ऐसा क्यों (भाग - 1) के आगे...
ऐसा क्यों (भाग -२)
उसने जैसे ही air force join की, वह अवसर ढूँढने लगा, कि कैसे वो अपने दादाजी व पिताजी की तरह देश का नाम रोशन कर सके। आखिर एक दिन उसे मौका मिल ही गया, वो round पर निकला हुआ था, तभी उसे कुछ आतंकवादी गतिविधि दिखाई दी। उसने अपने air marshal से कहा मुझे बार्डर पार कुछ आतंकवादी गतिविधियाँ दिखी है, जिसके लिए उसे बार्डर पार जाना पड़ेगा।
पर साथ ही मैं चाहता हूँ, ये mission top secret रहे, इसकी भनक किसी को भी ना हो, जिससे मैं अपने mission को fulfill कर सकूँ।
Air marshal, बोले इसमे जान का खतरा है, मैं तुम्हें अकेले नहीं भेज सकता।
सुंदर बहुत ही उत्साह और निडरता से बोला, sir आप मेरी चिंता ना करें, मैं mission खत्म करके ज़िंदा वापस ना लौटा तो मैं वीर परिवार का सपूत नहीं।
अच्छा ठीक है, तुम wireless, अपना plane कुछ बम, अपनी gun और कारतूस ले जाओ। तुम्हें अगर किसी भी तरह की requirement हो, message भेजना, मैं यहाँ से experts को भेज दूँगा।
उसके बाद सुंदर सब ले कर चला गया। दो दिन तक उसने दूर से ही आतंकवादी खेमे के एक एक movement पर नज़र रखी। फिर उसके बाद उसने वैसी ही वेषभूषा अपना ली, जैसी आतंकवादी खेमे के लोगों की थी। अपने सब समान उसने छिपा दिये। और उनके दल में शामिल होने की प्रतीक्षा करने लगा।
उसने मौका निकाल कर आतंकवादी खेमे में बम लगा दिया, फिर जब बम फटा, तो अपनी जान पर खेल कर मुखिया को बचा भी लिया। मुखिया की जान बचने से सभी बहुत खुश थे। सब सुंदर की बहादुरी से बहुत खुश हुए, और सुंदर बड़ी आसानी से उनके दल में शामिल हो गया।
कुछ ही दिनों में...
क्या हुआ कुछ ही दिनों में? कहीं सुन्दर पकड़ा तो नहीं गया?
जानने के लिए पढ़ें, ऐसा क्यों (भाग - 3)...