सावन का पावन महीना चल रहा है। भोलेनाथ की कृपा पाने का माह, उनकी आराधना, अर्चना, उपासना का समय...
आज सावन के पहले सोमवार पर महाकालेश्वर जी की आराधना और उज्जैन की परिकल्पना शिवभक्ति को पूर्ण करती है।
इसलिए महादेव की आराधना करते हुए, आज शब्दों के माध्यम से उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भ्रमण करते हैं।
लोग कहते हैं कि मैं महाकाल के दरबार में जाना तो चाहता हूं, पर क्या करें कभी पैसे का अभाव हो जाता है, तो कभी छुट्टी का, तो कभी मौसम खराब हो जाता है। पर जिसको पहुंचना होता है, उसके पास कुछ भी नहीं हो, वो फिर भी पहुंच ही जाता है।
बुलावा महाकालेश्वर जी का
जानते हैं कैसे?
क्योंकि महाकालेश्वर मन्दिर में पहुंचने का बुलावा आता है, इसलिए जिनको महादेव बुलाते हैं, सिर्फ वो ही उनके दरबार में हाजिरी लगा पाता है।
अतः जिस पर भोलेनाथ की कृपा होती है, वो उज्जैन में महाकाल के दर्शन करने अवश्य पहुंचता है।
भोले भंडारी ने हम पर अपनी असीम कृपा बनाई और हम लोगों को पिछली जन्माष्टमी महोत्सव पर महाकाल की नगरी उज्जैन जाने का सुअवसर प्राप्त हुआ। हम लोग बहुत ही प्रसन्नता के साथ पहुंच गए, उज्जैन...
हमने विशेष रूप से पिछली जन्माष्टमी पर उज्जैन जाने का विचार बनाया था, जिससे कम भीड़ मिले।
उज्जैन की पावन धरती को छूने मात्र से मन में एक विशेष अनुभव की अनुभूति हुई।
और जब हम लोग महाकाल जी के मंदिर के corridor में पहुंचे तो ज्ञात हुआ, कि वो बेहद विशाल और बेइंतहां खूबसूरत था।
जब यहां आएं तो एक शाम corridor के लिए भी लेकर आएं, क्योंकि पूरे कोरिडोर की अनुपम छटा का आनन्द लेने के लिए कम से कम 4 से 6 घंटे होने चाहिए।
एक अलग ही दुनिया थी, उज्जैन से इतर, वो कोरिडोर, शिव नगरी सा प्रतीत हो रहा था। महामृत्युंजय मंत्र की आलोकिक ध्वनि हर क्षण निरंतर सुनाई दे रही थी, जो मन के भक्ति पटल को आह्लादित कर रही थी।
स्वच्छ और बहुत चौड़ा path था, स्वच्छ पानी की भरपूर व्यवस्था थी, वहां बहुत बड़ा RO plant लगा था।
दीवारों पर बहुत सुन्दर carving थी। जगह-जगह विशाल मूर्ति और उसी corridor में भारत माता का विशाल मंदिर भी था।
सुरक्षा की बहुत अच्छी व्यवस्था थी, साथ ही वहां मौजूद guards यह भी देख रहे थे कि वहां सब सुचारू रूप से चले। मतलब हर activity बहुत smooth थी।
भस्म आरती के virtual दर्शन भी हो रहे थे।
महाकाल के संपूर्ण दर्शन करने हों तो भस्म आरती का दर्शन प्रमुख होता है।
पर भस्म आरती के दर्शन इतने सुलभ नहीं है, उसके लिए online and offline दोनों ही तरह से booking होती है, लेकिन दोनों ही तरह से booking हो पाना, लगभग नामुमकिन-सा ही है।
क्योंकि online booking बहुत जल्दी full हो जाती है, मतलब जब तक आप उसकी site तक पहुंचेंगे, booking full हो चुकी होगी।
और offline booking तो बहुत ही मुश्किल होती है, रात्रि की 3 बजे की आरती के लिए, शाम को 7 बजे से line लग जाती है और शुरू के 60 लोगों को ही booking मिलती है, जिसमें हर group में पांच व्यक्ति ही शामिल हो सकते हैं। मतलब अगर आप का group बड़ा है तो, आप को इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप के पूरे group की booking हो जाए।
भस्म आरती से जुड़ी जानकारी लेने के लिए हम लोग protocol office चले गए थे। क्योंकि भस्म आरती रात्रि 3 बजे से सुबह 5 बजे तक होती है, तो आधी रात में आकर पता करना मुश्किल लग रहा था।
सारी जानकारी मिलने के पश्चात्, सोचा कि शीघ्र दर्शन कर लीजिए। हमें internet द्वारा प्राप्त जानकारी अनुसार पता चला था कि महाकाल जी के शीध्र दर्शन के लिए टिकट लिया जाता है और अलग से line लगती है।
Protocol office में जानें के कारण हम लोग उस gate से दूर पहुंच गए थे, जिससे सब लोग जा रहे थे।
एक guard से पता किया, कि शीघ्र दर्शन करने के लिए कहां से ticket लें, तो उन्होंने कहा कि आज कृष्ण जन्माष्टमी है, अतः शीध्र दर्शन के लिए कोई line या कोई अलग से ticket नहीं है।
हम मायूस हो गये कि ना जाने कब दर्शन करने पहुंच पाएंगे, तभी वहां मौजूद guards ने बताया कि आप जिस gate से अंदर जा रहे हैं, वो ही शीघ्र दर्शन के लिए जाने का gate है।
मतलब दर्शन शीघ्र ही होने थे पर बिना किसी ticket के...
भगवान शिव के साथ भगवान कृष्ण भी अपनी विशेष कृपा बना रहे थे। अतः हम बहुत जल्दी महाकाल जी के दर्शन करने पहुंच गए, और हम जहां खड़े थे, वहां से महाकाल जी के इतने अच्छे दर्शन हुए कि हम लोगों ने लगभग 2 मिनट तक महाकाल जी के दर्शन किए।
किसी भी बड़े मंदिर में दर्शन करने के लिए जाएं तो 2 seconds से ज्यादा रुकने का मौका नहीं दिया जाता है, पर हम वहां पूरे दो मिनट तक महाकाल जी के दर्शन कर सके।
हमने महाकाल जी से ही प्रार्थना की, कि हे महाकाल जी आप अपनी पूर्ण कृपा प्रदान करें और हमें अपनी भस्म आरती में सम्मिलित होने का अवसर प्रदान करें 🙏🏻
हम उसके बाद वहां से निकल आए, क्योंकि कोरिडोर बहुत बड़ा था और उसको पूरा देखना उस समय संभव नहीं था। अतः हमने उसे अगले दिन में देखने के लिए रख दिया।
क्योंकि लालच एक यह भी था कि उसी के बहाने एक बार शिव नगरी में फिर आ जायेंगे।
हम रात 9 बजे तक अपने resort में पहुंच गए थे।
रात 1:30 बजे स्नान कर के, हम 2 बजे तक auto से मंदिर की ओर चल दिए, क्योंकि रात में auto के अलावा कुछ भी मिलना मुश्किल था और उस auto वाले का number हम resort में लौटते समय लेते आए थे।
हमें 9 बजे उसने resort में छोड़ा था और रात 2 बजे पुनः वो हमारे सामने था।
अनजाना शहर, अजनबी ओटो वाला, रात्रि का समय, शांत शहर पर सच बता दें आपको, हम लोगों को बिलकुल भी संशय और भय का अनुभव नहीं हुआ और ना ही ऐसा प्रतीत हो रहा था कि सही जा रहे हैं कि नहीं।
कहते हैं कि जिसके साथ हों महाकाल, उसका क्या बिगाड़ेगा काल।
यह वहां पूर्णतः चरितार्थ लग रहा था। क्योंकि शहर शांत था पर सुनसान नहीं।
उस समय ऐसा प्रतीत हो रहा था कि शिव नगरी उज्जैन और शिव भक्ति आठों पहर जाग्रत रहती है।
हम वापस कोरिडोर में पहुंच गए थे, वहां भक्तों की शांत चहल-पहल दिख रही थी। Ticket या pass के साथ ही आधार कार्ड भी ले जाना होता है।
सारी checking के बाद जब हम मंदिर के भीतर के परिसर में पहुंच गए थे तो पुनः हर हर महादेव के स्वर गूंज रहे थे।
भीड़ के साथ हम आगे बढ़ रहे थे। भीड़ को देखकर समझ नहीं आ रहा था कि जब अंदर आना इतना दुश्वार है, तब भी इतनी भीड़...
खैर सब बढ़ते हुए अपने स्थान पर बैठते जा रहे थे, वहां बैठने की बहुत अच्छी व्यवस्था थी। कोई धक्का-मुक्की नहीं, किसी भी तरह का कोई झंझट नहीं, सभी अपने अनुसार जगह देखकर बैठते जा रहे थे।
यहां भी महादेव जी की विशेष कृपा थी, हम लोगों को बहुत ही अच्छी जगह मिल गई, जिससे हमें महाकाल जी के बहुत बढ़िया दर्शन प्राप्त हो रहे थे।
अद्भुत दृश्य था, भस्म आरती का... प्रभू का पंचामृत स्नान, फिर श्रृंगार, फिर भस्म से श्रृंगार, फिर पूजन आरती, और उसके बाद पुनः स्नान आदि...
मतलब उनका भस्म आरती श्रृंगार इतना अलौकिक, इतना भव्य था, कि जितनी देर वो चला, समय का भान ही नहीं हुआ, सब शिवमय था। इतनी रात होने के बावजूद, किसी की आंखों में नींद न होना, तो छोटी बात थी, कोई पलक भी नहीं झपकाना चाह रहा था, क्योंकि वहां मौजूद सभी शिव भक्त, एक-एक पल अपनी आंखों में समा लेना चाहते थे। क्योंकि ऐसे स्वर्णिम पल, जीवन में बार-बार नहीं मिलते हैं।
भस्म आरती पूर्ण होने के साथ ही, ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो महाकाल की विशेष कृपा प्राप्त हो गई हो।
इस क्षण, इस पल का आंखों से रसपान, स्वार्गिक सुख से कम न था। ऐसा प्रतीत हो रहा था, जैसे असंभव दिखता हुआ सपना संभव हो चुका था, पूर्ण हो चुका था।
जीवन में जितनी भी बार उज्जैन जाने का अवसर मिले, कम है, पर एक बार महाकाल के दर्शन करने अवश्य जाएं, क्योंकि सारे योग, साधना, तप, पूजा-अर्चना, व्रत एक तरफ और महाकाल के दर्शन दूसरी तरफ। अर्थात् अगर मोक्ष की कामना है तो दर्शन मात्र से मोक्ष प्राप्ति हो जाएगी।
हर हर महादेव 🚩
महाकालेश्वर मन्दिर से बढ़कर तो और कुछ नहीं है उज्जैन में, पर वहां उपस्थित अन्य पूजा स्थल के विषय में आपको सावन के अगले सोमवार में बताएंगे।
तो जुड़े रखिएगा, उज्जैन की अन्य विशेषताओं को जानने के लिए...