कल हो ना हो
रजत अभी सोच में डूबा ही था कि मां से vibes मिलने लगी।
ओह माँ, आप कैसे समझ जाती हैं कि मैं low feel कर रहा था?
बेटा, तुम अमेरिका चले गए हो, पर vibes से तो हम जुड़े हुए हैं ही।
भला हो, इन vibes को जोड़ने की technique बनाने वाले का, वरना तुम्हारी पर नानी के समय में तो mobile ही थे, जिसमें भी आए दिन network की problem होती थी…
अच्छा यह बता, मौसम कैसा है?
धूप निकली क्या?
नहीं मां, अभी कहाँ… पूरे दो महीने गुजर गए और अभी एक और महीना ऐसे ही गुजरने की संभावना बता रहा है weather department… अंधेरा-सा ही छाया रहता है।
वहां के क्या हाल हैं?
यहां के भी कुछ अच्छे नहीं हैं बेटा, temperature 75 पहुंच रहा है, बिना AC के चैन नहीं है।
सरकार से appeal की जा रही है कि, घरों और ऑफिसों के अलावा अब सड़कों को भी central AC करने की तरफ ध्यान दिया जाए, वरना घरों से बाहर निकलना दुश्वार हो रहा है…
Ultraviolet rays भी बहुत तेजी से गिर रही है। कल ही पड़ोस वाले शर्मा अंकल के skin पिघलने लगी थी, ICU में admit हैं।
आह! क्यों उन्होंने ozone layer नहीं लगवाई है?
लगवाई है बेटा, पर उनकी कार में ozone layer expire हो गई थी, बदलवाने में जरा सी लापरवाही कर गए, अब भुगत रहे हैं।
ओह… अपने घर की तो ठीक है ना?
हां बेटा, तुम तो जानते हो, पापा इन सब बातों को लेकर कितने alert रहते हैं…
अच्छा यह बताओ, तुम अपने खाने-पीने और oxygen की pillqs बराबर से ले रहे हो ना?
लापरवाही तो नहीं कर रहे हो? तुम्हें मेरी कसम तो याद है ना?
हां-हां मां, सब याद है, अच्छे से याद है। सब time से नहीं लूंगा तो तुम वापस बुला लोगी…
वैसे मेरा यहां ज्यादा मन नहीं लग रहा है, एक बार project complete हो जाए, लौट आऊंगा…
नहीं बेटा, मुझे कोई जल्दी नहीं है, यहां वैसे भी polution बहुत ज़्यादा है। बहुत जल्दी-जल्दी lungs, kidney, heart change करवाना पड़ रहा है।
Medical bills बहुत ज़्यादा आ रहे हैं।
कोई नहीं मां, यहां भी हालात बद से बद्तर ही हैं, कुछ ज्यादा अच्छा यहां भी नहीं है, बस showoff ज्यादा है कि अमेरिका है तो ज्यादा अच्छा है…
अब मन नहीं लग रहा है, तुम सबके बिना।
कुछ महीने में ही आने का plan है।
अच्छा बेटा सुनो, तो तुम वहां से आते समय, कुछ lungs, kidney heart etc लेते आना, यहां से तो ज़्यादा advance होंगे वहां पर, और हां expiry date देखकर लाना।
मां एक बात बताइए, आप ने पेड़ पौधे देखें हैं? कैसे लगते हैं?
बेटा, कुछ cactus के और कुछ ऐसे ही कम पानी वाले पौधे देखें हैं, जब छोटे थे और अपनी नानी के घर जाते थे।
तुम्हारी नानी बताती हैं कि पहले हरियाली वाले पेड़-पौधे थे। बड़े अच्छे थे, हवा, खाना, छांव, oxygen सब देते थे।
हम ने तो जो देखे, उन्हें देख कर कुछ ऐसा बहुत तो नहीं लगा…
आप सच कह रही हैं, इतना सब कुछ देते थे पेड़-पौधे… तो उन्हें सुरक्षित क्यों नहीं रखा?
क्या पता? मां कहती थीं कि सुख-सुविधाएं और आधुनिकीकरण के कारण…
पर तुम क्यों पूछ रहे हो?
कुछ नहीं मां, यहां पर कुछ scientists ने कोई पौधा ढूंढ निकाला है…
सुनने में आ रहा है कि India के ही किसी जंगल से लाए हैं, कहीं कोई बचा रह गया था।
————— THE END —————
हम यही भविष्य तो नहीं दे रहे हैं, अपने बच्चों को... इस गर्मी में बढ़ता हुआ temperature चीख-चीखकर यही कह रहा है…
सोचिएगा ज़रूर…
बस एक पौधा ही सुन्दर भविष्य को बना सकता है, आज ही एक पौधा लगाएं और अपने बच्चों का भविष्य उज्जवल बनाएं।
वरना जो आज है, 'कल हो ना हो'…
Happy environment day 🌲 🌴