अब तक आपने पढ़ा कि
पिया,
रतन और अपने ससुराल के
साथ बहुत खुश थी। लेकिन आए दिन रतन की नौकरी छूटने से एक तनाव सा रहता था। अब
आगे...
जीवनसंगिनी (भाग-2)
पर पूरा
परिवार रतन के लिए
परेशान रहने लगा, और अब तक सब ये भी समझ
गए थे कि रतन से private job के और ज्यादा धक्के खाना नहीं हो पाएगा।
पिया इसी धुन
में लगी रहती कि, कैसे अपने पति को योग्य
सिद्ध किया जाए, क्योंकि इतनी jobs छोड़ने के
कारण अब रतन भी, अंदर ही
अंदर कहीं टूटता जा रहा था। उसने
सब जगह आना जाना भी छोड़ दिया था।
उन लोगों का
बेटा भी बड़ा होने लगा था। पिया का मन था, कि जब तक बेटा समझने लायक हो, तब तक रतन एक जिम्मेदार पिता
बन जाए।
बहुत सोचने और
अपने पिता से विचार-विमर्श के पश्चात पिया ने रतन से अपना खुद का business करने को
कहा।
रतन बोला तुम
भी पिया, businessman की बेटी हो ना, तो उसी
की सलाह दोगी। मुझसे private job होती
नहीं है, तुम
सोचती हो, business हो जाएगा।
वो बोली
अपना खुद का काम होगा, कोई आपको जज करने के लिए
नहीं होगा। आपकी मेहनत
में कोई कमी नहीं है, फिर एक बार इसे भी करने
में क्या हर्ज है?
फिर मैं हूँ
ना आपके साथ।
मैं businessman की बेटी हूँ, तो खून कुछ तो असर
दिखाएगा, शायद
मिल के कुछ अच्छा ही कर
लें।
पिया की ऐसी
उत्साह से भरी बातें सुन के रतन को भी जोश आने लगा। बोला अच्छा ठीक है, कर लेते हैं, एक बार।
पर तुमने ये भी सोचा
ही होगा,
क्या करना है,
क्या सोने चाँदी की दुकान खुलवाओगी?.... और पैसा?.....
वो कहाँ से
आएगा? मेरे
पिता जी तो principal
थे, तो उनके पास तो ज्यादा धन
राशि है नहीं।
क्या तुम्हारे
पिता जी देंगे?
नहीं कोई नहीं
देगा, क्योंकि मैं किसी से मांगने भी नहीं जा
रही हूँ। मुझे अपने सपनों का महल बनाने
में अपने या आपके पिता की चैन की नींद नहीं उड़ानी है।
हे भगवान, तो तुमने
सोचा क्या है? अब रतन का धैर्य जवाब दे रहा था।
पिया ने रतन को योग्य बनाने के लिए आखिर ऐसा
क्या सोचा जिसमें
किसी की मदद भी नहीं लेनी पड़ेगी, जानने के लिए पढ़ें जीवनसंगिनी (भाग-3)
Superb write up 👍👍 curiosity continues👏👏
ReplyDeleteThank you for showing your interest
DeleteYour comments boost me up
Beautifully composed...
ReplyDeleteThank you for your precious comment
DeleteExcited to know about... what next now!
ReplyDeleteThank you for showing your interest
DeleteYou inspire me, always.