग हैं और थोड़े अधिक समय लेने वाले, क्या मुझे कुछ अधिक समय मिलेगा?
उसने देखा था कि किसी को भी बहुत अधिक समय नहीं दिया जा रहा था, पर वो अपने हर प्रश्न का उत्तर जानना चाह रही थी और साथ ही अधिक समय भी..
क्योंकि प्रश्न तो सबको ही सुनाई दे रहे थे तो यह सुनकर सब शोर मचाने लगे कि अधिक समय न दिया जाए, क्योंकि अभी बहुत लोग बचे हैं और सबको ही अपनी अपनी उलझनें सुलझानी है ...
साधु महाराज ने कहा...