Wednesday, 30 July 2025

Article: शतरंज - दबदबा भारत का

आप सबके साथ साझा करते हुए बहुत हर्ष हो रहा है कि भारतीय खिलाड़ी दिव्या देशमुख ने FIDE women's chess world cup जीतकर भारत को गौरवान्वित कर दिया है। 

शतरंज - दबदबा भारत का 




भारत के गर्व की पराकाष्ठा तो यह है कि final में दोनों players भारतीय थे। मतलब final के result आने से पहले ही यह तय था कि gold and silver दोनों ही medals भारत को ही मिलने थे। 

बस जीत यह निर्धारित कर रही थी कि कौन सा player कौन सी position लेगा।

और इस के लिए हम सब भारतवासियों को दिव्या देशमुख और कुनेरु हम्पी दोनों पर गर्व है।

जहां 38 वर्षीय हम्पी पिछले दो साल से लगातार  विश्व रैपिड शतरंज का खिताब जीत चुकी हैं, और इस बार भी women's chess world cup tournament के final round तक पहुंची, वहीं दूसरी ओर मात्र 19 वर्ष की दिव्या ने इस साल विश्व विजेता बनकर पूरे देश को गौरवान्वित किया है। इसके साथ ही दिव्या, women's chess world cup जीतने वाली पहली महिला बनीं।

FIDE women's chess world cup 2025 में 107 खिलाड़ियों का single-elimination chess tournament था जो 5 जुलाई से 29 जुलाई 2025 तक जॉर्जिया के बटुमी में आयोजित किया गया था। यह FIDE women's chess world cup का third edition था।

इस जीत के साथ ही दिव्या भारत की चौथी woman grand master और total 88th grand master बन गई है।

भारत के पहले शतरंज grand master विश्वनाथन आनंद  हैं। उन्होंने 1988 में यह खिताब हासिल किया था। तब से अब तक भारत में 88 grand masters हो चुके हैं।

दिव्या देशमुख के अलावा अन्य तीन  women's grand masters हैं: कोनेरू हम्पी, हरिका द्रोणावल्ली, और वैशाली रमेशबाबू।

इस जीत के साथ एक और बात उभर कर सामने आ रही है कि भारत शतरंज पर अपनी बहुत मज़बूत पकड़ बनाता जा रहा है। फिर बात चाहे डी गुकेश, प्रगननंधा, अर्जुन, विदित की हो या, दिव्या, हम्पी, हरिका, वैशाली की हो। बल्कि हमारे देश की लड़कियों ने तो सिद्ध कर दिया है कि अगर वो मैदान में हैं तो पहले, दूसरे, तीसरे सब स्थान पर भारत ही रहेगा, उसकी बराबरी कोई देश नहीं कर सकता है। 

हमें गर्व है अपने भारतीय खिलाड़ियों पर, उनकी जीत पर, उनका ह्रदय से आभार कि उन्होंने देश का मान बढ़ाया, देश के तिरंगे को सर्वोपरि लहराया।

दिव्या देशमुख को उसकी जीत पर अनेकानेक बधाईयां 

जय हिन्द जय भारत 🇮🇳 

Monday, 28 July 2025

Article : रुद्राक्ष की शुद्धता

सावन के तीसरे सोमवार में आपके लिए रुद्राक्ष से जुड़ी हुई जानकारी लेकर आएं हैं।

आज कल पुनः लोगों में ईश्वरीय आस्था और भक्ति का संचार बहुत तेजी से बढ़ रहा है।

और इसी कड़ी में आता है, रुद्राक्ष धारण करना...

वैसे भी कहा जाता है कि जो रुद्राक्ष को धारण करता है, उसको रोग व्याधियों से छुटकारा मिल जाता है और जीवन सुख व चैन से व्यतीत होता है।

और सुखी व स्वस्थ जीवन की कामना तो सभी को होती है।

पर समस्या यह आती है कि रुद्राक्ष की सटीकता और शुद्धता को कैसे समझें?

रुद्राक्ष की सटीकता, उसकी शुद्धता का होना कितना ज़रूरी है और कैसे पहचानें कि रुद्राक्ष शुद्ध है कि नहीं?

चलिए इस विषय में जानते हैं उत्तराखंड के भुवन चंद्र अवस्थी जी से, उन्होंने देश की सेवा की और 21 साल पहले DSP की post से retire हुए।

वो बहुत ही ज्ञानी, जीवन्त, प्रेरणादायक और आध्यात्मिक भाव के प्राणी है।

वो उत्तराखंड से हैं, जहां बहुतायत से रुद्राक्ष मिलता है तो उनका इस विषय में विशेष ज्ञान है।

वो कहते हैं कि रुद्राक्ष सदैव 5 मुखी धारण करें।

रुद्राक्ष की शुद्धता


अब पांच मुखी रुद्राक्ष क्यों?

क्योंकि उसके शुद्ध और सटीक होने की संभावना अधिक है।

अधिक क्यों? बाकियों की क्यों नहीं?

इस का कारण यह है कि पंच मुखी रुद्राक्ष बहुतायत में पाए जाते हैं, अतः इसके शुद्ध और सटीक होने की संभावना ज्यादा होती है।

जबकि एक मुखी, दो मुखी... इत्यादि प्राप्त करना दुर्लभ होता है, अतः उनका शुद्ध और सटीक होना मुश्किल होता है, साथ की उनकी पहचान करना भी लगभग असम्भव...

तो अगर एक मुखी या दो मुखी इत्यादि रुद्राक्ष धारण करना हो तो क्या करें?

मात्र एक ही उपाय है, देने वाले पर विश्वास करना और यह भाव सुदृढ़ रखना कि आपने जो रुद्राक्ष धारण किया हुआ है वह शुद्ध और सटीक है।

क्योंकि इस संपूर्ण संसार में जो सर्वशक्तिशाली है, वो है भाव, आस्था, विश्वास और इच्छा...

जिसने भी शुद्ध भाव से, पूर्ण आस्था और विश्वास से, शुभ की इच्छा की है, उस बात को, उस चीज को शुद्ध और सटीक स्वयं ईश्वर बना देते हैं।

इसका साक्ष्य और सटीक उदाहरण है चोर और डाकू वाल्मीकि का महर्षि वाल्मीकि बनना। 

उनका मरा-मरा कहा, राम-राम में बदलना।

उनका चोरी इत्यादि करने से रामायण का लिखा जाना...

इससे अधिक सटीक उदाहरण आपको भाव की महत्ता का कोई और नहीं मिल सकता है।

इसलिए आप जो भी रुद्राक्ष धारण करें, उसे शुद्ध और सटीक होने के भाव से पहनें, और शिव भक्ति में लीन हो जाएं, बाकी सब महादेव देख लेंगे।

और यदि आप यह भाव अपने अंदर जाग्रत नहीं कर सकते हैं तो पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करें, वो शुद्ध और सटीक होगा, इसकी संभावना सर्वाधिक है। 

भुवन जी को विशेष धन्यवाद देते हुए आप सभी को सावन के तीसरे सोमवार पर हार्दिक शुभकामनाएँ...

हर हर महादेव 🚩 🔱 🙏🏻 

Friday, 25 July 2025

Poem: विरह की अग्नि

विरह की अग्नि 



थमी थमी सी 

रूकी रूकी सी 

जिंदगी चलती रही 

विरह की अग्नि में जल 

वो शमा सी पिघलती रही 

न उमंग, न तरंग  

जैसी कोई कटी पतंग 

पल पल की घड़ी 

मन में अब चलती रही 

हर पल, उस पल का

इंतज़ार करती हुई 

जिंदगी, है जो अपनी,

मगर, अब हर ही पल वो 

अजनबी सी लगती रही 

हर श्वास, इस विश्वास से 

आती और जाती रही 

शीध्र होगा मिलन 

जिसकी, हूक सी उठती रही