आज Superstition segment में एक और ऐसी धारणा को साझा कर रहे हैं, जिसको बहुत लोग मानते हैं।
वो है किसी व्यक्ति का छींकना...
वैसे अब इसके प्रभाव को बहुत से लोगों ने मानना बंद कर दिया है, फिर भी अभी भी बहुत से लोग छींक का विचार करते हैं।
जैसे किसी काम या यात्रा के समय कोई निकल रहा हो, ऐसे में कोई छींक दे, तो बहुत अपशकुन होता है, लोग मानते हैं कि ऐसे में काम के बिगड़ने की संभावना बढ़ जाती है।
छींकना : शकुन- अपशकुन
शकुन अपशकुन जानने से पहले यह जान लेते हैं कि छींक क्यों आती है?
छींक mostly तब आती है जब हमारी नाक के अंदर, उसकी झिल्ली में कोई ऐसा partical चला गया, (जो कि मुख्यता संक्रामक होते हैैं) जिससे हमारी नाक में irritation हो रही हो। ऐसा में nostrils से तुरंत हमारे brain को message पहुंचता है और brain शरीर की muscles को आदेश देता है कि इस particle को बाहर निकालें।
आप सोच रहे होंगे कि हमें नाक लिखना चाहिए और हमने शरीर लिख दिया।
नहीं जी हमने सही ही लिखा है, आपको पता है, छींक जैसी मामूली सी क्रिया में कितनी muscles काम करती हैं।...
तो गिनती शुरू कीजिए, Stomach, chest, diaphragm, vocal cords, गले के पीछे और यहां तक कि आंखों की भी muscles.
ये सब मिलकर काम करती हैं और particle बाहर निकाल दिया जाता है। कभी-कभी एक छींक से काम नहीं चलता तो कई छींके आती हैं।
जब हमें ज़ुकाम होता है तब छींकें इसलिए आती हैं क्योंकि ज़ुकाम की वजह से हमारी नाक के भीतर की झिल्ली में सूजन आ जाती है और उससे ख़ुजलाहट होती है।
यह तो रहा कि छींक क्यों आती है और उसमें कितनी muscles काम करती हैं।
अब देखते हैं कि जब छींक आ रही हो, और हम उसे इसलिए रोक देते हैं कि अपशकुन ना हो, तो क्या नुकसान हो सकता है...
छींक रोकना बेहद खतरनाक हो सकता है, हो सकता है कि आपके छींक रोकने से आपके शरीर के दूसरे अंगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़े।
दरअसल, छींक बहुत तेज गति के साथ आती है, ऐसे में जब हम छींक रोकते हैं तो वो pressure हमारे नाक या गले की कोशिकाओं पर दबाव डालकर उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है. कई बार इसका असर दिमाग पर भी हो जाता है।
तो आप समझ लीजिए, कोई छींक रहा हो, और उसे किसी तरह का कोई infection हो, तब वो आप के लिए अपशकुन हो सकता है, क्योंकि तब उसके छींकने के साथ संक्रामक particles की droplets, आप पर गिर कर आपको भी बीमार बना सकते हैं। इसलिेए अगर कोई बीमार है और बार बार छींक रहा हो, तो आप precautions के साथ रहें।
रही बात और तरह के अपशकुन की तो, छींक प्राकृतिक प्रक्रिया है, उसे रोकने से अपशकुन हो सकता है, नहीं रोकने से नहीं... इसलिए किसी भी कारण से नाक दबा कर छींक रोकने का प्रयास ना करें
ऐसी बातों पर विश्वास कीजिए, जो आपके लिए लाभप्रद हो, घिसी-पिटी बातों पर ध्यान ना दें
स्वस्थ रहें, सुखी रहें...
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