अलविदा, देश के मनमोहन
भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी अपनी चिरनिंद्रा में लीन हो गए। वो भारत के 13वें प्रधानमंत्री थे।
पर वो ही केवल ऐसे प्रधानमंत्री हुए, जिनके भारतीय मुद्रा पर हस्ताक्षर भी रहे हैं...
मुद्रा पर हस्ताक्षर, पर ऐसे कैसे?
क्या भारत के प्रधानमंत्री को यह अधिकार है कि उनके हस्ताक्षर भारतीय मुद्रा पर रह सकते हैं?
और अगर ऐसा है तो, मनमोहन सिंह जी के अलावा किसी और प्रधानमंत्री के हस्ताक्षर क्यों नहीं है? और अगर ऐसा नहीं है तो उनके कैसे हैं?
क्या इसमें कांग्रेस का कोई हाथ है?
नहीं, बिल्कुल नहीं..
बात दरअसल यह है कि श्री मनमोहन सिंह, अपने पूर्ण कार्यकाल में न केवल भारत के प्रधानमंत्री पद पर आसीन रहे थे, अपितु और भी बहुत से महत्वपूर्ण स्थान पर भी रहे थे।
आइए जानते हैं, क्यों बेहद मौन रहने वाले श्री मनमोहन सिंह जी, इतने famous थे?
श्री मनमोहन सिंह जी, अर्थशास्त्र के प्रकांड विद्वान व विलक्षण प्रतिभा के धनी थे।
Punjab University से उन्होंने graduation and post graduation की पढ़ाई पूरी की। बाद में वह Cambridge University गए, जहां से उन्होंने PhD की। इसके बाद उन्होंने Oxford University से D-Phil भी किया। उनकी book India's Export Trends and Prospects for Self-Sustained Growth, भारत की व्यापार नीति की पहली और सटीक आलोचना मानी जाती है।
डॉ. सिंह ने अर्थशास्त्र के अध्यापक के तौर पर काफी ख्याति अर्जित की। वह Punjab University और बाद में प्रतिष्ठित Delhi school of economics में professor रहे।
इसी बीच वह संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन सचिवालय में सलाहकार भी रहे और 1987 और 1990 में जेनेवा में साउथ कमीशन में सचिव भी रहे। 1971 में डॉ. सिंह भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के तौर पर नियुक्त किए गए। इसके बाद 1972 में उन्हें वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया गया।
1985 में राजीव गांधी के शासन काल में मनमोहन सिंह को योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस पद पर उन्होंने लगातार पांच वर्षों तक कार्य किया, जबकि 1990 में वह प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार बनाए गए। जब पीवी नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने मनमोहन सिंह को 1991 में अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया और वित्त मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंपा। इस समय वह न तो लोकसभा और न ही राज्यसभा के सदस्य थे। मगर संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार सरकार के मंत्री को संसद का सदस्य होना आवश्यक होता है। इसलिए उन्हें 1991 में असम से राज्यसभा भेजा गया था। इसके अलावा रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी रहे। भारत के आर्थिक इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण मोड़ तब, जब वह 1991 से 1996 तक भारत के वित्त मंत्री रहे।
श्री सिंह जी का finance minister बनना, भारत के लिए स्वर्णिम अवसर था, क्योंकि वो बहुत ही सफल अर्थशास्त्री थे। और उन्होंने अपने ज्ञान का सर्वस्व, भारत की अर्थव्यवस्था पर न्यौछावर कर, देश को समृद्धशाली बना दिया था।
इसके साथ ही उन्होंने लगातार दो बार सफलतापूर्वक प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभाला है भी संभाला।
अब जवाहरलाल नेहरू जी के बाद, मनमोहन सिंह जी और अब नरेन्द्र मोदी जी हैं, जिन्होंने लगातार प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभाला है।
जिस बात से आरंभ किया था कि कैसे श्री मनमोहन सिंह जी के हस्ताक्षर थे रुपए(नोट) के ऊपर... तो उसका जवाब यह है कि भारतीय मुद्रा अर्थात् रुपए पर RBI के governor के sign होते हैं। अतः जितने समय तक मनमोहन सिंह जी RBI के governor थे, उनके हस्ताक्षर, भारतीय मुद्रा पर अंकित होते थे। लेकिन सिर्फ उतनी ही अवधि तक, ना उसके पहले, न ही बाद में...
श्री मनमोहन सिंह जी जैसे महान विचारक, अर्थशास्त्री और भूतपूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है।
उनके पार्थिव शरीर को आज अंतिम विदाई दे दी जाएगी, ईश्वर उन्हें अपनी शरण में लेकर मोक्ष प्रदान करें 🙏🏻