एक सच्चाई (भाग-3) के आगे…
एक सच्चाई (भाग-4)
अब समझ आ रहा था, क्यों चलता है उनका इतना सिक्का…
वही तो बाबा…
पर आप इतना परेशान क्यों थे?
बेटा पिछले पच्चीस साल, चाहे मेरी posting इस गांव में रही हो या कहीं और, पर ठकराल जी से मेरा जुड़ाव कुछ ऐसा हो गया था कि उनकी खबर मुझे रहती ही थी। साल दर साल उनके उपकार के ही किस्से सुने थे।
पर साथ ही एक और बात, कि कोई बाहर का इन्सान, उनके गांव के लोगों का बाल भी बांका नहीं कर सकता था।
बल्कि यह कहो कि आसपास के गांव के मुखिया, सरपंच, धनाढ्य लोग उनके नाम से भी खौफ खाते थे और साथ ही उनकी ख्याति से खार भी खाते थे।
पर आज जो मैंने देखा कि उसे देखकर मैं सिहर भी गया और मेरा जी मानवता और इंसानियत से भी भर गया।
ऐसा भी क्या हुआ बाबा?
बेटा तुम्हें तो पता ही है यह मेरी last posting है और बहुत request के बाद मुझे यह गांव मिला है।
दरअसल मैं ठकराल जी के सानिध्य में रहकर कुछ धर्म-कर्म के काम करना चाहता था।
तुम बड़ी हो गई तो तुम्हारे भविष्य की चिंता नहीं रह गई है। आखिरकार, अपना business जमा चुकी हो।
और तुम्हारी शादी का पैसा भी जोड़ कर रख दिया है। तो उस बात की भी चिंता नहीं है।
इसलिए मैं आते से ही ठकराल जी से मिलने पहुंच गया।
पर पिछले दो दिन से वो मुझे मिल नहीं रहें हैं, ना जाने कहां चले गए?
पर अभी आज ही एक call आई, जिसने मुझे हर्षित और अचंभित दोनों कर दिया।
क्या call आई थी बाबा?
वो आदमी बोल रहा था कि अगर आप को ठकराल जी से मिलना है तो पुरानी हवेली में आ जाना, पर अकेले आना और हाँ, ना तो कोई हथियार लाना, ना ही वर्दी में आना।
आगे पढें, एक सच्चाई (भाग-5) में…
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