आपको अपने article बड़ा मंगल में जानकारी share की थी, कि कहां-कहां बड़े मंगल की मान्यता है और क्यों है?
आज के India's Heritage segment में बड़े मंगल से जुड़ी हुई कहानी या किंवदंती share कर रहे हैं।
आखिर क्यों, लखनऊ शहर को गंगा-जमुना-तहजीब से भी पुकारा जाता है।
आखिर क्यों, लखनऊ जैसे मुसलमानी शहर में हनुमानजी की इतनी आस्था है, कि हिन्दू और मुस्लिम, दोनों समुदाय के लोग बहुत जोश के साथ बड़ा मंगल की पूजा-अर्चना और भंडारा आयोजित करते हैं।
आपको यह तो पता है, कि बड़े मंगल का आयोजन लखनऊ में ही सबसे उल्लास से मनाया जाता है। पूजा-अर्चना के साथ ही जगह-जगह भंडारे भी किए जाते हैं...
पर क्यों? चलिए जानते हैं, क्या है वजह...
बड़ा मंगल क्यों
अलीगंज हनुमान मंदिर निर्माण :
लखनऊ में बड़ा मंगल की शुरुआत अवध के नवाबों के समय हुई थी। एक मान्यता के अनुसार, अवध के नवाब शुजाउद्दौला की बेगम आलिया थी, उनकी कोई संतान नहीं थी।
बेगम इस बात से बहुत दुखी थीं। एक दिन उनको ख्वाब में बजरंगबली की मूर्ति दिखाई दी, जो उनसे कह रही थी कि वो एक टीले के नीचे दबी हुई है, अगर उसे वहां से निकल कर मंदिर बनवाया जाए, तो वह माँ बन सकती हैं।
सपने के अनुसार ही खुदाई की गई, वहां सचमुच में भगवान हनुमानजी की मूर्ति थी।
उस मूर्ति को हाथी पर रख कर लाया जाने लगा, लेकिन अलीगंज पहुंच कर हाथी एक कदम न आगे बढ़ा। तब यह निर्धारित किया गया कि वहीं मूर्ति स्थापित कर मंदिर बनवाया जाए।
मंदिर निर्माण के ठीक नौ माह बाद आलिया बेगम को पुत्र प्राप्ति हुई।
दूसरी कहानी के अनुसार :
अवध के नवाब वाजिद अली शाह की बेगम रूबिया थी। उनके बेटे की तबीयत अत्यधिक खराब हो गई थी। किसी हकीम लुकमान के पास कोई इलाज नहीं था। अंततः उन्होंने अलीगंज के हनुमान मंदिर में मंगलवार को प्रार्थना की और कहा बेटे के ठीक होने पर मंदिर का जीर्णोद्धार कराएंगे।
उनका पुत्र उसके बाद बहुत जल्दी पूर्ण रूप से ठीक हो गया, उसके बाद उन्होंने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया।
भंडारे का आयोजन :
यह माना जाता है कि इसके कुछ समय बाद फिर एक आपदा आई, पूरे राज्य में एक महामारी फैल गई। एक बार पुनः रूबिया ने हनुमान जी की पूजा और अनुष्ठान किया, जिससे महामारी समाप्त हो गई।
इस घटना के बाद, बेगम ने अलीगंज के हनुमान मंदिर में भंडारा करवाया, उनके साथ ही प्रजा ने भी जगह-जगह अपनी सामर्थ्य के अनुसार भंडारा करवाया और तभी से हर साल ज्येष्ठ मास के हर मंगलवार को भंडारे का आयोजन किया जाने लगा।
यह कहानियां दर्शाती हैं कि हनुमान जी केवल भक्ति और श्रद्धा देखते हैं, जो भी सच्चे मन से उन्हें पूजता है, उनकी हर इच्छा पूरी करते हैं।
दूसरा भारत में गंगा-जमुना तहजीब थी, जिसमें यदि सब मिलकर रहें तो देश सुदृढ़ और सुरक्षित रहता है। इसका जीता-जागता उदाहरण है लखनऊ शहर, और वहां आयोजित होने वाला बड़ा मंगल का त्योहार, जिसमें हिन्दू-मुस्लिम बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
ज्येष्ठ मास के आखिरी बड़े मंगल की हार्दिक शुभकामनाएँ, हनुमान जी की कृपा दृष्टि सब पर बनी रहे 🙏🏻
बजरंगबली की जय 🚩