आज की यह कहानी एक सच्ची कहानी है, एक ऐसे इंसान की, जिसकी सोच बहुत अच्छी है, और वो सोच हर एक तक पहुंचनी चाहिए।
इसलिए उस सोच को कहानी के रूप में आप सभी के साथ share कर रहे हैं।
एक सोच सैनिकों के लिए
आशीष company के tour के लिए flight से जा रहा था। यात्रा बहुत लंबी नहीं थी, पर आगे का program बहुत hectic था। अतः, उसने सोचा थोड़ी देर novel पढ़ेगा, फिर एक अच्छी नींद लेगा, जिससे आगे के लिए fresh रहे। वैसे भी वो अकेला था, तो time काटने के लिए नींद से अच्छा कोई option भी नहीं होता है।
वो अभी अपने सफर की planning कर ही रहा था कि साथी co-passenger कुछ सैनिक आ गये, जो उसके इर्द-गिर्द बैठ गये।
Flight ने अपने time से takeoff कर दिया।
कुछ ही देर बाद air hostess ने announcement की, जो कोई भी lunch लेने चाहे, वो order कर सकता है।
आशीष सोच ही रहा था कि क्या करे, तभी उसे कुछ सैनिकों की आवाज सुनाई दी।
उन में से एक बोला- “क्या सोचते हो, lunch order करें?” दूसरा बोला- “रहने दो यार, बहुत महंगा पड़ेगा, जब flight land करेगी तो किसी ढाबे से ले लेंगे। flight की ticket, government की तरफ से है, lunch का पैसा अपना लगेगा।”
आशीष उनकी बातें सुनकर कुछ देर सोचता रहा, फिर उठकर airhostess के पास गया, धीमे से कुछ बोला और रुपए दे दिए।
Airhostess की आंखें भर आईं, वो बोली- “मेरा छोटा भाई कारगिल में posted है, आपने मुझे उसकी याद दिला दी...”
थोड़ी ही देर में सारे सैनिकों को lunch दे दिया गया, वो बोले- “पर हमने तो order नहीं किया था। फिर क्यों? और हमें कितने रुपए देने होंगे?”
Airhostess बोली- “Sir, आप लोगों को कुछ नहीं देना है, आप लोगों का lunch sponsor हो गया है।”
“Sponsor... किसने किया होगा?”
“अरे तू खाना खा यार, अभी तो भूख-भूख चिल्ला कर मेरा दिमाग खा रहा था... क्या करना किसने किया...”
खाना खाकर सारे फ़ौजी बड़े खुश थे, क्योंकि उन्हें flight journey के बाद लम्बी road journey भी करनी थी, उसके बाद ही वो अपने destination पर पहुंचते...
आशीष भी lunch करके बैठा था कि एक बुजुर्ग उसके पास आए और बोले- “मैंने तुम्हारी सारी बातें सुन ली थी। सच में तुमने बहुत अच्छा किया।
किसी को भी खाना खिलाना पुण्य का काम है, फिर उन्हें जो देश के रक्षक हैं तो बात ही क्या... अगर तुम्हें कोई आपत्ति नहीं हो तो, क्या मैं भी इस पुण्य का छोटा सा भागीदार हो सकता हूं?”
यह कहते हुए उस बुजुर्ग ने आशीष के हाथ पर 500 रख दिए और इससे पहले कि आशीष कुछ कहता बोलता, वो पलटकर चले गए।
आशीष ने उस 500 के नोट को अपने जेब में रख लिए और अपनी seat पर बैठ गया।
तभी उसके पास co-pilot आए और बोले- “आप सचमुच में बहुत अच्छे इंसान हैं, हमें आप पर गर्व है। और इसके साथ ही सभी airhostess clapping करने लगी।”
आशीष, इससे सकपका गया, क्योंकि उसने appreciation के लिए वो काम नहीं किया।
पर अब तक में सबको ये पता चल चुका था कि आशीष ने सैनिकों के lunch का पैसा दिया था। सारे सैनिकों ने आशीष को धन्यवाद दिया।
थोड़ी ही देर में बहुत से लोग आशीष को कम और ज़्यादा रुपए दे गए।
Flight land हो गई। सभी airport पर उतर गये।
आशीष उन सैनिकों के पास गया और जितने रुपए उसे मिले थे, उसने वो उन्हें दे दिए और कहा- “आप ground पर जाएं, उससे पहले इन रुपयों से अपनी ज़रूरत की चीजें खरीद लीजिए और अगर आप को ज़रूरत की चीजें न खरीदनी हो तो खाने-पीने की चीजें ही ले लीजिएगा।”
“पर आप यह रुपए हम लोगों को क्यों दे रहे हैं? यह तो सबने आप को दिए थे।”
आशीष ने कहा- “आज कल की मतलब की दुनिया में जब कोई भी किसी को कुछ नहीं दे रहा है, ऐसे में आप लोग, हम लोगों के लिए, अपने देश के लिए सबसे बहुमूल्य चीज, ‘अपना जीवन’ न्योछावर कर देते हैं, धन्य हैं आप लोग, आप लोगों के लिए हम लोग जितना करें, सब कम है।”
यह सब देखकर, वहां खड़े सब लोग तालियां बजाने लगे। और जय हिन्द की सेना और भारत माता की जय के नारे लगाने लगे।
आशीष ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा- “एक फौजी हमारे लिए, अपनी सबसे बहुमूल्य चीज, अपना जीवन न्यौछावर कर देता है तो हम इतना तो कर ही सकते हैं कि अगर किसी फ़ौजी को train या bus में खड़ा देखें, तब अगर हो सके तो उन्हें बैठने के लिए seat दे दीजिए, क्योंकि बहुत बार उन्हें emergency में चलना पड़ता है, जिसके कारण वो reservation नहीं करा पाते हैं। और बहुत बार उन्हें front में जाने के बाद, कितने दिन चैन से बैठने तक का समय भी नहीं मिलता है।
अगर आप साथ सफ़र कर रहे हैं तो उनसे पूछकर उन्हें ज़रूरत के सामान और खाने-पीने की चीजें भी दे सकते हैं, क्योंकि बहुत बार उनकी posting ऐसी जगह होती है, जहां खाना-पीना और ज़रूरत की चीजें नहीं मिलती है। उन्हें बहुत ही कठिन और कठोर जीवन व्यतीत करना पड़ता है।
पर ध्यान रखिएगा, कि आप उन पर तरस खाकर, या भीख दे रहे हों, इस भाव से नहीं बल्कि उनका आभार मान रहे हैं, उनको सशक्त कर रहे हैं, अपना सहयोग दे रहे हैं, देश को सशक्त बनाने के लिए, इस भाव से दीजिएगा, क्योंकि जिसने निस्वार्थ भाव से अपने आप को देश को समर्पित कर दिया, उससे अधिक धनवान और सामर्थ्यवान कोई नहीं...
आपके द्वारा की गई, उनके लिए मदद, आपको ही देशभक्ति का पुण्य देगी, जो आपको आंतरिक सुख देगी।
आप उनको, दिल से आभार व्यक्त करें, साथ ही उन्हें सम्मान और स्नेह दीजिए, क्योंकि यही वो प्रहरी हैं, जिनके कारण हम सुकून से जी रहे हैं और चैन से सो रहे हैं।”
आशीष की ऐसी बातें सुनकर, airport में बहुत से लोगों ने स्वेच्छा से बढ़-चढ़कर उन सैनिकों को बहुत कुछ दिया।
उन सैनिकों ने आशीष को बहुत सारा धन्यवाद दिया और कहा- “आप की तरह अगर सबकी सोच हो जाए, तो हमारा देश पर निछावर हो जाना और अधिक सार्थक हो जाए।”
आशीष, उनके आगे नतमस्तक होकर बोला- “आप लोगों का कोटि-कोटि धन्यवाद, आप हैं तो देश है और देश है तो हम हैं।
जय हिन्द, जय हिन्द की सेना!”
इसके बाद सब अपनी-अपनी राह चल दिए...
Disclaimer: The story and its characters are purely fictional. Their resemblance with somebody's life is a mere coincidence. This story has been taken from open source, and it has been rewritten in the blogger's own words, while the original writer is not known.