वो भयानक रात (भाग -1) के आगे...
वो भयानक रात (भाग -2)
यह कहते हुए सुनीता, उस बच्चे की ओर बढ़ी, जो गिर गया था, पर उसका पैर बड़ी तेज़ी से फिसला गया...
वो तो सन्नी ने संभाल लिया, वरना आशा के बच्चे के चक्कर में सुनिता की हड्डी ज़रूर टूट जाती...
सुनीता को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वो अचानक से फिसलने कैसे लगी थी?
तभी उसने ध्यान दिया कि आशा की 1 साल की बच्ची ने शूशू कर दिया था।
सुनीता को गिरता देख, आशा बोलने लगी, दीदी अपना ध्यान रखो, इन बस्ती के बच्चों की तो आदत है, गिरते-पड़ते, मारते-पीटते रहने की...
हम इतनी लोलो-पोच नहीं करते, तुम बड़े लोगों जैसे, वरना तो पाल लिए बच्चे...
तुम्हारा क्या है, दो बच्चे और office का काम, बस....
हमारे जैसे तुम लोग नहीं कर सकते, 10-10 बच्चे और दिनभर मैडमों के नखरे...
दुनिया भर का शोर और आशा की फालतू की बातें, सुन-सुनकर, सुरेश जी का सिर चकराने लगा, वो अंदर जाने को मुड़े ही थे कि फिर जोर-जोर से दरवाजा पीटने की आवाज आने लगी...
आह! अब कौन?...
आगे पढ़े, वो भयानक रात (भाग -3) में...