Advay the Hero: Blanket
हर बार की तरह, इस बार भी जब
दादा जी, आ रहे थे, तो advay बहुत खुश था। पापा के साथ वो भी station गया था, उन्हें लेने।
Train के रुकते ही पापा के साथ advay भी दादा जी के compartment में चढ़ गया। पापा और advay दोनों ने दादा जी के पैर छूए, फिर पापा ने उनका सारा समान उठा लिया, एक bag advay ने भी ले लिया।
Train के रुकते ही पापा के साथ advay भी दादा जी के compartment में चढ़ गया। पापा और advay दोनों ने दादा जी के पैर छूए, फिर पापा ने उनका सारा समान उठा लिया, एक bag advay ने भी ले लिया।
अरे advay तुमसे ना उठेगा, मैं ले लूँगा उसे, दादा जी बोले।
नहीं दादा जी, मैं उठा लूँगा, अब बड़ा जो हो गया हूँ। वैसे bag भारी ही था, और उसे उठाने में advay को दिक्कत भी हो रही थी। पर जोश में भरा advay उसे उठा कर चलता रहा।
जब सब car में बैठने लगे तो advay बोला, दादा जी आप मेरे
साथ पीछे बैठिएगा।
दादा जी बोले, हाँ-हाँ, अपने लाडले के पास ही बैठेंगे। कार में ही advay पूछने लगा, दादा जी इस बार हम लोग गरीबों को क्या बाटेंगे?
दो दिन बाद पापा और दादा जी के साथ advay भी blanket लेने गया।
Blanket वाले ने पूछा, कैसा दिखाऊँ?
कोई कुछ बोलता, उससे पहले ही advay बोला, हमें गरीबों को blanket बाँटने हैं, बहुत सारे दीजिएगा।
Blanket वाला, कड़े-कड़े blanket दिखाने लगा, उन्हें देखकर advay बोला, यह तो बहुत चुभ रहे हैं।
अरे बेटा, उन्हें नहीं चुभेंगे, उनकी ऐसे ही ओड़ने की आदत होती है, blanket वाला बोला।
दादा जी बोले, कुछ अच्छे वाले दिखाओ।
Advay ने अपनी pocket में हाथ डालकर 1000 रुपए, दादा जी को दे दिये, आप मेरे पैसे भी ले लीजिये। पर soft blanket ही लीजिएगा।
दादा जी ने advay को बहुत सारा प्यार किया, और उसके रुपए उसे वापस करके बोले, तुम अपने पैसे जोड़ते रहो, कभी तुम्हारे रुपए से भी समान खरीद लेंगे। आज हम अच्छे blanket अपने रुपए से ही ले लेंगे।
जब वो blanket बाँट रहे थे, तो सब गरीब लोग बहुत खुश हुए, बोले आज तक इतना अच्छा blanket किसी ने नहीं दिया, हमेशा चुभने वाला ही सब देते हैं, कोई कभी यह नहीं सोचता है, कि हमे भी अच्छे की चाह हो सकती है।
दादा जी मन ही मन सोच रहे थे, कि दान तो बहुत लोग देते हैं, पर दान दी हुई चीज अच्छी हो। ये बहुत कम लोग ही सोच पाते हैं, आखिर उसे use करने वाले भी तो इंसान ही होते हैं।
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