श्लोक ने श्वेता को बाहों में भर लिया, आहा! क्या बात है madam, बिजली गिरने के mood में हैं। Coffee पीने चलें?
ओह! क्यूं आज आपकी स्नेहा ने coffee पीने से मना कर दिया था, जो जल्दी चले आए और coffee पीने चलने की बात कर रहे हो... श्वेता ने श्लोक की बाहों से छिटक कर बोला...
प्यार पर घात (भाग-4) के आगे…
प्यार पर घात (अंतिम भाग)
स्नेहा... श्लोक बहुत जोर-जोर से हंसने लगा...
स्नेहा नहीं, महेश... हंसते-हंसते श्लोक ने कहा।
महेश!! क्या मतलब? श्वेता ने पूछा
अरे, मैं तो bore हो गया एक महीने तक रोज़-रोज़ एक घंटा महेश के साथ बैठकर...
तुम क्या बोल रहे हो, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है।
आओ, पहले मेरे नजदीक तो आओ...
नहीं, दूर ही रहकर बताओ, गुस्से से भरी श्वेता बोली...
अरे, तुम्हें याद है वो दिन, जिस दिन मैंने तुम्हारे बेडोल शरीर के विषय में comment किया था?
कैसे भूलूंगी, तुम्हारा वो दंश...
हाँ, उस दिन मैं आवेश में बोल गया था, उसका मुझे अफसोस भी हुआ, कि मैं यह क्या बोल गया?
अच्छा, अफसोस हुआ था, ऐसा लगा तो नहीं था उस दिन..
हुआ था, मैं तुम्हारे पास तुम से माफी मांगने भी आने वाला था कि तभी एक विचार ने मुझे रोक लिया?
अच्छा वो क्या? श्वेता का ग़ुस्सा, कौतूहल में बदल रहा था।
वही जो मैंने किया...
और क्या किया तुमने?
मैंने एक गुलाबी खूशबूदार काग़ज़ अपनी जींस में रखा, स्नेहा के नाम प्रेम अनुरोध लिखकर, जो तुम देख सको...
और तुम्हें कैसे पता, मैंने देख लिया है?
क्योंकि अगले दिन जेब में दस का सिक्का नहीं था।
बस उसी दिन से मैंने रोज़ महेश के साथ एक घंटा गुजराना या यूं कहूं, झेलना शुरू कर दिया...
पर क्यों किया, यह सब?
श्लोक, श्वेता का हाथ पकड़कर आईने के सामने ले गया और बोला, देखो, अपनी प्यारी sweetheart श्वेता को वापस पाने के लिए...
पिछले एक महीने अपना पूरा ध्यान रखने के कारण, श्वेता पहली-सी निखर गई थी।
अच्छा, तो तुमने मेरे प्यार पर घात नहीं किया?
सोच भी नहीं सकता, श्लोक की आंखों में प्यार और सच्चाई थी।
तो फिर वो गुलाबी खूशबूदार काग़ज़, आज भी तुम्हारे पास होगा...
बिल्कुल है, कहकर उसने वो कागज श्वेता के हाथ में थमा दिया।
साथ ही कहा, मुझे माफ़ कर देना श्वेता, उस रात के लिए और पूरे महीने के लिए भी... क्योंकि तुम्हें तुम से वापिस मिलाने के लिए, मेरे पास कोई और उपाय नहीं था।
मुझे फ़र्क नहीं पड़ता, तुम जैसी भी हो, मेरी हो, और मुझे बहुत खूबसूरत ही लगती रहोगी।
पर तुम्हारे अंदर की वो कुंठा, जो तुमने शौर्य के होने के बाद कही थी, उसे ठीक करना था।
जिसके लिए तुमने दो-चार बार प्रयास भी किया, पर पूरी लगन से नहीं और अंत में छोड़ भी दिया..
मुझे लगा कि अगर तुम्हारे प्यार पर घात लगा, तो शायद तुम अपना ध्यान रखना शुरू कर दो, और वही हुआ...
पुरानी श्वेता वाला, सुडौल, छरहरा शरीर, बहुत नाज़ुक और खूबसूरत, glow करने वाला confident चेहरा वापिस आ गया था।
आईना देखते हुए श्वेता अपने आप को देखकर अपने प्यारे श्लोक पर निहाल हो गई, जिसे वो प्यार पर घात समझ रही थी, वो तो उसे उससे मिलाने की कोशिश थी।
श्वेता, आगे कभी मत समझना कि मैं हमारे प्यार पर घात कर सकता हूं, मेरी श्वेता के आगे, सारे पानी भरते हैं। श्लोक ने श्वेता का मुंह अपने हाथों में लेकर कहा...
नहीं, कभी नहीं मुझे मुझसे मिलाने के लिए, बहुत सारा धन्यवाद...
बस धन्यवाद?
श्वेता प्रेम से अभिभूत श्लोक की बाहों में समा गयी।