Saturday, 22 February 2025

Story of Life : जीवन क्या है (भाग-2)

जीवन क्या है (भाग-1) आगे… 

जीवन क्या है (भाग-2)


अनुष्का ने कहा, महाराज जी, मेरे प्रश्न इन सबसे अलग हैं और थोड़े अधिक समय लेने वाले, क्या मुझे कुछ अधिक समय मिलेगा?

क्योंकि प्रश्न तो सबको ही सुनाई दे रहे थे तो यह, सुनकर सब शोर मचाने लगे कि अधिक समय न दिया जाए, क्योंकि अभी बहुत लोग बचे हैं और सबको ही अपनी-अपनी उलझनों का हल चाहिए...

साधु महाराज ने कहा... सभी शांत हो जाइए, इस बेटी को कितना समय दिया जाएगा, यह इसके द्वारा पूछे गए प्रश्न निर्धारित करेंगे... मैं यहां लोगों की उलझन ही सुलझाने आया हूं, तो किसी को भी निराश होकर नहीं जाना होगा। 

अनुष्का ने कहना शुरू किया..

महाराज, जीवन क्या है?

क्या अपनों का सानिध्य जीवन है?

या धनार्जन जीवन है?

या सफलता जीवन है? 

या फिर ईश्वर में समर्पण जीवन है?

साधु महाराज ने कहा, बेटी तुम्हें अपने भविष्य से जुड़े किसी प्रश्न का उत्तर नहीं जानना है?

नहीं महाराज...

या यह कहूं कि हां जानना है, या फिर यह कि इन्हीं प्रश्नों के उत्तर से ही मेरा भविष्य निर्धारित होगा...

चंद क्षण महाराज मौन रहे, फिर बोले बेटी तुमने जो प्रश्न पूछे हैं, वो वही पूछ सकता है जो प्रेम से परिपूर्ण हो, जिसने अपना सर्वस्व अपनों पर निछावर कर दिया हो, जिसके लिए सफलता असफलता से पहले उसके अपने हों बल्कि यह कहना उचित होगा कि उसके लिए अपने अस्तित्व से पहले अपने हों...

पर तुम्हें पता है, जिसने यह जान लिया, उसने जीवन का सही अर्थ जान लिया।

मैं बहुत सी जगह गया और लोगों ने मुझसे न जाने कितने प्रश्न पूछे और मैंने उत्तर दिए।

सबके प्रश्नों के उत्तर देने के पश्चात् लगता था कि इतनी अधिक मोह-माया से भरे संसार में कहीं भी सच्चा स्नेह नहीं व्याप्त है।

लोग अपने से ऊपर उठकर अपनों के लिए भी नहीं सोचना चाह रहे हैं। 

इसलिए शायद तुमने ध्यान दिया हो कि लोगों के प्रश्न सबको सुनाई दे रहे थे, पर मेरे उत्तर सिर्फ प्रश्न पूछने वाले को ही...

हां महाराज, मेरे मन में भी यह विचार आया था, पर इसका कारण पूछने की आप से हिम्मत नहीं हुई...

बेटी ऐसा इसलिए, क्योंकि उनके प्रश्न तो सामान्य थे, पर उनके उत्तर व्यक्ति विशेष से जुड़े होते थे तो सबको क्या सुनाता...

पर तुमने जो पूछा है, उनके हल‌ सबको सुनने चाहिए, अतः इन प्रश्नों के उत्तर सबको सुनाई देंगे।

और एक बात, तुम्हारे प्रश्नों के उत्तर देने ही मैं यहां आया था। मुझे तुम्हारे आने का पूर्वाभास हो गया था और मैं तुम्हारी ही प्रतिक्षा कर रहा था।

इतने बड़े साधु महाराज की बातें और प्रश्नों के उत्तर की प्रतीक्षा, सभी मौन होकर करने लगे, क्योंकि हर किसी के मन में कहीं न कहीं यही प्रश्न कौतूहल की स्थिति बनाए हुए थे।

साधु महाराज ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा...

प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए पढ़ें, जीवन क्या है (भाग-3)।