Saturday, 1 November 2025

Article : देव‌उठनी एकादशी

आज देवउठनी एकादशी व्रत है, देवउठनी एकादशी व देवशयनी एकादशी को श्रेष्ठ या सबसे बड़ी एकादशी समझी जाती ह, पर विशेषतः देवउठनी एकादशी का महत्व अधिक है।

कारण है, कि इस दिन प्रभु श्रीहरि अपनी चार महीने की निद्रा से उठते हैं। हम हिन्दुओं में सभी शुभ कार्य, शुभ मुहूर्त व लग्न देखकर किए जाते हैं। अतः जब प्रभु श्रीहरि जाग्रत होंगे, सभी शुभ कार्य तो तभी आरंभ होंगे। इसलिए देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व है।

देवउठनी एकादशी व्रत से जुड़ी अन्य बातों को जानने के लिए click करें -

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आज हम आपको बताते हैं, कि देवउठनी एकादशी व्रत की पूजा विधि क्या है तथा आज पूजा का क्या मुहूर्त है।

देवउठनी एकादशी


पूजा विधि :

देवउठनी एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में जागें, स्नान करके अपने मन, शरीर और घर-परिवार को शुद्ध करें। इसके बाद स्वच्छ एवं सम्भव हो तो पीले वस्त्र धारण करें, क्योंकि पीला रंग भगवान विष्णु का प्रिय माना जाता है। अब भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। पूजन से पहले आचमन करें और शुद्ध आसन पर बैठकर श्रीहरि के समक्ष पीले पुष्प, पीला चंदन, तुलसी दल और पुष्पमाला अर्पित करें। प्रसाद में पीली मिठाई, गन्ना, सिंघाड़ा, मौसमी फल और शुद्ध जल का भोग लगाएँ। फिर घी का दीपक एवं धूप प्रज्वलित कर भगवान विष्णु की मंत्रोच्चार के साथ आराधना करें। इस दिन विष्णु चालीसा, देवउठनी एकादशी व्रत कथा, श्रीहरि स्तुति और विष्णु मंत्रों का जप विशेष पुण्यदायी माना जाता है। पूजा के उपरांत विष्णु जी की आरती करें और किसी भी भूल या कमी के लिए क्षमा याचना करें। दिनभर व्रत का पालन करते हुए संयम और सात्त्विकता बनाए रखें। शाम के समय पुनः पूजा करें और घर के मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाएं, जिससे शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। अगली सुबह द्वादशी तिथि में शुभ समय देखकर व्रत का पारण करें और भगवान विष्णु को धन्यवाद देकर प्रसाद ग्रहण करें।


लोकप्रिय भजन :

उठो देव, बैठो देव, पाटकली चटकाओ देव।

आषाढ़ में सोए देव, कार्तिक में जागे देव।

कोरा कलशा मीठा पानी, उठो देव पियो पानी।

हाथ पैर फटकारी देव, आंगुलिया चटकाओ देव।

कुवारी के ब्याह कराओ देव, ब्याह के गौने कराओ।

तुम पर फूल चढ़ाए देव, घीका दीया जलाये देव।

आओ देव, पधारो देव, तुमको हम मनाएँ देव।


मुहूर्त :

वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि - 1 नवंबर को सुबह के 9:12 पर शुरू होगी, जो 2 नवंबर को शाम के 7:32 पर समाप्त हो जाएगाी। ऐसे में गृहस्थ लोग 1 नवंबर को और वैष्णव संप्रदाय के लोग 2 नवंबर को देवउठनी एकादशी का व्रत रखेंगे। दरअसल, गृहस्थ लोग पंचांग के अनुसार और वैष्णव परंपरा के साधक व्रत का पारण हरिवासर करते हैं।


शुभ मुहूर्त :

  • ब्रह्म मुहूर्त- सुबह के 4:50 से सुबह के 5:41 मिनट तक
  • अभिजित मुहूर्त- सुबह के 11:42 से दोपहर के 12:27 तक
  • अमृत काल- सुबह के 11:17 से दोपहर के 12:51 तक
  • रवि योग- सुबह के 6:33 से शाम के 6:20 तक
  • ध्रुव योग- 1 नवंबर को सुबह के 4:31 से 2 नवंबर को सुबह 2:09 तक


जपे जाने वाले मंत्र :

  • ॐ अं वासुदेवाय नम:
  • ॐ आं संकर्षणाय नम:
  • ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
  • ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
  • ॐ नारायणाय नम:
  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
  • ॐ विष्णवे नम:
  • ॐ हूं विष्णवे नम:


आखिर में “ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे” की आरती के साथ प्रथम दिन की पूजा पूर्ण करें।


पारण का समय :

1 नवंबर को व्रत रखने वाले जातक 2 नवंबर को व्रत का पारण करेंगे। इस दिन दोपहर के 1:11 से 3:23 तक पारण करना सबसे शुभ है।


हरि वासर समाप्त होने का समय :

दोपहर के 12:55 बजे।


हे श्रीहरि, देवउठनी एकादशी में सभी के घर शुभ करें एवं सभी के घरों में सुख-समृद्धि बनी रहे 🙏🏻

Friday, 31 October 2025

Article : National Unity Day

आज राष्ट्रीय एकता दिवस है।

राष्ट्रीय एकता दिवस, यह किस उपलक्ष्य में आयोजित किया गया है?

2014 से government offices में तो लगभग सभी जानते हैं, किन्तु अभी भी बहुत से लोग नहीं जानते हैं।

राष्ट्रीय एकता दिवस पर विशेषतः सतर्कता पर ही कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। Slogan, essay, debate, drawing competition etc.

आज सरदार वल्लभ भाई पटेल जी का जन्मदिवस है और आज उनकी 150वीं जयंती है।

सरदार वल्लभ भाई पटेल जी से कौन नहीं परिचित होगा, लेकिन शायद पूरी तरह से नहीं, मतलब उनकी उपलब्धियों से या यूं कहें उनके द्वारा किए गए महान कार्यों से...

National Unity Day


सरदार वल्लभ भाई पटेल आजादी की लड़ाई से जुड़े एक महत्वपूर्ण क्रांतिकारी थे। 

पर जितने सक्रिय यह देश को आजादी दिलाने के लिए थे, उसके अधिक उनका विशेष योगदान, आज़ादी के बाद रहा।

देश के आजाद होने के बाद यह decide होना था कि देश का प्रधानमंत्री किसे बनाया जाए, तब सर्व सम्मति से सरदार वल्लभ भाई पटेल का नाम ही चुना गया था।

लेकिन नेहरू की महत्वाकांक्षा के कारण गांधी जी ने नहेरू जी को प्रधानमंत्री और पटेल जी को उपप्रधानमंत्री व गृहमंत्री बना दिया।

देशभक्त पटेल जी ने देशभक्ति और गांधी जी को सम्मान देते हुए इस पद को भी सहर्ष स्वीकार कर लिया।

अब शुरू होता है उनका विशेष योगदान...

अंग्रेजों ने भारत को आज़ाद करते हुए एक षड्यंत्र रचा, उन्होंने भारत को 562 रियासतों में बांट दिया, तथा भारत-पाकिस्तान का विभाजन इस तरह से किया कि भारत के बीच-बीच में पाकिस्तान का हिस्सा था। जिससे भारत और पाकिस्तान, दोनों में से कोई भी पनप न पाए, उनका विकास न हो पाए।

उस समय आज़ादी के मिलने से जितनी प्रसन्नता थी, विभाजन होने से उतना ही अवसाद...

पूरा भारत भूखमरी, गरीबी और असंतोष की भावना से जल रहा था। ऐसे में देश का नेतृत्व आसान नहीं था और 562 रियासतों को जोड़कर एक करना उससे भी कठिन।

ऐसे समय में बहुत ही सतर्क, सुदृढ़, दूरदर्शी और सशक्त व्यक्ति की आवश्यकता थी और उसी महती भूमिका को निभाया था, हमारे सरदार वल्लभ भाई पटेल जी ने।

पटेल जी की दूरदर्शिता, सुदृढ़ता, सतर्कता ने सशक्त रूप से निर्णय लेना आरंभ कर दिया।

उन्होंने न केवल सारी रियासतों को जोड़कर एक भारत किया, बल्कि पाकिस्तान के जो भाग भारत के बीच-बीच में थे, उन्हें सम्पूर्ण भारत बना दिया। 

उनकी ही कोशिश से कश्मीर भी भारत मे मिल पाया था।

तो अगर इसे संक्षेप में समझें तो खंड-खंड भारत का अखंड भारत बनना, सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के अथक प्रयासों के कारण ही संभव हुआ है। 

पर इसे त्रासदी ही कहेंगे कि उनके इतने बड़े योगदान को यूं ही धूमिल कर दिया गया, कि हमें अपने बचपन में कभी इससे अवगत ही नहीं कराया गया। जबकि सरदार वल्लभ भाई पटेल एक कांग्रेसी नेता ही थे। उसके पश्चात भी यह पक्षपात, केवल परिवार वाद को आगे बढ़ाने के लिए...

आप मानें या न मानें, पर धन्य है BJP government, जिसने 2014 में आकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के अमूल्य योगदान को धन्यवाद देने के लिए, उनके जन्मदिवस को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाना प्रारंभ कर दिया। 

उन्होंने 2013 में गुजरात के केवड़िया में, महान भारतीय राजनेता सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा बनवाने का कार्य आरंभ किया, जो 2018 में पूरा हुआ। इसे statue of unity का नाम दिया, जो दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है, जिसकी ऊंचाई 182 मीटर है। इससे प्रतिवर्ष करोड़ों का revenue आता है।

आज जब उनकी 150वीं जयंती थी, तो केवड़िया में प्रधानमंत्री मोदी जी ने सरदार पटेल जी को श्रद्धांजलि प्रदान की।

उसमें आयोजित होने वाला programme इतना भव्य था, मानो 26 January में होने वाले आयोजन का छोटा-सा प्रतिरूप।

इस एकता parade में शौर्य शक्ति और अखंडता का संदेश दिया गया, जिसमें BSF, CRPF, CISF, ITBP, SSB, NSG, NDRS, विभिन्न राज्यों की पुलिस टुकड़ी आदि की parade शामिल थी।

विभिन्न राज्यों की झांकियां और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए, जिनसे प्रदर्शित हो रहा था, मैं शक्ति भी सुरक्षा भी।

शौर्य शक्ति, एकता, भारतीय संस्कृति, देशभक्ति, एकता में अनेकता, सामंजस्य शक्ति, दूरदर्शिता आदि का अनूठा संगम था।

अब से हम National Unity Day को सिर्फ government offices तक सीमित नहीं रहने देंगे, बल्कि हम सब भारतीय, उनके सामने नतमस्तक होकर उनके अमूल्य योगदान को धन्यवाद देंगे।

आइए, आज सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के सपने को साकार करने का संकल्प लेते हैं।

एक भारत, श्रेष्ठ भारत 🇮🇳 

और साथ ही संकल्प लें, भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का।

जय हिन्द, जय भारत 🇮🇳 

Wednesday, 29 October 2025

Article : ढलते सूर्य को प्रणाम

कल लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का सूर्य देव को अर्घ्य कर समापन हो गया।

छठ पूजा, मुख्यतः बिहारी लोग करते हैं, और 2014 से पहले यह लगभग बिहार तक ही सीमित था।

शायद कुछ लोगों को यह अच्छा न लगे, पर सच्चाई यही है कि 2014 के बाद से भारतीय संस्कृति, तीज-त्यौहार इत्यादि, किसी एक राज्य तक सीमित नहीं रह गये हैं बल्कि हर राज्य में सभी भारतीय तीज-त्यौहार अपनी छटा बिखेर रहे हैं।

अभी हाल में छठ पूजा में वही माहौल दिल्ली व अन्य राज्यों में देखने को मिला। 

ढलते सूर्य को प्रणाम


ऐसा नहीं है कि इस साल जब दिल्ली में BJP government आई है, तब ही छठ पर्व धूमधाम से मनाया गया है। उससे पहले आप सरकार के समय भी धूमधाम थी, पर इस साल धूमधाम थोड़ी और बढ़ गई है।

और यदि BJP government centre में रही, और जिस तरह का जोश लोगों में देखने को मिल रहा है, सभी तरह के त्यौहारों को प्राथमिकता मिलती ही रहेगी। 

छठ पर्व बहुत सालों से मनाया जा रहा है‌ और इसमें सूर्यदेव की हर समय की पूजा की जाती है। 

लेकिन शायद ही किसी का ध्यान, इस ओर गया हो, जिस ओर मोदी जी का ध्यान गया और वो कि सिर्फ और सिर्फ छठ पर्व में ही ढलते सूर्य की भी पूजा की जाती है।

सूरज की दो अवस्थाएं होती हैं, उगता सूरज और ढलता सूरज।

उगते सूरज को भाग्योदय, सफलता और समृद्धि से संदर्भित किया जाता है, जबकि वहीं ढलते हुए सूरज को जीवन के ढलान‌ से, जीवन के आखिरी पड़ाव आदि से संदर्भित किया जाता है।

इस तरह से हमेशा उगते सूर्य को प्रणाम किया जाता है, उसे ही मान देते हैं।

तो जो अगर डूबते हुए सूरज को भी अर्घ्य दे रहा है, तो उसमें ऐसा क्या विशेष है?

वो विशेषता है, संस्कार की...

संस्कार की! इसमें संस्कार वाली बात कहां से आ गई?

जी बिल्कुल, संस्कार ही होते हैं। उन मनुष्यों में, जो सामने वाले को उसका पद, समृद्धि और वैभव देखकर नहीं, अपितु उसको हर स्थिति में सम्मान देता है।

यहाँ यह सम्मान, किसी गरीब को देना, किसी retired बुजुर्ग को देना, जो महिलाएँ नौकरी पेशा नहीं हैं, उन्हें देना, इत्यादि। एक तरह से देखा जाए तो सबको हर स्थिति में सम्मान प्रदान करना।

और छठ पूजा, सूर्य देव की हर स्थिति में पूजा करना उसी सम्मान को दर्शाता है।

इसके साथ ही एक और बात है, जो बिहारियों को बाकी राज्यों के हिन्दूओं से श्रेष्ठ बनाता है और वो कि छठ पर्व का बहुत कठिन नियम होता है। पर आज भी वो सारे कठिन नियमों का विधिवत न केवल पालन कर रहे हैं, बल्कि पूरा परिवार एकजुट होकर कंधे से कंधा मिलाकर काम करने में एक दूसरे का साथ देते हैं।

मुस्लिमों में पांच वक्त के नमाज़ी को विशेष सम्मान दिया जाता है। उसी प्रकार हिन्दुओं को भी छठ पूजा करने वाले को विशेष सम्मान प्रदान करना चाहिए। 

बल्कि इसके इतर, बिहारियों को वो सम्मान नहीं मिलता है, जो उन्हें मिलना चाहिए।

एक कहावत है, एक बिहारी, सब पर भारी और देखा जाए तो यह कुछ हद तक सही भी है।

बिहारियों के सभी व्रत-त्यौहार सबसे कठिन होते हैं, फिर भी वो वैसे ही विधिवत पूजन करते आ रहे हैं, उनके अंदर आज भी ईश्वर के प्रति आस्था सबसे अधिक है।

अगर अपने से बड़ों को सम्मान देने की बात कहें तो वो भी सबसे अधिक इनमें मिलता है।

अगर संस्कार कहें तो वो भी बहुत कुछ पहले जैसा ही है, पहनने-ओढ़ने में, रखरखाव में, बातचीत में, खाना-पीना बनाने इत्यादि में।

और अगर शिक्षा की बात करें तो सबसे ज़्यादा IAS, PCS officer बिहार से ही select होते हैं। 

छठ व्रत रखने वाले सभी व्रतियों को सम्पूर्ण सम्मान के साथ प्रणाम।

हमें आधुनिकता के साथ-साथ अपने संस्कारों से भी सदैव जुड़े रहना चाहिए। जहां दोनों हैं, सही अर्थों में वही सफल से, समृद्ध है, भाग्यवान है।

जय छठी मैया, जय भारत 🙏🏻