महाकुंभ महोत्सव अपने चरम पर है। फिर चाहे वहां हो रहे विभिन्न क्रियाकलापों की बात हो, वहां इकट्ठा भीड़ की बात हो, वहां हो रहे लोगों के लाभ की बात हो या आने वाले अमृत स्नान की बात हो...
प्रयागराज अपने अलग ही स्वरूप में नजर आ रहा है।
चलिए, जब बात चल ही रही है, तो आपको आज के दूसरे स्नान के विषय में सम्पूर्ण जानकारी दे देते हैं।
अमृत स्नान - मौनी अमावस्या
कब होगा दूसरा स्नान? क्या है स्नान के शुभ मुहूर्त? मौनी अमावस्या में मौन रहने का कारण? क्या खासियत है इस दिन डुबकी लगाने में? क्या हैं मौनी अमावस्या व्रत के नियम?
1) महाकुंभ 2025 - दूसरा शाही स्नान :
महाकुंभ 2025 का दूसरा शाही स्नान 29 जनवरी 2025 मौनी अमावस्या के दिन होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 28 जनवरी की शाम 7:35 बजे शुरू होकर 29 जनवरी की शाम 6:05 बजे खत्म होगी। ऐसे में उदया तिथि के हिसाब से स्नान 29 जनवरी को किया जाएगा। इस दिन संगम पर भारी भीड़ उमड़ने की उम्मीद है। आपको बता दें कि इसके बाद तीसरा शाही स्नान 3 फरवरी 2025 को बसंत पंचमी के दिन किया जाएगा।
2) स्नान-दान का शुभ मुहूर्त :
हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या के दिन स्नान-दान का बेहद महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, 29 जनवरी को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:25 बजे से 6:19 बजे तक रहेगा। ऐसे में इस दौरान स्नान और दान को बेहद शुभ माना गया है। अगर इस समय में स्नान नहीं कर पाएं, तो सूर्योदय से सूर्यास्त तक कभी भी स्नान और दान कर सकते हैं।
3) मौन रखने का कारण :
मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने का विधान है। साधक इस दिन मौन रहकर व्रत करते हैं, जो मुख्यतः आत्मसंयम और मानसिक शांति के लिए किया जाता है। यह व्रत साधु-संतों के द्वारा भी किया जाता है, क्योंकि मौन रहकर मन को नियंत्रित करना और ध्यान में एकाग्रता लाना सरल हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार, मौन व्रत से व्यक्ति के भीतर आध्यात्मिक उन्नति होती है। इसके माध्यम से वाणी की शुद्धता और मोक्ष की प्राप्ति संभव है। यह व्रत आत्मिक शांति और साधना में गहराई लाने का एक सशक्त माध्यम है।
और साधु-संत लोग की महान उपलब्धि होती है, वाणी की शुद्धता, आत्मिक शांति और साधना में गहराई लाने, तथा उनकी साधना तब पूर्ण समझी जाती है, जब मोक्ष की प्राप्ति संभव हो। तो बस यह व्रत एक सशक्त माध्यम है, उसी महान उपलब्धि का...
4) डुबकी लगाना क्यों खास :
मौनी अमावस्या का दिन खास इसलिए है, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि इस दिन पितृ धरती पर आते हैं। अगर इस दिन संगम में स्नान के साथ पितरों का तर्पण और दान किया जाए, तो उनकी आत्मा तृप्त होती है और उन्हें मोक्ष मिलता है। इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और परिवार पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है। सिर्फ पितरों के लिए ही नहीं, मौनी अमावस्या का स्नान हर व्यक्ति के लिए खास माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं। यह दिन आत्मिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
मौनी अमावस्या का व्रत हर वर्ष माघ मास की अमावस्या तिथि पर रखा जाता है। इसे माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। वर्ष 2025 में यह व्रत 29 जनवरी को रखा जाएगा, और इसी दिन महाकुंभ मेले में दूसरा अमृत स्नान भी होगा। धार्मिक ग्रंथों में अमावस्या तिथि को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह दिन गंगा स्नान, दान और पितरों की पूजा के लिए समर्पित होता है। प्रत्येक अमावस्या का अपना विशेष महत्व होता है, लेकिन मौनी अमावस्या को इनमें सबसे खास माना गया है। इस दिन मौन रहकर व्रत करने की परंपरा है। इसे जप, तप और साधना के लिए सबसे उपयुक्त समय माना गया है।
5) मौनी अमावस्या व्रत के नियम :
- इस दिन प्रातःकाल गंगा स्नान करना आवश्यक है। यदि गंगा स्नान संभव न हो, तो पवित्र नदी के जल से स्नान करने का प्रयास करें।
- पूरे दिन मौन रहकर ध्यान और जप करें।
- व्रत के दौरान किसी प्रकार का बोलना वर्जित है। तिथि समाप्त होने के बाद व्रत पूर्ण करें।
- व्रत खोलने से पहले भगवान राम या अन्य इष्ट देव का नाम अवश्य लें।