Popularity गणपति बप्पा की..
यूं तो भारत अनेकानेक देवी-देवताओं की पवित्र पावन भूमि है, पर फिर भी अलग-अलग states में अलग-अलग देवी-देवताओं की मान्यता है।
जैसे बंगाल व पंजाब में मातारानी की, महाराष्ट्र में गणपति बप्पा की, south में, भगवान विष्णुजी, लक्ष्मी माता व मुरुगन जी की, और north में भगवान शिव, भगवान श्री कृष्ण, भगवान श्री राम और हनुमान जी को अधिक मानते हैं।
हालांकि, अब तो सभी जगह, सभी states के लोग रहते हैं, इसलिए लगभग पूरे भारत में सभी देवी-देवताओं के आगमन और उनके विसर्जन की धूम रहती है।
लेकिन जब आज अनंत चतुर्दशी है तो गणेश जी पर ही पूरा article अर्पित हो, इतना तो बनता है।
वैसे भी महादेव व माता पार्वती जी के लाडले पुत्र हैं, तो सभी देवी-देवताओं के लाडेश्वर भी ठहरे।
तो गणेश जी को दंडवत प्रणाम के साथ आगे का article बढ़ाते हैं...
हाँ तो, हुआ ऐसा कि हमारी लाडली बिटिया रानी, ज़रा बड़ी हुई तो, उन्हें दो देवताओं ने बड़ा आकर्षित किया।
पहले तो कृष्ण जी और दूसरे गणेश जी...
तो बस madam जी तो थीं छोटी, तो खुद तो कुछ कर नहीं सकतीं थीं, पर हुक्म पूरा चला लेती थीं।
तो बस जन्माष्टमी पर्व पर मम्मी के द्वारा सिखाई दुनिया भर की चीज़ का भोग लगाते थे पर बिट्टो रानी ने मक्खन भी जुड़वा दिया, कि बिन मक्खन के कान्हा जी का कैसा भोग? तो बस अब तो हर जन्माष्टमी पर्व पर मक्खन भी जरुर बनता है।
और दूसरे, हमारे गणपति महाराज..
अब हम लोग तो ठहरे North Indian, तो north के भगवान श्री राम, श्री कृष्ण, बम-बम भोले और हनुमान जी वाले...
तो गणेश जी का आगमन तो बस दिपावली पूजन में माता लक्ष्मी जी के साथ ही करते थे।
पर हमारी छोटी madam, फैल गई, कि नहीं भाई, हम तो हर गणेश चतुर्थी में गणपति बप्पा को बैठाएंगे और मोदक का भोग भी लगाएंगे।
बस तब से नियम बन गया, गणेश चतुर्थी में गणपति बप्पा को बैठाने और मोदक का भोग लगाने का...
हमारे पतिदेव की प्यारी दीदी, मुंबई में रहती हैं, एक बार जब मुंबई जाना हुआ, तो बिटिया रानी को उनकी बुआ जी ने, मोदक बनाने का सांचा दे दिया।
बस उसके बाद से बप्पा के लिए, बनने वाले टेढ़े-मेढ़े मोदक, सांचे में ढल कर सुडौल और सटीक बनने लगे।
उससे लगा कि, बप्पा को भी, हमारा उनका आगमन कराना बहुत अच्छा लगा, तभी तो मोदक के सांचे को हमारे पास पहुंचा दिया।
सिलसिला यूं ही चलता रहा, गणपति बप्पा के आगमन पर हम हर साल कुछ अलग तरह के मोदक बनाते और चतुर्दशी को जिसमें बप्पा का विसर्जन होता है, अर्थात वो फिर से अपनी माँ की गोद में पहुंच कर अठखेलियां करने लगते हैं।
उस दिन भी हम पूजा अर्चना करते।
पर इस बार, आंखों का treatment चल रहा है तो हमें लगा, मोदक बनाना शायद संभव न हो पाए। एक दिन पहले, वैसे ही हरतालिका तीज़ के व्रत पूजन पाठ के लिए गुझिया बना चुके थे, हर बार की तरह..
पतिदेव बोले, इस साल मोदक वो लेते आएंगे...
हमने भी, बड़े अकड़ कर कहा, यह दिल्ली है, मुम्बई नहीं...
यहां दुनिया भर की मिठाई मिल सकती है, मोदक नहीं... अगर एक भी मोदक आप ले आएं तो उसे हम समझ लेंगे कि लोग बप्पा को यहां भी आमंत्रित करते हैं।
शाम को office से घर लौटते समय, पतिदेव का phone आ गया, यहां 25 varieties के Modak मिल रहें हैं, कौन से वाले लाने हैं?
25....आय हाय! इतनी variety तो सिद्धी विनायक मंदिर में नहीं मिलते हैं, जितने कि यहां मिल रहें हैं...
हमारे तो स्वर ही बदल गये, बड़े मधुर स्वर में हम ने पूछा, क्या varieties हैं, और भइया, पतिदेव तो शुरू हो गये, एक के बाद एक, मोदक की variety का नाम बताने में...
ओहो, ऐसा लग रहा था कि, किसी restaurant या hotel का menu बता रहे हैं। सच बता रहे हैं, किसी variety की मिठाई नहीं बची थी, जो मोदक न बन चुकी हो। वो भी बताते-बताते, हंसने लगे, कि यहां सारी मिठाइयां, मोदक बन चुकी हैं। तुम तो बस यह बताओ कि तुम्हें अपने गणपति बप्पा को किस taste की मिठाई के मोदक से प्रसन्न करना है?
आहा! गणपति बप्पा ने तो हमें ही पशोपेश में डाल दिया था, खैर variety थी, तो बप्पा जी को एक तरह के मोदक से क्यों प्रसन्न किया जाए...हमने चार varieties के मोदक मंगवा लिए।
गणपति बप्पा की popularity ने हमारी सारी अकड़ निकाल दी, उन्होंने सिद्ध कर दिया कि मुम्बई हो या दिल्ली या कोई और शहर, गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक हर जगह, सिर्फ और सिर्फ गणपति बप्पा की ही धूम रहती है।
और popularity कि तो क्या ही कहें, super popularity है भाई...
बस इतना ही कह सकते हैं कि गणपति बप्पा, आप तो छा गए हैं ...
अपनी कृपा सदैव हम सब पर बनाए रखियेगा 🙏🏻🙏🏻
गणपति बप्पा मोरया, पुढच्या वर्षी लवकर या 🙏🏻😊
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