Monday, 12 May 2025

Poem: दादी माँ अनु की थीं

आज हमारी दादी जी श्रीमती शकुन्तला देवी जी का 101‌वां जन्मदिवस है। इस पावन अवसर पर उन्हें मेरे श्रद्धासुमन व मेरी यह कविता सादर समर्पित है।🙏  🙏💐


दादी माँ अनु की थीं




थीं सहज, सरल, मधुर अपार

मन में था मातृत्व और प्यार।

जब जो आया, उनके द्वार

मिली उन्हें वात्सल्य की धार।।


इसीलिए ही सभी उन्हें

माता जी कहते थे।

जो भी उनके ममतामई

सानिध्य में रहते थे।।


पति- बच्चे सफल रहें

जीवन का था यही ध्येय।

उनसे जुड़े, हों‌ अग्रसारित

यही रहा, जीवन का उद्देश्य।।


थीं वो गुणीं , महत्वकांक्षी

बाबा साहेब सरीखी।

सुघड़ गृहणी की हर एक छटा

उनमें थी दिखती।।


पाक शास्त्र की बात करें तो

स्वाद से ज्यादा पौष्टिकता पर।

ही सदैव घ्यान दिया, जिह्वा से

ज्यादा स्वास्थ्य को मान दिया।।


सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, पेंटिंग

सब थीं उनकी संग सहेली।

पारंगत थी वो सबमें ही

बचपन से इन सबसे खेली।।


प्रकृति ने उन्हें दिया था उपहार

प्राकृत चिकित्सा से वो।

डाक्टर से हारे लोगों का भी

कर देती थीं सफल उपचार।।


ऐसी महान विभूति

दादी माँ अनु की थीं।

उनकी आशीष सभी पर बनी रहे

इच्छा यह अनु की है।। 


दादी जी आप का आशीर्वाद हम सब पर सदैव बना रहे 🙏🏻 

हम सभी आप के दिए हुए संस्कारों से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफल बनें और अपने परिवार का नाम रोशन करें 🙏🏻