आज नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 128वीं जयंती है। तो आज इसी उपलक्ष्य में जानते हैं कि कौन थे नेताजी, और आखिर ऐसी क्या विशेषता थी उनमें, जो उन्हें सबसे पृथक करती है।
'नेताजी सुभाष चन्द्र बोस', यह वो अमर नाम है, जिसने भारत को एक बार पुनः भारत बनने का सम्मान दिया था।
आप जानना चाहते हैं कि हमारे यह कहने का क्या आशय है?
नेताजी का भारत
नेताजी ही वे स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने अंग्रेजों को बाध्य कर दिया था, भारत को स्वतंत्र करने के लिए। उनके साहस, सूझ-बूझ और सशक्त देशों से मैत्री सम्बन्ध ही तो थे, जिन्होंने 190 वर्षों के अंग्रेजी शासन को घुटनों पर ला दिया था।
कुटिल नीति और क्रूरता की प्रतिमा थे अंग्रेज...
उनके पंजों से भारत का निकलना असंभव होता, यदि भारत के वीर स्वतन्त्रता सेनानी, सुभाष चन्द्र बोस न होते।
सुभाष चंद्र बोस, जितने वीर और साहसी थे, उतने ही चतुर और सशक्त भी थे। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के करिश्माई नेता और प्रेरक व्यक्तित्व के धनी नेताजी सुभाष चंद्र...
क्या आपको लगता है कि अंग्रेज़ सरकार केवल सत्य और अहिंसा के आगे घुटने टेक देती?
नहीं, बिल्कुल भी नहीं...
नेताजी की सशक्त आज़ाद हिन्द फौज, जापान और जर्मनी जैसे सशक्त देशों से मैत्री सम्बन्ध ही थे, जिन्होंने अंग्रेजों को बाध्य कर दिया घुटने टेकने के लिए...
अगर आप ध्यान देंगे, तो आपको समझ आएगा कि भारत को आजादी, द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् मिली है।
उस समय जर्मनी और जापान जैसे देश सबसे सशक्त देशों में शामिल थे।
ब्रिटिश की हार निश्चित थी, उन्होंने सुभाष चन्द्र बोस से मदद मांगी, कि वो अपनी आजाद हिन्द फौज को सहायता के लिए भेजे और साथ ही जापान और जर्मनी से उन्हें बचाएं।
हमारे देश भक्त नेता जी ने इसके बदले में सिर्फ और सिर्फ एक ही चीज़ मांगी, और वो थी भारत देश की आजादी...
अंग्रेज़ सरकार समझ चुकी थी कि उन्हें अपनी रक्षा के लिए नेता जी की बात अवश्य माननी होगी। और बस वही वो पल था, जब भारत 190 साल से जकड़ी हुई गुलामी की जंजीर को तोड़ सका, एक बार पुनः भारत बनने की ओर अग्रसर हो सका।
उनके उसी अथक प्रयास को यदि हमें सच्ची श्रद्धांजलि देनी है, तो हमें भारत को उनके सपनों का भारत बनना होगा।
नेताजी के सपनों का भारत एक ऐसा राष्ट्र था, जहाँ स्वराज हर हृदय की धड़कन बन जाए और आत्मनिर्भरता हर हाथ की शक्ति...
उनका भारत स्वतंत्रता का एक ऐसा दीप था, जो प्रत्येक नागरिक को स्वाभिमान और आत्मविश्वास से रोशन करे...
वे एक ऐसे देश की कल्पना करते थे, जो अपनी संस्कृति, परंपरा और विज्ञान में अग्रणी हो, जहाँ हर व्यक्ति अपने सामर्थ्य से राष्ट्र निर्माण में योगदान दे, और भारत विश्वगुरु बनकर शांति, प्रगति और न्याय का संदेश फैलाए...
सरकार द्वारा 2021 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयन्ती से पहले इस दिवस को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गयी थी।