विश्वास
नन्हा सोनू अपनी माँ का लाडला
एकलौता बेटा था। पिता के नहीं रहने से उसकी माँ,
उसका व अपना गुजर-बसर लोगों के घर बर्तन धोकर किया करती थी। सोनू बड़ा ही होनहार व अपनी माँ का आज्ञाकारी बेटा था।
पिता के नहीं रहने के बाद से सोनू ने अपनी माँ से कभी किसी चीज़ की demand नहीं की। पर उसकी माँ जानती थी, कि उसके
बेटे को पढ़ने का बहुत शौक है। अतः जैसे-तैसे पैसे जोड़
के वो अपने बेटे को
पढ़ने भेजा करती थी। सोनू भी बहुत मन लगा के पढ़ाई करता था।
वहाँ साहूकार का बेटा रजत भी पढ़ता था। वो पढ़ने में एकदम
zero था। सोनू पढ़ने में होनहार था, इसलिए वो
सोनू से बहुत चिढ़ता था। आए दिन वो ऐसी हरकतें करता, जिससे सोनू को
नीचा देखना पड़े। सोनू भी क्रोध का घूंट पी के
रह जाता, क्योंकि
उसकी माँ रजत के घर
भी काम करती थी। और रजत की माँ बड़ी भली स्त्री थी, वो आए दिन सोनू
की माँ की मदद किया करती थी। अतः सोनू अपनी माँ को भी स्कूल की बात नहीं बताता था।
पर वो अंदर ही अंदर बहुत ही दुखी था। सोनू की माँ भाँप गयीं
कि सोनू को कुछ बात
सता रही है, जो
वो उसे नहीं बता रहा
है।
सोनू की माँ ने उससे कहा, बेटा
जो तू मुझे नहीं बता
पा रहा है, तू
वहाँ कान्हा जी का
जो मंदिर है ना। वहाँ जा कर अपनी बात कान्हा से बोल देना, वो
तेरी सारी बातें
सुनेगें भी, और
तेरी सारी परेशानी
दूर भी कर देंगे।
सोनू ने अब से बड़े विश्वास से कान्हा जी से सारी बातें बतानी शुरू कर दी। एक
दिन सोनू स्कूल जा रहा था, तो
उसे एक लड़का मिला, वो बड़ी मीठी धुन में बांसुरी बजा रहा था।
सोनू उसके पास गया, और
वहीं बैठ गया। जब
उसने बांसुरी बजाना बंद किया तो, सोनू ने पूछा, तुम्हारा
नाम क्या है?
वाह जी वाह, तब तो अब मंदिर जाने की जरूरत ही नहीं है।
तुम मेरे दोस्त बनोगे? कान्हा
बोले, हाँ
बिलकुल, मैं
तो तुम्हारा बहुत
दिन पहले से दोस्त हूँ, जब
से तुम अपनी माँ के
कहने से मुझे सब बात बताते थे तबसे।
अब तुम किसी बात की चिंता मत करो, अब
कोई तुम्हें कभी
परेशान नहीं करेगा। बस तुम्हें एक बात का ध्यान रखना, चाहे
जो भी हो, मुझ
पर हमेशा विश्वास
रखना।
सोनू अब बहुत खुश रहने लगा था, कि उसके पास
एक ऐसा दोस्त है, जिसे
वो अपने मन की सारी
बात बता सकता था।
सोनू को खुश देखकर, रजत
को बड़ी चिढ़न होती, उसने
principal जी से कहा, जन्माष्टमी आ रही
है। स्कूल में खीर बननी चाहिए। तो क्यों ना सब
के घर से दूध मँगवा कर स्कूल
में उत्सव मनाया जाए। principal
जी को बात जँच गयी।
स्कूल में घोषणा कर दी गयी, सबको
जन्माष्टमी में दूध लाना
है, जो
जितना ज्यादा दूध लाएगा, उसे
उतनी ज्यादा खीर
मिलेगी, और
जो नहीं लाएगा, उसे
खीर नहीं मिलेगी।
सोनू बहुत परेशान था, माँ
के पास तो पैसा है नहीं, दूध
कैसे लाएगी। उसे खीर
बहुत पसंद थी। तभी उसे ख़्याल आया, क्यों
ना कान्हा से मांगा
जाए। बहुत संकोच करके उसने स्कूल जाने से
पहले कान्हा से दूध मांगा, तो वो बोला, सोनू बड़ी देर कर दी आने में,
अब तो सिर्फ इतना ही बचा है, कहकर एक बहुत ही छोटा दूध से भरा हुआ लोटा दे दिया।
सोनू पहले तो मायूस हुआ, फिर
बोला मेरे लिए इतना
भी काफी है। और बड़े विश्वास के साथ लोटा ले कर चल दिया। जब स्कूल
पहुंचा, वहाँ सारे बच्चे बहुत बड़े बड़े बर्तन में दूध
लाये थे। उसका छोटा
सा लोटा देखकर रजत बहुत ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा। उसे हँसता देखकर सारे बच्चे भी
हंसने लगे। पर वो पूरे विश्वास से खड़ा रहा कि, कान्हा ने दिया
है दूध, तो
कम नहीं है। सबका दूध
बहुत बड़े से बर्तन में डाला जा रहा था, अभी तक बर्तन आधा भी नहीं
भरा था। जब सोनू की बारी आई, तो टीचर जी
भी चिल्ला दिये, क्या
सोनू मज़ाक कर रहा है
क्या? इतना
सा दूध देकर खीर
खाना चाहता है, चल
भाग यहाँ से। सोनू
ने जाते जाते, अपने
लोटे का दूध बर्तन
में डाल दिया। उसके दूध डालते ही ना केवल बर्तन
भर गया, बल्कि दूध बहुत तेज़ी से बहने भी लगा।
आपाधापी में और बर्तन लाये गए, स्कूल में
जितने भी बर्तन थे, सब
भर गए, पर
दूध अभी भी बह रहा
था।
सब हैरान थे। टीचर जी सोनू से पूछने लगे, कहाँ से दूध
लाये हो, जो
बढ़ता ही जा रहा है, उसने
कहा, अपने दोस्त
कान्हा से।
सब बोले हमें भी कान्हा से मिलना है, सोनू सब को ले
गया, पर
वहाँ कान्हा नहीं
मिले। जब सब चले गए, तब
कान्हा आये। सोनू
गुस्सा हो गया, तब
क्यों नहीं आए थे? कान्हा बोले- क्योंकि
मैं विश्वास करने
वालों को ही दिखता हूँ, परीक्षा
लेने वालों को नहीं।
सोनू भी स्कूल चला गया, बहुत ज्यादा खीर बनी थी, पूरे गाँव में बाँट
दी गयी। अब सोनू को कोई परेशान नहीं करता था, सब जान चुके थे, सोनू के साथ कान्हा रहते हैं। पर ये केवल सोनू जानता था, कि जिस-जिस को भी
कान्हा पर विश्वास है, कान्हा
उन सब के साथ रहते
हैं। उन्हें अपने साथ रखना है, तो
ये विश्वास रखना होगा, कि जब वो साथ में हैं, तब
कुछ कम नहीं पड़ेगा, कभी
कुछ बुरा नहीं होगा।
क्या आपको है, इतना विश्वास !
क्या आपको है, इतना विश्वास !
बोलो बाँके बिहारी लाल की जय, बोलो गिरिधर गोपाल की
जय
नन्द के आनन्द भयो, जय कन्हैया लाल की
हाथी- घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की
Bhajan (Devotional Song): आए आए हमारे कान्हा जी
Bhajan (Devotional Song): दर्शन देंगे कान्हा
Bhajan (Devotional Song) : रिझाते सबको.....
Vishwas us kanha per...wo kabhi sath nahi chodta🙏🙏🙏
ReplyDeleteयही विश्वास हमेशा बनाए रखें
Delete🙏
Nice effort to inculcate true belief in God..in kids👏👏👏
ReplyDeleteThank you Ma'am
DeleteIt's an attempted to nurture values