पृथ्वी दिवस पर
चलता जिससे जीवन अविरल
है सरिता का वो बहता जल
जो सूख रहा है अब हर पल
कटते पेड़, बढ़ता प्रदूषण
कठिन हो रहा धरा पर जीवन
मुश्किल से बीते हर क्षण हर पल
हरियाली से लदा हुआ था
सुख से जो सजा हुआ था
स्वप्न हो गया वो बीता कल
चेतना अब भी नहीं जगी गर
ऐसा ही होता रहा पृथ्वी पर
तो दूभर हो जाएगा जीवन कल
पृथ्वी दिवस पर मिलकर
लेते हैं हम यह संकल्प
देंगे धरती को हरा-भरा कल
🪴 पृथ्वी दिवस पर विशेष शुभकामनाएं 🌾