थोड़ी देर और
रजत अपने छोटे से गाँव में बहुत खुश था, उसके पापा एक mill
में काम किया करते
थे। वहाँ केवल 2 ही school थे। उन schools को खुले मात्र 1 साल ही हुआ था। बच्चों
के लिए वो एक नयी जगह थी अतः बच्चे school जाने से कतराया भी करते थे। उन्हें लगता था, कि
school के कारण वो दिन भर खेल नहीं पाते हैं।
रजत को भी अपने दोस्तों के साथ दिन भर खेलने में ही मज़ा आता था। बारिश
होने से उनका school बीच-बीच में बंद हो जाया करता था, क्योंकि
जगह जगह पानी भर
जाने से रास्ते बंद हो जाते थे। जब पानी उतर जाता, तब ही school खुलते थे। इसलिए सारे बच्चों को बारिश बहुत पसंद थी।
जब बारिश का मौसम आया, तो रजत बहुत
खुश था। इस बार जब बारिश शुरू हुई तो, बहुत थोड़ी हुई, और
पानी एक ही दिन में
उतर गया। और अगले दिन school
खुल गया। सारे बच्चों के चेहरे
लटके हुए थे। पर शाम तक फिर से काले बादल देख के वो सभी खुशी से चिल्ला उठे। जब
बारिश शुरू हुई रजत ने मन ही मन बोला थोड़ी
देर और। जब वो सोने जा
रहा था, तब
भी बारिश हो रही थी, वो
फिर बोला थोड़ी देर
और सोने चला गया। सुबह उठा तब भी धीरे धीरे बारिश हो रही थी। उसके घर के बाहर पानी इकठ्ठा
हो गया था। school बंद की घोषणा हो चुकी थी।
रजत बहुत खुश था। उसके सभी दोस्त अपनी अपनी
कागज़ की नाव बना के घरों से बाहर निकल आए। और boat race होने
लगी। बारिश धीमी धीमी सी अब भी हो रही थी। और रजत का बोलना भी जारी था, थोड़ी
देर और हो जाए। शाम
तक बारिश फिर से तेज़ होने लगी थी। लगातार कभी
धीमी, कभी तेज़ बारिश का असर ये हो रहा था, कि
पानी का level बढ़ता जा
रहा था। अब पानी घरों के अंदर भी आने लगा था। ऐसा रजत ने अपनी ज़िंदगी में पहली बार देखा
था। उसे ये देख कर बड़ा कौतूहल हुआ। पर आज पूरे घर में छपर
छपर करने का मौका
मिल रहा था, इससे
उसे बड़ा मज़ा आ रहा
था। वो बिना इसका result
जाने, फिर से बोलने
लगा थोड़ी देर और।
इतनी अधिक बारिश के कारण अब उसके पापा
भी mill नहीं जा पा
रहे थे। सारा बाज़ार भी
बंद हो गया था। अब घर में खाने के सारे सामान भी खत्म हो रहे थे।
पर अब भी बारिश हो ही रही थी, इस बार गाँव
में बाढ़ आ गयी थी। लोगों के घर डूबने लगे थे। खाने के लिए
लोग तरसने लगे थे। बरसों से जो गाँव में रहा करते थे, जान बचाने के लिए
वे अपना सब कुछ छोड़
के गाँव छोड़ कर जाने लगे थे। रजत का घर ऊंचे पर था, अतः उसके
पिता बारिश रुकने का इंतज़ार कर रहे थे। पर रजत के सभी दोस्त एक-एक कर
के गाँव छोड़ के जाते
जा रहे थे। यूँ गाँव खाली होता देखकर रजत ज़ोर ज़ोर से रोने लगा, उसके
पिता ने पूछा तुम
क्यों रो रहे हो? वो बोला मैं ही रोज़ बोल रहा था, थोड़ी
देर और बारिश हो
जाए। पर उससे ऐसा होगा? ये
मैं नहीं जानता था। तुम
तो अभी बच्चे हो, बड़े
बड़े भी नहीं समझते
हैं, कि
ईश्वर हमें सबकुछ
सही मात्रा में ही प्रदान करते हैं, हम लोगों का
लालच ही अनर्थ कर देता है, उसके पिता ने उसे समझाया।
Ishwar sab kuch sahi matra me deta hai...hamara laalach...bahut sundar aur anukarniya vichaar
ReplyDeleteशायद सब ये जानते हैं, बोलना और लिखना भी आसान है।
Deleteपर जो अनुकरण करे, वो महान है 🙏
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Nice story...
ReplyDeleteThe title is very suitable and apt...lovely story.very nice thought.
ReplyDeleteKeep it up.
Thank you for your appreciation
DeleteYour message motivated me