Thursday, 27 June 2024

Story of Life : एक सच्चाई (भाग-3)

एक सच्चाई (भाग-1)

एक सच्चाई (भाग-2) के आगे…

एक सच्चाई (भाग-3)

मुझे बिठाकर, नौकर ठकराल जी को बुलाने चला गया…

ठकराल जी ने आते ही कहा, और दारोगा बाबू, आ गए…

कैसा लगा अपना गांव?

अरे ओ हरिया… दारोगा बाबू की आवभगत की तैयारी शुरू करो, कोई कमी नहीं रहनी चाहिए…

आ गए? अपना गांव?

अरे काहे हैरान हो रहे हैं? आइए बैठिए, साथ में बतियाते हैं।

उसके बाद हम दोनों वहीं सोफे पर बैठ गए।

अरे दारोगा बाबू, ई हमारा गांव है, यहां परिंदा भी फड़फड़ाता है तो हमें पता चल जाता है, फिर आप तो ठहरे दारोगा बाबू, आपके आने की आहट हमें नहीं होगी तो क्या बगल वाले गांव के सरपंच को होगी, बुझाया?

दूसरा जब आप इस गांव के दारोगा बाबू हैं तो अब तो यह गांव आपहि का हुआ ना?

बोलिए बोलिए, सही कह रहे हैं ना?

यह कह कर उन्होंने जोर से ठहाका लगाया...

मैंने सोचते हुए उनके समर्थन में सिर हिला दिया।

उसके बाद उन्होंने मेरी जो आवभगत की, कि पूछो मत...

इतनी variety और इतना amount, कि समझ ही नहीं आ रहा था कि दो लोगों के लिए खाना बना है या पूरी बारात के लिए?

आखिरकार, मुझसे रहा नहीं गया, मैंने पूछ ही लिया, ठकराल जी, इतना खाना...

अरे, दारोगा बाबू, जब पकवान बनेंगे तो दो लोगों के लिए थोड़ी ना बनेंगे, घर में इतने नौकर-चाकर हैं, वो क्या मुंह देखेंगे, उनके परिवार के लिए भी खाना-पीना जाएगा।

फिर गांव के स्कूल में भी तो बच्चों को पकवान की खुशबू आ रही होगी, तो उन्हें सूखे थोड़ी छोड़ सकते हैं। 

भाई, हमारा तो यही है कि जब पकवानों की हंडिया चढ़ती है तो सब की ही दावत होती है।

क्या बात है! ठकराल जी...

इंसानों के लिए इतनी दया, और पशु-पक्षी के लिए दहशत...

अरे, नहीं-नहीं दारोगा बाबू, यह सब हमारे शौक नहीं है, यह तो बाप-दादा के ज़माने के हैं, हम तो शराब-कबाब को हाथ तक नहीं लगाते।

आप ने शायद ध्यान दिया हो, एक भी पकवान nonveg नहीं था, ना आपको शराब दी थी हमने…

जी, गया था मेरा ध्यान, यह उत्कंठा तभी तो थी।

यह हवेली तो पूर्वजों की विरासत है, तो उसमें फेरबदल करना, उनके सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली बात होगी, बस इसलिए सब वैसा ही चल रहा है।

ठकराल जी, के लिए जो कुछ भी मैंने सोचा था, वो उससे बिल्कुल विपरीत निकले, लंबे-चौड़े, हट्टे-कट्टे तो वो थे, पर उतने ही सौम्य, हंसमुख, दयालु और प्रेमी…

एक अलग ही अपनत्व था उनमें, कौन सोचता है, सबके बारे में इतना?

अब समझ आ रहा था, क्यों चलता है उनका इतना सिक्का…

वही तो बाबा…

पर आप इतना परेशान क्यों थे?


आगे पढ़ें, एक सच्चाई (भाग-4) में।

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